अफगानिस्तान के संकट की वजह से पाकिस्तान अनिश्चितता की खाई में गिरेगा – कनाडा स्थित अभ्यास गुट की चेतावनी

टोरंटो – १५ अगस्त को तालिबान ने राजधानी काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद पाकिस्तान के विद्यमान और पूर्व लष्करी अधिकारी, कट्टरपंथी नेता और माध्यमों ने उसका जल्लोष मनाया। यह भारत पर विजय होने का दावा पाकिस्तानी विश्लेषकों ने किया था। लेकिन तालिबान तथा अन्य आतंकवादी संगठन जैसे-जैसे अफगानिस्तान पर अपनी पकड़ मज़बूत करने लगे हैं, उसी मात्रा में पाकिस्तान के सामने चुनौतियाँ बढ़ने लगीं हैं। अफगानिस्तान का संकट गहरा होते समय, पाकिस्तान उसी ने तैयार किए इस चंगुल में फँसा है, ऐसी चेतावनी कनाडा स्थित अभ्यास गुट ने दी।

afghan-taliban-pak-border-1पिछले हफ्ते पाकिस्तान की गुप्तचर यंत्रणा ‘आईएसआई’ के प्रमुख फैझ हमीद ने अफगानिस्तान का दौरा किया था। पाकिस्तानी माध्यमों ने हमीद के इस दौरे का समर्थन करते हुए, पाकिस्तान देश निर्माण में तालिबान की सहायता कर रहा है ऐसे दावे किए थे। लेकिन पाकिस्तान तारणहार के रूप में नहीं बल्कि अफगानिस्तान के भयानक संकटों की प्रायोजक के रूप में काम कर रहा है, ऐसा गंभीर आरोप ‘इंटरनॅशनल फोरम फॉर राईट्स अँड सिक्युरिटी-आयएफएफआरएएस’ इस अभ्यास गुट ने किया।

अमरीका अफगानिस्तान से सेना वापसी करें, इस योजना का मुख्य पुरस्कर्ता पाकिस्तान ही था। इस कारण अमरीका की इस सेना वापसी के लिए पाकिस्तान भी उतना ही ज़िम्मेदार है, ऐसी तीखी आलोचना ‘आयएफएफआरएएस’ ने की। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इम्रान खान ने अमरीका की इस वापसी का स्वागत किया। साथ ही, तालिबान ने गुलामी की जंजीरें तोड़ने की घोषणा की थी। पाकिस्तानी माध्यमों ने भी, यह भारत पर विजय होने के दावे शुरू किए थे। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होना यह पाकिस्तान के लिए हितकारी नहीं है, इसका एहसास पाकिस्तान के कुछ विश्लेषकों को अब होने लगा है, इस पर इस अभ्यास गुट ने गौर फरमाया।

उसी के साथ, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना सामरिक महत्व होने के दावे करनेवाला पाकिस्तान, यह अमरीका अथवा चीन के लिए ‘ क्लाइंट’ के रूप में काम कर रहा होने का दोषारोपण इस अभ्यास गुट ने किया। इन दोनों देशों की मर्ज़ी संभालना पाकिस्तान के लिए अधिक से अधिक मुश्किल बनता चला जा रहा है, इस पर कैनेडियन अभ्यास गुट ने गौर फरमाया। कुछ साल पहले तक अमरीका और पाकिस्तान के संबंध अच्छे थे। लेकिन पाकिस्तान ने चीन के साथ बन रहे सहयोग को अहमियत देकर ‘चायना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर-सीपीईसी’ को प्राथमिकता देने के बाद, पाकिस्तान के सामने की समस्याएँ अधिक ही जटिल बनीं होने का दावा ‘आयएफएफआरएएस’ ने किया।

iffras-logo-2तालिबान ने काबुल पर कब्जा करने के बाद पाकिस्तान में तीन बड़े आतंकवादी हमले हुए होकर, उनमें दो आत्मघाती हमलों का समावेश है। इसके अलावा अफगान-पाकिस्तान सीमा पर तालिबान के आतंकवादी और पाकिस्तानी लष्कर के बीच संघर्ष शुरू होने की जानकारी सामने आ रही है। तालिबान ने, अफगानिस्तान और पाकिस्तान का विभाजन करनेवाली ‘ड्युरंड लाईन’ तालिबान को मान्य न होने का ऐलान किया है। इस कृत्रिम सीमा को ना मानते हुए पाकिस्तान अफगानियों को अपने देश में खुलेआम प्रवेश दे दें, ऐसा तालिबान का कहना है।

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्ज़ा करने के बाद, उसका जल्लोष करने वाले तालिबान के आतंकियों ने, सीमा पर तैनात पाकिस्तान के जवानों को, इसके बाद तुम्हारा नंबर, ऐसी चेतावनी दी थी। तालिबान का ही हिस्सा होनेवाले ‘तेहरिक-ए-तालिबान’ ने पाकिस्तान की सत्ता हस्तगत करने की घोषणा करके, अपने आतंकवादी कारनामे बढ़ाए हैं। इतना ही नहीं, बल्कि इन कारनामों की ज़िम्मेदारी का स्वीकार भी तेहरिक ने खुलेआम किया है। ऐसा होते हुए भी तालिबान ने अब तक, तेहरिक ने पाकिस्तान में करवाए आतंकवादी हमलों का निषेध नहीं किया है।

अफगानिस्तान के भयंकर संकट के लिए जिम्मेदार होनेवाले पाकिस्तान को इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा, यह ‘आयएफएफआरएएस’ की चेतावनी सच होती दिखाई देने लगी है। कुछ दिन पहले ईरान के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष अहमदीनेजाद ने, जिस ताकत ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किया, वह ताकत जल्द ही पाकिस्तान पर भी कब्ज़ा कर सकती है, ऐसा चेताया था।

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