शांति के अभाव के कारण विश्व यातनाएं भोग रहा है – ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रान्सिस

वैटिकन सिटी – युक्रेन के संवेदनाहीन संघर्ष में अनाज का इस्तेमाल हत्या जैसा किया जा रहा है विश्व फिलहाल शांति के अभाव के कारण यातनाएं भुगत रहा है, ऐसा ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु आदरणीय पोप फ्रान्सिस ने कहा है। क्रिस्मस के मौके पर वैटिकन सिटी स्थित सेंट पीटर्स बैसिलिका से दिए गए संदेश में उन्होंने इन दिनों जारी तीसरे महायुद्ध में युक्रेन के अलावा अफगाणिस्तान, येमेन, सिरिया, म्यानमार, लेबेनॉन, इस्रायल-पॅलेस्टाईन, हैती एवं ईरान के नागरिकों की तकलीफों का उल्लेख किया। विश्व के जिम्मेदार राजकीय नेताओं ने आगे बढकर अनाज का इस्तेमाल शांति के लिए ही करना चाहिए, ऐसा आवाहन भी पोप फ्रान्सिस ने किया।

शांति के अभावइससे पहले रशिया-युक्रेन युद्ध को संबोधित करते हुए पोप फ्रान्सिस ने निरंतररूप से, विश्व तीसरे महायुद्ध के दौर से गुजर रहा है, ऐसा भी आगाह किया था। तो, रशिया एवं युक्रेन के बीच जारी युद्ध के पूर्णविराम के लिए कुछ भी करने की अपनी तैयारी दर्शाई थी और इसकी मध्यस्था के लिए हम कोशिश करेंगे, इन शब्दों में उन्होंने शांति के लिए कदम आगे बढाने की बात कही थी। क्रिस्मस के त्यौहार के अवसर पर दिए गए संदेश में भी पोप फ्रान्सिस ने वैश्विक शांति के मुद्दे पर ज़ोर दिया।

युक्रेन की जनता क्रिस्मस के दौरान भी अंधेरा और कडाके की ठंड से झूझ रहे हैं, इसका पोप फ्रान्सिस ने अहसास दिलाया। युद्ध की ठंडी हवा मानवता को दोनों तरफ से धक्के दे रही है इसकी ओर ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु ने ध्यान आकर्षित किया। जो कोई यातना और तकलीफें सह रहे हैं उनकी सहायता के लिए हम सबको सामर्थ्य देने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें, ऐसा आवाहन भी उन्होंने किया।

’विश्व के प्रत्येक युद्ध में अनाज का शस्त्र की तरह इस्तेमाल किया जाता है, इसी लिए जिनके पास अनाज की कमी है उन्हें योग्य अनाज की आपूर्ति करने में बाधाएं आती हैं। युक्रेन के युद्ध की वजह से यह परिस्थिति अधिक विकट कर दी है और अफगानिस्तान एवं अफ्रिका खंड के देशों में सूखा और भुखमरी का धोखा निर्माण हुआ है’, इन शब्दों में ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरु आदरणीय पोप फ्रान्सिस गंभीर संकट का अहसास दिलाया है।

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