ऊर्जाक्षेत्र में भारत के साथ साझेदारी करने के लिए अमरीका तैयार – अमरीका के पर्यावरणविषयक विशेषदूत जॉन केरी

जॉन केरीवॉशिंग्टन – ‘सन २०३० तक ४५० गिगावॅट्स इतनी मात्रा में अक्षय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) के निर्माण का लक्ष्य भारत में अपने सामने रखा है। लेकिन यह ध्येय हासिल करने के लिए आवश्यक निधि और तंत्रज्ञान भारत के पास नहीं है। इसके लिए भारत को अमरीका की सहायता आवश्यक है और अमरीका इस मोरचे पर भारत के साथ साझेदारी करनेवाली है। लेकिन इसके लिए भारत ने अंतर्गत स्तर पर कुछ बदलाव करना अपेक्षित है’, ऐसा पर्यावरण के संदर्भ में अमरीका ने नियुक्त किए विशेषदूत जॉन केरी ने कहा है।

अमरिकी संसद की ‘फॉरिन रिलेशन्स कमिटी’ के समक्ष जारी सुनवाई में जॉन केरी बात कर रहे थे। भारत में ऊर्जा की माँग भारी पैमाने पर बढ़नेवाली है। भारत ऊर्जा के लिए कोयला और अन्य विकल्पों पर अधिक मात्रा में निर्भर है। लेकिन ये पर्यावरणपूरक विकल्प न होकर, भारत पर्यावरण से सुसंगत विकल्पों का इस्तेमाल करके ऊर्जा प्राप्त करेगा, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किया था। सन २०३० तक भारत अक्षय ऊर्जा निर्माण की मात्रा बढ़ानेवाला होकर, यह क्षमता ४५० गिगावॅट्स तक ले जाएगा, इसका यक़ीन प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाया था। इसका हवाला जॉन केरी ने इस सुनवाई के दौरान दिया।

जॉन केरीलेकिन इसके लिए भारत के पास पर्याप्त मात्रा में निधि और तंत्रज्ञान नहीं है। इसके लिए भारत को अमरीका से सहायता लेनी पड़ेगी, ऐसा दावा केरी ने किया। इसके लिए अमरीका उत्सुक है। लेकिन अगर अमरीका का इस क्षेत्र में निवेश और अमरीका का तंत्रज्ञान भारत चाहता है, तो भारत को अंतर्गत स्तर पर कुछ बदलाव करवाने होंगे, ऐसा केरी ने कहा। भारत ने कार्बन का उत्सर्जन कम करने की जरूरत है, ऐसा भी केरी ने आगे बताया। लेकिन चीन यह कार्बन का सर्वाधिक मात्रा में उत्सर्जन करनेवाला देश है, यह बताकर केरी ने चीन की आलोचना की। कार्बन का उत्सर्जन कम करने के लिए अमरीका और दुनियाभर के अन्य देश कर रहे प्रयासों को चीन से प्रतिसाद नहीं मिल रहा, ऐसी आलोचना भी जॉन केरी ने की है।

इसी बीच, इससे पहले भी भारत को ऊर्जा की सप्लाई करने के लिए अमरिकी कंपनियाँ उत्सुक होने की खबरें सामने आईं थीं। भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अमरिकी कंपनियों को अपेक्षित मौका नहीं दिया जाता, ऐसी शिकायत इन कंपनियों ने की थी। इस मामले में लॉबिंग करके अमरिकी प्रशासन के जरिए भारत पर दबाव डालने की कोशिश भी इन ऊर्जा निर्माण करनेवालीं कंपनियों ने करके देखी थी। इस मोरचे पर अमरीका के दबाव की भारत ने परवाह नहीं की है। भारत खुद ही अक्षय ऊर्जा का निर्माण कर रहा है। इस मोरचे पर भारत को मिल रही सफलता अमरिकी कंपनियों की चिंता बढ़ानेवाली साबित होती है।

ऐसी परिस्थिति में अमरीका फिर एक बार, इसके लिए भारत पर दबाव डालने की कोशिश करने के आसार दिखाई देने लगे हैं। जॉन केरी ने भारत को इस मामले में दिया प्रस्ताव, एक ही समय पर सहयोग भी और चेतावनी भी होने की गहरी संभावना सामने आ रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.