टेडी बेअर की कथा

अमरीका के माजी राष्ट्राध्यक्ष रह चुके ओडोर रुझवेल्ट को शिकार करने का शौक था। लेकिन कार्यालयीन कामकाज में व्यस्त रहने के कारण अपना यह शौक पूरा करने के लिए रुझवेल्ट को फुरसत ही नहीं मिलती थी। परन्तु किसी काम की वजह से रुझवेल्ट मिसिसिपी गए थे; उसी दौरान उनके सहकर्मियों ने शिकार करने का विशेष समय निश्‍चित किया। परन्तु दस दिनों तक शिकार करने के लिए भटकते रहने के बाद भी, शिकार करने में विशेष महारत हासिल होने के बावजूद भी रुझवेल्ट को शिकार मिल ही नहीं रहा था, इससे रुझवेल्ट और उनके सहकर्मी भी हताश हो गए। चारों ओर निराशा फैली हुई थी।

परन्तु एक दिन शिकार करनी ही है यह निश्‍चय करके निकलनेवाले रुझवेल्ट के सहकर्मी एक असहाय कमज़ोर भालू (बेअर) के बच्चे को बाँधकर ले आये और उसे रुझवेल्ट के समक्ष खड़ा कर दिया और रुझवेल्ट को उस बच्चे को मार देने को कहा। परन्तु ‘स्वयं की सुरक्षा किसी भी तरह से न कर सकनेवाले उस भालू के बच्चे को देखकर उन्हें बहुत बुरा लगा और उन्होंने कहा कि ऐसे असहाय प्राणि को मारने का विचार भी मेरे लिए धिक्कार की बात होगी।’ ऐसा कहकर उन्होंने उस प्राणि को मारने से इनकार कर दिया।

ओडोर रुझवेल्ट

यह घटना राजकीय क्षेत्र में तीव्रगति के साथ फैल गई। जहाँ-तहाँ रुझवेल्ट और उस भालू के बच्चे की ही चर्चा होने लगी। यहाँ से यह घटना राजकारण के ही प्रसिद्ध व्यंगचित्रकार क्लिफोर्ड बेरीमॅन के व्यंगचित्रों का विषय बन गई। बेरीमॅन के व्यंगचित्र १९०२ नवम्बर के ‘द वॉशिंग्टन पोस्ट’ नामक वृत्तपत्रिका में प्रसिद्ध हो गए थे।

आरंभिक समय में बेरीमॅन ने एक बड़ा और काले रंग का बेअर दिखाया था। लेकिन बाद में इन चित्रों में उस बड़े से बेअर को सुंदर एवं मासूम रूप देकर छोटा सा बनाया गया। इसके पश्‍चात बेरीमॅन के चित्रों में उस छोटे बेअर का समावेश हमेशा के लिए हो गया। इन चित्रों पर मॉरिश मिशटॉम की नजर पड़ी और इन चित्रों में बेअर के बच्चों को देखकर इस प्रकार के खिलौने छोटे बच्चों के लिए बनाने की ज़बरदस्त कल्पना उनके मन में आई।

मिशटॉम ‘ब्रुकलीन’ नामक दुकान के मालिक थे। हस्तकला में माहिर रहनेवाले मिशटॉम ने एक सुंदर सा, आकर्षक ऐसा छोटा सा बेअर बनाया। यह खिलौना अपनी दुकान के ‘शो-विंडो’ में रखकर उसके समक्ष एक छोटा सा नेमप्लेट रख दिया। उस पर लिखा था, ‘टेडीज् बेअर’….. और यहीं से शुरु हुआ ‘टेडी बेअर’ का सफर। दुकान में रखे हुए छोटे से मासूम टेडी बेअर को देखकर अमरीका के छोटे ही नहीं बल्कि बड़े भी उस मासूम टेडी बेअर के प्रति आकर्षित हो गए। कुछ दिनों में ही इस छोटे से टेडी बेअर की माँग काफी बड़े पैमाने पर होने लगी और मिशटॉम ने इस टेडी बेअर की निर्मिति करके आयडियल नॉवेल्टी एण्ड टॉय कंपनी भी स्थापित कर दी।

ओडोर रुझवेल्ट

मिशटॉम के अलावा जर्मनी एवं अन्य कुछ स्थानों पर भी कुछ लोगों ने टेडी बेअर की निर्मिति करना शुरू कर दिया। मिशटॉम की पत्नी क्राफ्ट बनाने में प्रवीण थीं। उन्होंने अपने इस कौशल का उपयोग कर मिशटॉम की काफी मदद की। लेकिन समय के साथ साथ टेडी बेअर पुराना अथवा पारंपारिक न रहकर उसका आकर्षण बढ़ता ही गया। आज टेडी बेअर नामक खिलौने छोटे-बड़े सभी आकारों में, विविध रंगों में उपलब्ध हैं। महिलाओं में, कॉलेज के छात्रों के साथ साथ छोटे बच्चों में भी इसका आकर्षण आज भी बरकरार है।

कहीं पर भी आसानी से ले जाया जा सकनेवाले इस टेडी बेअर ने क्राफ्ट के क्षेत्र में, खासकर सॉफ्ट टॉईज् के व्यापार में बड़े पैमने पर क्रांति लायी है। क्राफ्ट मेकिंग क्षेत्र की सीमा का विस्तार करते हुए किसी भी राष्ट्र, भाषा अथवा प्रांत की मर्यादा न रखते हुए इस टेडी बेअर ने अपना विशेष स्थान लोगों के मन में निर्माण कर दिया है। इतना ही नहीं बल्कि १९८४ में ब्रिटन के हॅम्पशायर नामक स्थान पर दुनिया के प्रथम टेडी बेअर संग्रहालय की स्थापना की गई।

अनेकों बार होनेवाली नीलामियों में अब तक टेडी बेअर ने १,१०,००० पौंड्स कीमत का जागतिक रिकॉर्ड स्थापित कर लिया है। आज भी टेडी बेअर उपहार स्वरूप देने हेतु, घर की सजावट अथवा पसंद के रुप में अनेक घरों में दिखाई देते हैं। इससे ही हम समझ सकते हैं कि टेडी बेअर का जादू आज भी बरकरार है।

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