नाइजेरिया की स्वीकृति के बाद अफ्रीका में ‘मुक्त व्यापार समझौते’ का नया स्तर

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरनिआमे: पश्‍चिमी अफ्रीका का सबसे बडा देश के तौर पर जाने जा रहे नाइजेरिया ने अफ्रीकी महाद्विप में अहम मुक्त व्यापार समझौते का हिस्सा होने के लिए स्वीकृति दी है| नाइजेरिया की इस स्वीकृति की वजह से अफ्रीका में मुक्त व्यापार समझौते का हिस्सा होनेवाले देशों की संख्या ५३ हुई है| साथ ही वर्ष २०२० से अफ्रीकी महाद्विप ते इस मुक्त व्यापार समझौते पर अमल शुरू होने की राह आसान हुई है, यह प्रतिक्रिया वरिष्ठ अधिकारियों ने दर्ज की|

अफ्रीकी देशों की मुख्य संगठन के तौर पर जानी जा रही ‘अफ्रीकी महासंघ’ ने वर्ष २००२ में महाद्विप के सभी देशों में मुक्त व्यापारी समझौता करने का विचार रखा था| इसके बाद वर्ष २०१३ में इस समझौते का प्राथमिक प्लैन सामने रखा गया| वर्ष २०१५ से २०१८ के बीच हुई कई बैठकों के जरिए अफ्रीका के सभी देश हिस्सा होनेवाले मुक्त व्यापारी समझौते का मसौदा तैयार किया गया| पिछले वर्ष मार्च महीने में रवांडा में हुई बैठक के दौरान ४४ देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे|

एक अरब से भी अधिक जनसंख्या और करीबन २.५ ट्रिलियन डॉलर्स का आम ‘जीडीपी’ इतनी व्याप्ती होनेवाला यह समझौता अफ्रीकी महाद्विप के आर्थिक विकास में एक अहम पायदान साबित हुआ है| समझौते के नुसार सभी अफ्रीकी देश एक दुसरे के उत्पाद पर लगाया कर ९० प्रतिशत से कम करेंगे और सेवा एवं सामान की यातायात मुक्त यातायात इस समझौते के केंद्र में है| लेकिन, अफ्रीकी देशों में बने मतभेद और वांशिक संघर्ष की वजह से इस समझौते पर लगातार सवाल किया जा रहा था|

अफ्रीका का बडा देश होनेवाले नाइजेरिया ने इस समझौते में शामिल होने से किया इन्कार भी इस समझौते के अमल में बना प्रमुख अडंगा होने की बात कही जा रही थी| लेकिन, अफ्रीकन महासंघ की बैठक शुरू होने से पहले ही नाइजेरिया के राष्ट्राध्यक्ष ने समझौते का हिस्सा होने की तैयारी दिखाने से अफ्रीकी मुक्त व्यापार समझौते की राह काफी मात्रा में आसान हुई है, यही समझा जा रहा है|

कुछ दिन पहले ही पश्‍चिमी अफ्रीका के १५ देशों ने ‘इको’ नाम से नया आम चलन इस्तेमाल करने का निर्णयकिया था| साथ ही नाइजेरिया ने हा करने से और अन्य देशों ने एक दुसरे पर जताया भरोसा, इस वजह से अफ्रीका में मुक्त व्यापार समझौते को गति मिली है| यह दोनों घटनाएं अफ्रीकी देशों में बढ रहा सहयोग और आर्थिक विकास के लिए शुरू कोशिशों के पुख्ता संकेत दे रही है|

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