भारत की लष्करी तैयारी को लेकर चीन किसी भी भ्रम में ना रहें – भारत के पूर्व सेनाप्रमुखों का इशारा

नई दिल्ली – ‘भारतीय सेना की अपनी युद्ध तैयारी के मुद्दे पर चीन की ‘पीपल्स लिबरेशन आर्मी’ किसी भी तरह के भ्रम में ना रहें। यह १९६२ का वर्ष नहीं, बल्कि २०२० का वर्ष है’ इन शब्दों में भारत के पूर्व सेनाप्रमुख वेद प्रकाश मलिक ने चीन को चेतावनी दी है। वहीं, भारत के पूर्व सेनाप्रमुख रहें एवं विद्यमान केंद्रीय राजमार्गमंत्री जनरल व्ही.के.सिंग ने भी चीन को यह चेतावनी दी है कि वर्तमान के भारत को तह भली भाँति एहसास है कि स्थिति को कैसे सँभालना है। भारत की सीमा में हज़ारों सैनिकों की घुसपैठ करवाकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहें चीन को, भारत के भूतपूर्व सेनाप्रमुखों ने दी यह चेतावनी ग़ौरतलब साबित होती है।

लद्दाख की गलवान वैली एवं पैंगौंग लेक के इलाके में चीन ने अपने हज़ारों सैनिक तैनात किए हैं और उनकी संख्या करीबन पाँच हज़ार होने की बात कही जा रही है। भारत ने भी उतनी ही मात्रा में वहाँ पर सेना तैनाती की है और चीन के सैनिकों की आँख से आँख मिलाकर भारतीय सेना वहाँ पर ड़टकर खड़ी हुई है। इस पर चीन ने हालाँकि अभी भी आक्रामक भाषा का प्रयोग नही किया है, लेकिन भारत पर लष्करी दबाव बढ़ाने के लिए चीन गतिविधियाँ कर रहा है, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना है। भारत और चीन के बीच के सीमा विवाद की अमरीका ने भी गंभीरता से दख़ल ली होकर, राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने इस मसले पर मध्यस्थता करने का प्रस्ताव भी पेश किया है।

ऐसी स्थिति में भारत के पूर्व सेनाप्रमुखों ने चीन को कड़ी चेतावनी दी हैं। वर्तमान का भारत, चीन को मुँह की खानी पड़ें ऐसा जवाब देने की क्षमता रखता है, इसका एहसास रखें, यह बयान पूर्व सेनाप्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने किया है। इसी बीच, वर्ष १९६२ में हुई हार की भारत को लगातार याद दिला रहें चीन को, पूर्व सेनाप्रमुख जनरल व्ही.के.सिंग ने, वर्तमान का भारत अलग है, इसका एहसास कराया है। यह १९६२ नहीं, बल्कि २०२० का वर्ष हैं। २०२० का भारत काफ़ी अलग है, यह बात जनरल व्ही.के.सिंग ने कही। भारत के वर्तमान सेनाप्रमुख जनरल नरवणे ने कुछ दिन पहले ही लद्दाख का दौरा करके वहाँ की युद्ध की तैयारी का जायज़ा लिया था। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंग ने रक्षादलप्रमुख समेत तीनों रक्षा बलों के प्रमुखों से सुरक्षा के मुद्दे पर बैठक की थी। इस बैठक में, किसी भी स्थिति में देश की सार्वभूमता से समझौता करना संभव नही है, यही भरोसा प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री ने दिलाया था। इस पृष्ठभूमि पर, भारत के पूर्व सेनाप्रमुखों ने चीन को दी हुई चेतावनी की अहमियत और भी बनती है। चीन की सीमा पर हालाँकि हज़ारों सैनिक खड़े किए गए हों, लेकिन भारत-चीन के बीच युद्ध होने की संभावना नहीं है, यह बात पूर्व सेनाप्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने स्पष्ट की है।

कोरोना वायरस की महामारी नियंत्रण में रखने में नाकाम साबित हुए चीन की दुनियाभर से आलोचना हो रही है। साथ ही चीन की जनता में भी इस मसले पर असंतोष बना हैं। ऐसी स्थिति में जनता का ध्यान दूसरी ओर मोड़ने के लिए चीन सीमा विवाद का इस्तेमाल कर रहा होगा, ऐसी गहरी संभावना भारत के दोनों पूर्व सेनाप्रमुखों ने ज़ताई है। पाकिस्तान ने कब्ज़ा किए हुए कश्‍मीर समेत गिलगित-बाल्टिस्तान हासील करने की तैयारी भारत ने पूरी करने की ख़बरें कुछ दिन पहले सामने आयी थीं। इस वज़ह से पाकिस्तान के मन में बड़ा ड़र भरा है और इस क्षेत्र में अपनी ‘सीपीईसी’ परियोजना के लिए खतरा निर्माण होने से चीन भी बेचैन हुआ है। इसी कारण भारत पर लष्करी दबाव बनाकर, पाकिस्तान ने कब्ज़ा किए हुए कश्‍मीर एवं गिलगित-बाल्टिस्तान को बचाने की नीति चीन ने अपनाई होगी, ऐसा दावा भी कुछ सामरिक विश्‍लेषक कर रहे हैं। इसी वज़ह से, चीन के साथ के भारत के सीमा विवाद पर पाकिस्तान चीन से भी अधिक आक्रामकता से प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है। लेकिन भारत ने, चीन और पाकिस्तान ने इससे पहले ही हाथ मिलाया हुआ देखकर अपनी लष्करी सिद्धता पूरी रखी है और इसी वज़ह से दोनों देशों की दबावनीति का भारत की नीति पर थोड़ा सा भी असर नहीं होगा, यह बात भारतीय विश्‍लेषक स्पष्ट कर रहें हैं।

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