चीन की बढ़ती आक्रामकता के विरोध में अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के स्वार्म ड्रोन युद्धाभ्यास का आयोजन

वॉशिंग्टन – आर्टिफिशल इंटेलिजन्स (एआई) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के नियंत्रित स्वार्म ड्रोन्स के बड़े युद्धाभ्यास का हाल ही में आयोजन हुआ। अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया इन ‘ऑकस’ के मित्र देशों का इस तरह का यह पहला ही युद्धाभ्यास था। ‘ऑकस’ का गठन चीन का प्रभाव कम करने के लिए हुआ था। इस वजह से ‘ऑकस’ देशों का यह युद्धाभ्यास भी चीन विरोधी होने का दावा किया जा रहा है।  

स्वार्म ड्रोनअमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन ने इस स्वार्म ड्रोन्स युद्धाभ्यास की जानकारी प्रदान की। पिछले महीने ब्रिटेन के विल्टशायर में इस युद्धाभ्यास का आयोजन हुआ। तीनों देशों के ‘एआई’ पर आधारित ड्रोन्स के सामर्थ्य का परीक्षण करने के लिए इसका आयोजन करने का बयान पेंटॅगॉन ने किया है। इस दौरान स्वार्म ड्रोन्स के ज़रिये शत्रु के सैन्य ठिकानों की जानकारी प्राप्त करने का अभ्यास किया गया। इसमें इस्तेमाल किए गए स्वार्म ड्रोन्स की संख्या घोषित करने से पेंटॅगॉन दूर रहा। लेकिन, ७० से अधिक सैन्य अधिकारी और ठेकेदार इस युद्धाभ्यास का हिस्सा बने थे, ऐसा पेंटॅगॉन ने कहा है।

‘ब्ल्यू बिअर घोस्ट’ और ‘इंसीटू सीटी २२०’ जैसे ड्रोन्स के साथ ‘चैलेन्जर २’ टैंक, वॉरिअर बख्तरबंद वाहन एवं हथियारों का भी इस युद्धाभ्यास में इस्तेमाल किया गया। इससे ऑकस देश आगे के खतरों का मुकाबला करने के लिए कितने तैयार हैं, इसका परीक्षण इस युद्धाभ्यास की वजह से हुआ। दुनियाभर की स्वतंत्रता और जनतांत्रिक मूल्य की रक्षा करने के लिए यह युद्धाभ्यास अहम था, यह भी पेंटॅगॉन ने कहा है। अमरिकी रक्षा मुख्यालय ने इस युद्धाभ्यास की जानकारी साझा करते समय चीन का ज़िक्र करने से दूरियां बनाई। लेकिन, अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के समावेश से बने ‘ऑकस’ का गठन हमारे खिलाफ किया गया है, ऐसा आरोप चीन लगा रहा है।

पैसिफिक क्षेत्र में तनाव निर्माण करने के लिए अमरीका और ब्रिटेन ने ऑस्ट्रेलिया को करीब लाया है, ऐसी आलोचना चीन ने पहले ही की थी। ऐसे में चीन की आक्रामकता को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी से लैस करने का ऐलान अमरीका ने किया था। कुछ हफ्ते पहले अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच परमाणु पनडुब्बी संबंधित समझौता भी हुआ था।

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