मानवाधिकारों के मुद्दे पर सऊदी अरब की घेराबंदी करने की बायडेन प्रशासन की तैयारी – अमरीका के विदेश विभाग की सऊदी के विरोध में आलोचना

वॉशिंग्टन – सऊदी अरब में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है और सऊदी के राजघराने के कुछ लोग संदेहास्पद तरीके से लापता हुए हैं’, ऐसी टिप्पणी अमरीका के विदेश मंत्रालय ने की है। एक रिपोर्ट में यह दावे कर के अमरीका के विदेश मंत्रालय ने सऊदी के हालातों पर चिंता जाहिर की। इससे पहले तुर्की में मारे गए पत्रकार जमाल खाशोगी की हत्या करवाने के आदेश, सऊदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने ही दिए होने के दावे अमेरिकी गुप्तचर यंत्रणाओं ने किए थे। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि मानवाधिकारों के मुद्दे पर अमरीका सऊदी की घेराबंदी करने की तैयारी में है।

us-biden-saudiदो दिन पहले अमरीका के विदेश मंत्रालय ने मानवाधिकारों से संबंधित रिपोर्ट प्रकाशित की। अकेले सऊदी में ही हजारों बार मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ है, ऐसा इस रिपोर्ट में कहा गया है। सऊदी के राजघराने की अंदरूनी राजनीति पर टिप्पणी न करते हुए, राजघराने के सदस्यों के अधिकारों का मुद्दा इसमें उपस्थित किया गया है। साल भर पहले सऊदी में प्रिन्स अहमद बिन अब्दुलअझिझ, प्रिन्स नईफ बिन अहमद, प्रिन्स मोहम्मद बिन नईफ तथा प्रिन्स नवाफ बिन नईफ इन चार वरिष्ठ सदस्यों को हिरासत में लिया था। इस पर अमरीका के विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट में आलोचना की गई है।

इनमें से प्रिन्स अहमद यह सऊदी के किंग सलमान के सगे छोटे भाई और प्रिन्स नईफ भतीजे हैं। वहीं, प्रिन्स मोहम्मद बिन नईफ ये किंग सलमान के ही कार्यकाल में क्राऊन प्रिन्स और अंतर्गत सुरक्षामंत्री थे। इनमें से प्रिन्स अहमद ने दो साल पहले किंग सलमान और क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान के विरोध में भूमिका अपनाई थी। सऊदी ने येमन में शुरू की लष्करी कार्रवाई के विरोध में लंदन में प्रदर्शन आयोजित किए गए थे। तब प्रिन्स अहमद ने आरोप किया था कि इस संघर्ष के लिए उनके सगे भाई किंग सलमान तथा उनके पुत्र क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद जिम्मेदार हैं।us-biden-saudi

इसी दौरान जर्मनी में निवास करने वाले सऊदी राजघराने के सदस्य प्रिन्स खालिद बिन फरहान ने प्रिन्स अहमद से भेंट करके बगावत के लिए उकसाया था। प्रिन्स अहमद समेत प्रिन्स मुरकीन तथा प्रिन्स मोहम्मद बिन नईफ यह भी राजघराने में बगावत कराने की साजिश में सहभागी होने की बात सामने आई थी। उस समय क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान ने अपने चाचा और भाइयों को गिरफ्तार किया था। इनमें से प्रिन्स मोहम्मद बिन नईफ को सऊदी राजघराने के सुरक्षा रक्षकों ने हिरासत में लेने के बाद उन्हें कहाँ नज़रकैद में रखा है, उसका पाँच महीनों तक अता-पता नहीं था, ऐसा उल्लेख इस रिपोर्ट में किया गया है।

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की इस रिपोर्ट में सऊदी में होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करके चिंता जाहिर की गई है। लेकिन इस रिपोर्ट में केवल एक ही बार क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान का उल्लेख किया गया है। यानी खुलेआम सऊदी के क्राऊन प्रिन्स को लक्ष्य करना इस रिपोर्ट में टाला गया है। ऐसा होने के बावजूद भी, क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान पर दबाव बढ़ाने के लिए ही अमरीका के बायडेन प्रशासन ने गतिविधियाँ शुरू कीं होने के स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं।us-biden-saudi

सऊदी अरब यह मानवाधिकारों का पालन करने के लिए मशहूर होने वाला देश नहीं है। अमरीका ने समय-समय पर उसकी ओर अनदेखा किया था। लेकिन अब बायडेन प्रशासन येमन में चल रहा संघर्ष, खाशोगी की हत्या और सऊदी के राजघराने के लापता सदस्य, इनका इस्तेमाल करके क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान को घेरने की तैयारी में है। इससे पहले बायडेन प्रशासन ने, येमन के संघर्ष में सहभागी हुए सऊदी को अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई करने से इनकार किया था। साथ ही यह मन पर कब्जा होने वाले हाउथी बागियों को आतंकवादियों की सूची से निकालने का साहसी निर्णय भी बायडेन प्रशासन ने किया।

राष्ट्राध्यक्ष बायडेन सत्ता में आने के बाद हाउथी बागियों के सऊदी पर हमले अधिक ही तीव्र हुए हैं, यह महज इत्तेफाक ना होने की चर्चा शुरू हुई है। इस कारण सऊदी को लक्ष्य करने के लिए मानवाधिकारों का मुद्दा नए से उपस्थित कर कमा अमरीका के विदेश विभाग ने एक और कदम आगे बढ़ाया दिख रहा है।

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