तैवान की खाडी में अमरिकी युद्धपोतों की गश्त

Third World Warवॉशिंगटन: अमरिकी नौसेना की दो युद्धपोतों ने तैवान के खाडी से सफर की है| अमरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सागरी यातायात की स्वतंत्रता के पक्ष में है, यही इस सफर से स्पष्ट होता है, ऐसा अमरिकी रक्षा मुख्यालय ने घोषित किया है| इस दौरान, अर्जेंटिना में शुरू हो रही ‘जी-२०’ बैठक की पृष्ठभुमि पर अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनकी भेंट हो रही है| इस भेंट के कुछ ही घंटो पहले चीन दावा कर रहे तैवान के सागरी क्षेत्र में गश्त करके अमरिकी युद्धपोतों ने चीन को चेतावनी दी है, यह दिख रहा है|

अमरिका की ‘युएसएस स्टॉकडेल’ और इंधनवाहक ‘युएसएनएस पेकॉस’ इन पोतों ने तैवान की सागरी क्षेत्र से गश्त की| अमरिका की ‘पैसिफिक फ्लिट’ ने इस गश्ती की जानकारी घोषित की है| अंतरराष्ट्रीय नियमों के दायरे में रह कर अमरिका की प्रक्षेपास्त्र भेदी यंत्रणा से लैस ‘युएसएस स्टॉकडेल’ और अन्य जहाज ने यह गश्त पूरी की है, यह पेंटागॉन के प्रवक्ता लेफ्टनंट कर्नल ख्रिस्तोफर लोगान इन्होंने कहा| साथ ही अंतरराष्ट्रीय संगठनों की मान्यता के अनुसार हवाई और सागरी क्षेत्र में अमरिका की गश्त इसके बाद भी शुरू रहेगी, यह तैवान की खाडी में अमरिकी युद्धपोतों ने की गश्ती ने स्पष्ट किया है, ऐसा भी लोगान ने कहा है|

तैवान, खाडी, अमरिकी युद्धपोतों, गश्त, जी-२०, अमरिका, चीनतैवान की रक्षा मंत्रालय ने भी अमरिकी युद्धपोतों की इस गश्त का स्वागत किया है| अमरिकी युद्धपोतों की यह गश्त नियमित टाईमटेबल का हिस्सा थी, ऐसा तैवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा है| अमरिकी युद्धपोतों ने तैवान के खाडी क्षेत्र में गश्त करने का यह इस वर्ष का तिसरा अवसर है| इसके पहले जुलाई और अक्टुबर मे अमरिकी युद्धपोतों ने तैवान के सागरी क्षेत्र से सफर किया था| उस दौरान भी अमरिकाने अंतरराष्ट्रीय सागरी यातायात की स्वतंत्रता का पुरस्कार करने के लिये ही यह गश्त की है, ऐसा अमरिका ने कहा था|

तैवान यह हमारा ही क्षेत्र है, यह दावा चीन कर रहा है| इस वजह से कोई भी देश तैवान को स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता ना दे, यह चेतावनी चीन अन्य देशों को समय समय पर दे रहा है| चीन की इन चेतावनी के बाजवजूद भी संंबंधित देशों ने तैवान के साथ कारोबार शुरू रखा तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, चीन के साथ शुरू सहयोग खत्म होगा, यह चेतावनी चीन ने दी थी| साथ ही तैवान का एक इंच क्षेत्र भी चीन छोडेगा नही, यह कहकर चीन के वरिष्ठ सेना अधिकारी ने तैवान के लिये अपना देश युद्ध करने के लिये भी तैयार है, ऐसा धमकाया था|

लेकिन, चीन की इस धमकी की ओर अनदेखा करके अमरिका ने तैवान के साथ राजनीतिक और लष्करी सहयोग भी स्थापित किया है| पिछले सालभर में अमरिका ने तैवान को बडी मात्रा में लष्करी सहयोग किया है| तैवान को विनाशिका, हेलिकॉप्टर्स देने की तैयारी भी अमरिका ने जताई है| अमरिका और तैवान के लष्करी सहयोग पर आपत्ति जताकर चीन ने अपनी विमान वाहक युद्धपोत तैवान के खाडी क्षेत्र की तरफ रवाना की थी| चीन के इस युद्धपोत की गश्त हमे उकसा रही है, यह आलोचना तैवान ने की थी|

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