आर्थिक संकट टालने के लिए अधिक नोट छापने का विचार नहीं – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने दिलाया यकीन

नई दिल्ली – कोरोना के कारण आये आर्थिक संकट का निवारण करने के लिए अधिक नोट छापने का सरकार का विचार नहीं है, यह केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने स्पष्ट किया। लोकसभा में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में वित्त मंत्री ने यह खुलासा किया। भारतीय अर्थव्यवस्था की मूलभूत नियम बहुत ही मजबूत है, यह बताकर वित्त मंत्री सीतारामन ने इस मामले में देश को आश्वस्त किया। साथ ही, आत्मनिर्भर भारत की मुहिम चलाकर अर्थव्यवस्था को पहले जैसी बनाने की ज़ोरदार कोशिशें जारी हैं, ऐसा केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा।

आर्थिक संकटकोरोना की महामारी का जागतिक अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा असर हुआ होकर, विकसित देशों की अर्थव्यवस्था में भी इससे संकट में फँसी हैं। भारत भी इसके लिए अपवाद (एक्सेप्शन) नहीं है। कोरोना के चलते अर्थव्यवहार ठप्प पड़ने के कारण, सन २०२०-२१ इस वित्तीय वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में ७.३ फ़ीसदी की कमी आई, ऐसी जानकारी सीतारामन ने लोकसभा में दी। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत है। लॉकडाउन हटाने की प्रक्रिया शुरू हुई होकर, उसका सकारात्मक परिणाम अर्थकारण पर होने लगा है कामा इस पर सीतारामन ने गौर फरमाया। साथ ही, आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत विषय अंतर्गत उत्पादन को अहमियत देकर अर्थव्यवस्था पहले जैसी करने की ज़ोरदार प्रयास किए जा रहे हैं, ऐसा केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा है। लेकिन आर्थिक संकट का निवारण करने के लिए अधिक नोट छापने का सरकार का विचार नहीं है, ऐसा सीतारामन ने कहा है।

कुछ देशों ने अधिक से अधिक नोट छापकर, कोरोना के कारण निर्माण हुआ आर्थिक संकट टालने की कोशिश की है। आर्थिक स्थिरता पर इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसी उपाययोजनाओं के कारण हालाँकि अस्थाई रूप में शायद कुछ लाभ मिलें भी, फिर भी आनेवाले समय में इससे नए संकट देश के सामने खड़े रहने की संभावना होती है। भारत इस मार्ग से आर्थिक संकट का सामना नहीं करेगा। आर्थिक अनुशासन का पालन करके भारत इस चुनौती का सामना कर रहा है, ऐसे संकेत सीतारामन ने लोकसभा में दिए।

आत्मनिर्भर भारत योजना के लिए लगभग २९.८७ लाख करोड रुपए का पैकेज घोषित किया गया है। इस व्यापक आर्थिक प्रावधान के ज़रिए कोरोना की महामारी के झटके की तीव्रता कम करने की कोशिश सरकार ने की, ऐसा सीतारामन ने आगे कहा। सन २०२१ के बजट में पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) में लगभग ३४.५ प्रतिशत की बढ़ोतरी करके तथा स्वास्थ्य सुविधाओं पर खर्चा १३७ प्रतिशत बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का फैसला केंद्र सरकार ने किया था, इस पर सीतारामन ने गौर फरमाया।

बता दें, कोरोना की महामारी के बाद घटी हुई माँग यह भारत समेत सभी देशों के सामने सबसे बड़ी समस्या है, ऐसा दिखाई देने लगा है। इसी कारण माँग बढ़ाने के लिए की जा रही कोशिशें सर्वाधिक महत्वपूर्ण साबित होतीं हैं। अर्थ विशेषज्ञ इसपर गौर फरमा रहे होकर, माँग बढ़ने के बाद ही भारतीय अर्थव्यवस्था गतिमान होगी, ऐसा डटकर कह रहे हैं। माँग में बढ़ोतरी होने के बाद उत्पादन और सेवा क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, इससे रोजगार निर्माण तेज़ होगा और उसके बाद अर्थव्यवस्था पहले जैसे होने लगेगी, ऐसा अर्थ विशेषज्ञों का कहना है।

कोरोना की महामारी की तीव्रता कम हो रही है, ऐसे में भारतीय अर्थव्यवस्था सकारात्मक रुझान दिखा रही है, यह बहुत ही संतोषजनक बात साबित होती है, ऐसी राहत देनेवाली प्रतिक्रिया अर्थ विशेषज्ञ दे रहे हैं। खासकर भारत में आ रहे ठेंठ विदेशी निवेश में हुई बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था की विश्‍वासार्हता अधिक ही बढ़ानेवाली बात साबित होती है। इस कारण वर्तमान परिस्थिति हालाँकि चुनौतीभरी है, फिर भी आनेवाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था प्रदर्शन दमदार होगा, ऐसा दावा विश्लेषकों द्वारा किया जा रहा है।

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