ऑस्ट्रेलिया अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए निवेश में बढोतरी करेगी – एअरमार्शल लिओ डेव्हिस

Third World Warकॅनबेरा: ‘अंतरिक्ष यह एक ऐसा क्षेत्र है की इसका विस्तार करना ऑस्ट्रेलिया के लिए काफी जरूरी हुआ है| उपर अंतरिक्ष में क्या हो रहा है, यह समजना हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है’, यह कहकर ऑस्ट्रेलिया के हवाई सेना प्रमुख एअरमार्शल लिओ डेव्हिस इन्होंने ऑस्ट्रेलिया सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में शुरू निवेश की मात्रा बढी तादाद में बढाने के संकेत दिए है| अमरिका, चीन और रशिया जैसे देशों से अंतरिक्ष युद्ध की संभावना जताई जा रही है, ऐसे में ऑस्ट्रेलिया ने दिए संकेत ध्यान आकर्षित करते है|

ऑस्ट्रेलिया सरकार ने पिछले वर्ष ‘ऑस्ट्रेलियन स्पेस एजन्सी’ का गठन किया था| इस एजन्सी पर उपग्रह प्रक्षेपित करने के साथ ‘स्पेशलाईज्ड् स्पेस कैपबिलिटिज्’ के लिए नीति तय करने की जिम्मेदारी भी दी गई है| ऑस्ट्रेलिया में इस क्षेत्र में देरी से प्रवेश किया है, यह बात स्वीकार करके इसके आगे ऑस्ट्रेलिया की प्रगति तेजी से होगी, यह विश्‍वास एअर मार्शल लिओ डेव्हिस इन्होंने व्यक्त किया|

ऑस्ट्रेलिया, अंतरिक्ष क्षेत्र, निवेश, बढोतरी, करेगी, एअरमार्शल, लिओ डेव्हिस, कॅनबेराइसके लिए ऑस्ट्रेलिया सरकार अंतरिक्ष में बडी मात्रा में निवेश करेगी, यह जानकारी उन्होंने दी| जागतिक स्तर पर अतंरिक्ष क्षेत्र के व्यवहार लगभग ४०० अरब डॉलर्स के करीब है| अगले १२ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था में अंतरिक्ष क्षेत्र का हिस्सा १२ अरब डॉलर्स तक पहुंचेगा, इस दिशा में कोशिश करने के संकेत एअर मार्शल डेव्हिस इन्होंने दिए है|

‘हम तिरकमठे से शुरूआत करके मिसाइल तक जा पहुंचे है| देश की सुरक्षा का विचार करना है तो अंतरिक्ष क्षेत्र इसके आगे का मुकाम होना जरूरी होगा| ऑस्ट्रेलिय इस क्षेत्र में सक्रिय होगी, इसकी सुरक्षा के लिए कोशिश करेगी और अन्य देशों के साथ सही साझिदारी भी करेगी’, इन शब्दों में एअर मार्शल लिओ डेव्हिस इन्होंने ऑस्ट्रेलिया की अंतरिक्ष में प्रगति करने की दिशा स्पष्ट की|

ऑस्ट्रेलिया के रक्षा बलों ने कुछ वर्ष पहले ही अंतरिक्ष क्षेत्र से जुडी दो परियोजना शुरू की है| ‘डिफेन्स प्रोजेक्ट ७९९’ और ‘जेपी-९१०२बी’ नाम से शुरू हुई इस परियोजना के लिए करीबन ५० करोड डॉलर्स का प्रावधान किया गया है| यह परियोजना दो स्तर पर पुरी होगी| इसमें से पहले स्तर पर ‘इमेजिंग सैटलाईटस्’ का इस्तेमाल करने पर ध्यान दिया जाएगा| दुसरे स्तर पर ‘स्पेस बेस्ड् इंटेलिजन्स’ और ‘सर्व्हिलन्स’ की क्षमता बढाने का उद्देश्य रखा गया है|

‘जेपी-९१०२ बी’ के तहेत ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा बलों के लिए ‘सैटेलाईट कम्युनिकेशन सिस्टिम’ तैयार करने के लिए अहमियत देना तय हुआ है| देश की रक्षा बलों को ‘जॉईंट कमांड? एवं कंट्रोल’ की क्षमता प्राप्त हो, यही इस परियोजना का उद्देश्य होने की बात कही जा रही है|

ऑस्ट्रेलिया के तज्ञ और विश्‍लेषकों से बडा लष्करी उपग्रह निर्माण करने की और अंतरिक्ष क्षेत्र का पूरा नियंत्रण रक्षा बलों के हाथ में सौंपने की मांग भी हो रही है| लेकिन, एअर मार्शल लिओ डेव्हिस इन्होंने इससे जुडी संभावना खारिज की है|

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