ट्युनिशिआ के राष्ट्राध्यक्ष द्वारा संसद के निलंबन के बाद लष्करी तैनाती की घोषणा – प्रधानमंत्री समेत कई मंत्रियों को पद से हटाया

tunisia-military-deployment-2ट्युनिस – ट्युनिशिआ के राष्ट्राध्यक्ष कैस सईद ने सोमवार को संसद के निलंबन का ऐलान किया। संसद बर्खास्त करने के साथ ही, प्रधानमंत्री समेत कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को भी पद से निकाला गया होकर, देशभर में लष्कर तैनात किया गया है। विरोधी गुटों ने, राष्ट्राध्यक्ष का यह फैसला यानी बगावत होने का आरोप किया है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी तीव्र गूँजें सुनाईं दीं होकर, अमरीका, संयुक्त राष्ट्र संगठन, युरोपीय महासंघ, अरब लीग समेत अग्रसर देशों ने, लोकतंत्र और मानवाधिकार का पालन किया जाए, ऐसी आग्रही भूमिका रखी है। पिछले दशक के ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन की शुरुआत जिस ट्युनिशिआ में हुई थी, वहाँ फिर एक बार राजनीतिक अस्थिरता और असंतुष्टता तीव्र हुई दिखाई दे रही है।

सन २०१०-११ में ट्युनिशिआ में हुए प्रदर्शन और आंदोलन के बाद, तत्कालीन तानाशाह ‘झिन अल अबिदिन बेन अली’ का तख्तापलट किया गया था। उसके बाद ‘एन्हादा’ इस इस्लामिक राजनीतिक गुट ने सत्ता हासिल करने में सफलता प्राप्त की थी। लेकिन पिछले दशक भर में ट्युनिशिआ में एक भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। दस सालों में कई बार सरकारें बदली गईं होकर, कुछ सरकारें चंद कुछ महीनों तक ही शासन कर सकीं। इस राजनीतिक अस्थिरता की पृष्ठभूमि पर, ट्युनिशिआ की जनता ने सन २०१९ में ‘पॉलिटिकल आउटसायडर’ होनेवाले सईद का राष्ट्राध्यक्षपद पर चयन किया था।

tunisia-military-deployment-1लेकिन उसके बाद भी ‘एन्हादा’ यह राजनीतिक गुट देश को स्थिर सरकार देने में असफल रहा। भ्रष्टाचार, पुलिस कार्रवाई और कोरोना की महामारी को काबू में लाने में आई असफलता, इस पृष्ठभूमि पर पिछले कुछ महीनों से ट्युनिशिआ में फिर से सरकार विरोधी प्रदर्शन शुरू हुए। जुलाई महीने में ये प्रदर्शन अधिक ही तीव्र हुए और उन्होंने हिंसक मोड़ ले लिया। उसपर नियंत्रण पाने में सरकार को असफलता मिलने के कारण, रविवार रात को इमरजेंसी बैठक बुलाकर राष्ट्राध्यक्ष सईद ने संसद बर्खास्त करने की घोषणा की। साथ ही, सईद ने प्रधानमंत्री हिशेम मेशिशी के साथ रक्षा मंत्री तथा अन्य प्रमुख मंत्रियों को भी पद से हटाया है।

tunisia-military-deployment-3राष्ट्राध्यक्ष सईद के इस फैसले से ट्युनिशिआ में दो गुट पड़े दिखाई दे रहे हैं। किसी भी प्रकार का राजनीतिक समर्थन ना होनेवाली जनता ने सईद की कार्रवाई का स्वागत किया होने का चित्र सोमवार को देखने को मिला। दूसरी ओर ‘एन्हादा’ और सरकार में होनेवाले अन्य राजनीतिक गुटों के समर्थकों ने राष्ट्राध्यक्ष के फैसले का तीव्र विरोध किया है। एन्हादा तथा अन्य राजनीतिक पार्टियों ने, राष्ट्राध्यक्ष सईद का फैसला यानी बगावत होने का आरोप किया है। लेकिन सईद ने यह बताया कि उन्होंने राज्य संविधान के अनुसार ही फैसला किया है।

संसद बर्खास्त करने के बाद ट्युनिशिअन राष्ट्राध्यक्ष ने देश में लष्कर तैनात किया होकर, संचार बंदी की घोषणा की है। उसी समय, देश में कोरोना महामारी को नियंत्रण में लाने की ज़िम्मेदारी भी लष्कर के पास सौंपने का राष्ट्राध्यक्ष सईद ने ऐलान किया। ट्युनिशिआ के किसी भी गुट ने अगर हथियार हाथ में लेकर हिंसाचार मचाने की कोशिश की, तो लष्कर की ‘बुलेट्स’ उसका जवाब देंगी, ऐसी तीखी चेतावनी भी उन्होंने दी।

ट्युनिशिआ की गतिविधियों पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय ने चिंता ज़ाहिर की होकर, राष्ट्राध्यक्ष सईद लोकतंत्र स्थिर रखने पर जोर दें, ऐसा जताया है। अमरीका के विदेश मंत्री अँथनी ब्लिंकन ने, ट्युनिशिआ के राष्ट्राध्यक्ष के साथ उनकी फोन पर चर्चा होने की जानकारी दी है। संयुक्त राष्ट्र संगठन तथा अरब लीग ने, ट्युनिशिआ की गतिविधियाँ चिंताजनक होने की प्रतिक्रिया दी है।

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