चीन नेपाल का भी तिब्बत की तरह ही घात करेगा

तिबत्तियों की निर्वासित सरकार के प्रमुख की नेपाल को चेतावनी

नई दिल्ली/ धरमशाला – ”चीन ने तिब्बत तक पहले सड़क बनायी, बाद में उसी रास्ते से सैनिक, टैंक, तोपें लाकर चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया। नेपाल सरकार यदि समय पर सचेत महीं हुई, तो चीन नेपाल का भी तिब्बत की तरह ही घात करेगा”, इन शब्दों में भारतस्थित निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रमुख डॉ. लॉबसांग सांगेय ने नेपाल को चौकन्ना किया है। ”तिब्बत यह हथेली होकर, उसकीं उँगलियाँ यानी लद्दाख, नेपाल, भूतान, सिक्कीम और अरुणाचल प्रदेश ये भूभाग हैं, ऐसा चीन के संस्थापक माओ त्से तुंग ने कहा था, इसकी याद भी डॉ. लॉबसांग सांगेय ने नेपाल को करा दी।Lobsang Sangay Tibetan Prime-Minister

लद्दाख में पिछले डेढ़ महीने से भारत और चीन में तनाव बना है। लद्दाख में घुसपैंठ की कोशिश करनेवाले चिनी जवानों को भारतीय सैनिकों ने रोकने के बाद यहाँ दोनों देशों के सैनिक आमनेसामने खड़े हुए थे। वहीं, चर्चा के बाद अपने जवान पीछे हटेंगे, ऐसा मान्य करने के बावजूद भी चीन ने विश्वासघात किया था और चिनी जवानों को रोकनेवाले भारतीय सैनिकों पर हमला किया था। इसमें भारत के २० सैनिक शहीद हुए थे। उसके बाद दोनों देशों के बीच का तनाव बहुत ही बढ़ा है। दूसरी तरफ़, नेपाल की चीनपरस्त सरकार, चीन ने उनके सीमा में घुसपैंठ कर उनका भूभाग हथियाने पर भी उसे अनदेखा कर रही है। नेपाल के दो गाँवों पर चीन ने, सीमाक्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास करने की आड़ में कब्ज़ा करने के बाद भी नेपाल की सरकार चुप्पी साधकर बैठी है। इस पृष्ठभूमि पर, डॉ. लॉबसांग सांगेय ने नेपाल को चीन के बारे में चेतावनी दी है।

नेपाल ने यदि समय पर ही ध्यान नहीं दिया, तो सन १९४९ में जो तिब्बत के साथ हुआ, वैसे ही कष्ट नेपाल को नसीब होंगे। सन १९५९ में तिब्बती जनता ने चीन के इस आक्रमण के विरोध में की बग़ावत भी चीन ने लष्करी कार्रवाई के बल पर कुचल दी। नेपाल यदि सचेत नहीं हुआ, तो नेपाल भी चीन के नाम से ही पहचाना जायेगा। ये दिन बहुत दूर नहीं हैं’, ऐसा डॉ. सांगेय ने कहा। ”चीन नेपाल के उच्चपदस्थ अधिकारियों से साज़िश करके, नेपाल को अपनी सीमा में समा लेने पर काम कर रहा है। तिब्बत में जिस तरह रास्ते के निर्माण के काम की आड़ में चीन ने घुसपैंठ की, वैसी ही हालत आज नेपाल के सीमाभाग में है’ ऐसा डॉ. सांगेय ने जताया। साथ ही, भारत-चीन सीमावाद सुलझाने के लिए, पहले तिब्बत का मसला हल होना चाहिए, ऐसा दावा डॉ. सांगेय ने किया है।

इसी बीच, ‘तिब्बतियन युथ काँग्रेस’ इस संगठन ने, तिब्बत को भारत और चीन के बीच का स्वतंत्र ‘बफर स्टेट’ घोषित किया जायें, इसलिए मुहिम छेड़ी है। कुछ दिन पहले अमरिकी संसद में तिब्बत की स्वतंत्रता का विधेयक प्रस्तुत किया गया था। इस पृष्ठभूमि पर, तिब्बतियन युवाओं का प्रतिनिधित्व करनेवाला सबसे बड़ा संगठन होनेवाली ‘तिब्बतियन युथ काँग्रेस’ ने यह मुहिम शुरू की है।

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