कपड़ा क्षेत्र के लिए केंद्र सरकार की १० हज़ार करोड़ रुपयों की योजना

नई दिल्ली – क्षमता के बावजूद वैश्‍विक कपड़ा क्षेत्र के बाज़ार में भारत का हिस्सा तुलना में काफी कम है। इस पृष्ठभूमि पर भारत में कपड़ा क्षेत्र को अधिकाधिक उत्पादन करने के लिए वैश्‍विक बाज़ार में अपना हिस्सा बढ़ाने के लिए निर्यात बढ़ाने के उद्देश्‍य से सरकार ने ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेन्टिव’ (पीएलआय) योजना लायी है। कपड़ा क्षेत्र के लिए १० हज़ार करोड़ रुपयों से अधिक राशि की योजना को केंद्रीय मंत्रिमंड़ल ने बुधवार के दिन मंजूरी प्रदान की। इस वजह से भारत में कपड़ा क्षेत्र का उत्पादन बढ़ेगा एवं बड़ी मात्रा में निवेश भी होगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया जा रहा है। साथ ही लगभग सात लाख प्रत्यक्ष रोज़गार और लाखों अप्रत्यक्ष रोज़गार का निर्माण भी होगा, यह दावा किया जा रहा है।

कपड़ा क्षेत्रकेंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने फ़रवरी में पेश किए गए केंद्रीय बजट में १३ अलग अलग क्षेत्रों के लिए ‘पीआयएल’ योजना का ऐलान किया था। इन १३ क्षेत्रों के लिए ‘पीआयएल’ योजना के तहत १.९७ लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान किया गया था। इनमें से कपड़ा क्षेत्र के लिए १,६८३ करोड़ रुपयों की ‘पीआयएल’ योजना घोषित हुई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंड़ल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई।

कपड़ा क्षेत्र के लिए लायी गई ‘पीआयएल’ योजना को इस क्षेत्र के लिए ‘गेम चेंजर’ माना जा रहा है। विशेष कर ‘मैन मेड फैब्रिक’ (एमएमएफ) कपड़ा एवं तैयार कपड़ों को और टेक्निकल टेक्सटाईल्स के उत्पादनों के लिए यह प्रोत्साहन योजना पेश की गई है। अब तक देश में सूती कपड़ों पर ज्यादा ध्यान दिया गया था। लेकिन, वैश्‍विक कपड़ा उद्योग के बाज़ार में दो तिहाई हिस्सा ‘एमएमएफ’ और ‘टेक्निकल टेक्सटाईल’ का है, इस ओर वर्णित योजना की जानकारी साझा करते समय केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ध्यान आकर्षित किया।

टेक्निकल टेक्सटाईल, नए पर्व का वस्त्र है और इसका इस्तेमाल बुनियादी सुविधा, जल, स्वास्थ्य और स्वच्छता, रक्षा, सुरक्षा, वाहन, हवाई परिवहन समेत अर्थव्यवस्था से जुड़े अन्य कई क्षेत्रों में होने से इस क्षेत्र की कार्यक्षमता में सुधार होगा। इस क्षेत्र के अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार ने इससे पहले एक राष्ट्रीय तकनीकी कपड़ा उद्योग अभियान की भी शुरूआत की है, इसे गोयल ने रेखांकित किया।

इस क्षेत्र में ज्यादा उत्पादन कर रही कंपनियाँ एवं कारखानों को सरकार प्रोत्साहन की रकम अदा करेगी। देश के कपड़ा क्षेत्र के लिए इकोसिस्टम तैयार करना ही इस योजना का उद्देश्‍य है। साथ ही निर्यात को गति प्रदान करके इस क्षेत्र के वैश्‍विक बाज़ार में अपना हिस्सा बढ़ाने की भारत की कोशिश है। इससे देश में कपड़ा निर्माण क्षेत्र के वैश्‍विक दर्जे की कंपनियों का निर्माण होगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया जा रहा है। ‘एमएमएफ’ तैयार कपड़े के क्षेत्र में ३०० करोड़ रुपयों का निवेश करने के लिए तैयार कंपनियों को और टेक्निकल टेक्सटाईल क्षेत्र में १०० करोड़ रुपयों का निवेश करनेवाली कंपनियों को इस योजना का लाभ उठाने के लिए निवेदन करना संभव होगा।

थ्री और फोर टियर शहरों में स्थित कारखानों को अधिक प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसका लाभ उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश, तेलंगना जैसे राज्यों को मिलेगा, यह दावा भी किया जा रहा है।

गन्ने और रबी की फसलों के मूल मूल्य में वृद्धि
बुधवार के दिन मंत्रिमंड़ल की बैठक में कुछ कृषि उत्पादनों का आधार मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के निर्णय पर मुहर लगाई गई। गन्ने का मूल मूल्य प्रति क्विंटल २९० रुपये बढ़ाया गया है। गेंहू का मूल्य १,९७५ से बढ़ाकर २०१५ किया गया है। चने का मूल्य १५० रुपयों से बढ़ाकर ५,२३० किया गया है। मसूर और सरसों की आधारभूत कीमत ४०० रुपयों से बढ़ाई गई है। इससे मसूर का आधारभूत मूल्य प्रति क्विंटल ५,५०० और सरसों का मूल्य प्रति क्विंटल ५,०५० हुआ है।

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