ब्रिटन और सऊदी अरेबिया के बीच अरबों डॉलर्स का रक्षा अनुबंध

लंडन: ब्रिटन और सऊदी अरेबिया के बीच दो अरब डॉलर्स का विशेष रक्षा सहकार्य अनुबंध पूरा हुआ। इस अनुबंध के अनुसार सऊदी अरेबिया ब्रिटन की तरफ से ४८ ‘टायफून’ लड़ाकू विमानों की खरीदारी करने वाला है और दोनों देशों के बीच रक्षा सहकार्य का यह बड़ा सहकार्य अनुबंध होने का दावा किया जा रहा है। सऊदी अरेबिया के साथ किए इस अनुबंध पर ब्रिटन में प्रतिक्रिया उमटी है और विरोधकों ने सदर सहकार्य मतलब ब्रिटन के लिए शर्मनाक बात है, ऐसी टीका की है।

पिछले हफ्ते सऊदी अरेबिया के ‘क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’ ने ब्रिटन का दौरा किया था। अपने इस दौरे के अंतिम तीसरे दिन प्रिंस मोहम्मद ने ब्रिटन के रक्षा मंत्री गॅविन विल्यम्सन से मुलाकात करके करीब दो अरब डॉलर्स के रक्षा सहकार्य पर हस्ताक्षर किए थे। इस रक्षा सहकार्य का पूरा तपशील सामने नहीं आया है। लेकिन इसमें ब्रिटन के ‘बीएई’ इस विमान निर्माण करने वाली कंपनी के साथ अनुबंध का भी समावेश होने की घोषणा की गई है।

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‘‘बीएई’ इस कंपनी ने प्रसिद्ध की हुई जानकारी के अनुसार, सऊदी ने ४८ टायफून लड़ाकू विमानों की खरीदारी का अनुबंध किया है। सऊदी अरेबिया के इस अनुबंध की वजह से ब्रिटन में कम से कम २००० लोगों को रोजगार प्राप्त होने वाला है, ऐसा दावा ‘बीएई’ ने किया है। ब्रिटन के रक्षा और सुरक्षा विभाग से संबंधित अधिकारियों ने सदर अनुबंध का स्वागत किया है। इस वजह से ब्रिटन और सऊदी के बीच सहकार्य अधिक दृढ होगा, ऐसा भरोसा ब्रिटन के अधिकारियों ने व्यक्त किया है।

सऊदी के बेड़े में पहले से ही ७२ टायफून विमान मतलब टायफून विमानों से सज्जित चार स्क्वाड्रन हैं। सन २००७ में ब्रिटन ने सऊदी के साथ इस बारे में अनुबंध किया था। पिछले वर्ष आखरी कुछ विमानों की आपूर्ति करने के बाद यह अनुबंध खत्म हो गया था। सऊदी ने ‘ब्रिटन की तरफ से और ‘टायफून’ विमानों की खरीदारी की माँग की थी। लेकिन ब्रिटन के विरोधक और मानवाधिकार संगठनों ने सऊदी अरेबिया के साथ के रक्षा सहकार्य पर आपत्ति जताई थी।

येमेन के साथ संघर्ष में सऊदी के लड़ाकू विमान हौथी बागियों के साथ येमेनी जनता पर हमले कर रहे थे, ऐसा आरोप मानवाधिकार संगठन कर रहे हैं। इन हमलों के माध्यम से सऊदी युद्ध के नियमों का उल्लंघन कर रहा है, ऐसी टीका करके ब्रिटन के विरोधक और मीडिया ने सऊदी के साथ भविष्य के सहकार्य के लिए विरोध किया था। पिछले कुछ वर्षों से ब्रिटन की संसद में इस संबंध में तीव्र मतभेद सामने आए थे।

सऊदी अरेबिया के ‘क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’ के ब्रिटन दौरे में भी इन मतभेदों के परिणाम दिखाई दिए थे। क्राउन प्रिंस मोहम्मद के ब्रिटन दौरे के विरोधकों ने जोरदार निषेध किया था। येमेन के संघर्ष के लिए सऊदी जिम्मेदार होने की टीका ब्रिटन के विरोधकों ने किया। उसीके साथ ही सऊदी और अन्य अरब मित्र देशों ने कतार पर डाले बहिष्कार का भी निषेध किया था। ब्रिटन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इस विवाद पर चुप रहकर सऊदी के साथ सहकार्य को महत्व दिया जाएगा, ऐसा स्पष्ट किया था। लेकिन ‘बीएई’ ने सऊदी के साथ किए नए अनुबंध के बाद थेरेसा मे के विरोधकों ने अपनी टीका की धार को तेज की है।

सऊदी को टायफून विमान बेचने का निर्णय यह ब्रिटन के लिए शर्मनाक है। अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर मानवी सहायता के बड़े सहाय्यक की ब्रिटन की प्रतिमा थी। लेकिन येमेन में मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाले सऊदी को लड़ाकू विमानों की आपूर्ति करने की वजह से ब्रिटन की प्रतिमा को कालिक लगी है, ऐसी टीका विरोधकों ने की है।

दौरान, ब्रिटन के साथ के इस अनुबंध की वजह से सऊदी की हवाई सुरक्षा में बढ़ोत्तरी होगी, ऐसा दावा सऊदी का मीडिया कर रहा है। साथ ही सऊदी में भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई की पृष्ठभूमि पर ‘क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’ का पहला विदेश दौरा सफल साबित हुआ है, ऐसा कहा जा रहा है।

हिजबुल्लाह को निहत्था करना आवश्यक

खाड़ी में स्थिरता लाने के लिए लेबेनॉन के हिजबुल्लाह संगठन को निहत्था करना और इस क्षेत्र में ईरान का प्रभाव कम करना आवश्यक है, ऐसी माँग ब्रिटन और सऊदी अरेबिया ने की है। ब्रिटन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे और सऊदी के ‘क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान’ ने संयुक्त निवेदन में सदर माँग की है।

हिजबुल्लाह को निहत्था करते समय लेबेनॉन की लोकनियुक्त सरकार को अन्य सभी देशों का समर्थन मिलना आवश्यक है, ऐसा प्रिंस मोहम्मद ने इस दौरान कहा है। खाड़ी में शांति और सुरक्षा के लिए ईरान अपने पडौसी देशों की राजनीति में हस्तक्षेप न करे, पडौसी देशों के साथ मतभेद कम करने की कोशिश करे, ऐसा आवाहन प्रधानमंत्री मे और प्रिंस मोहम्मद ने किया है।

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