राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किए कृषि विधेयक पर हस्ताक्षर

नई दिल्ली – राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाल ही में राज्यसभा ने पारित किए गए तीनों कृषि विधेयकों पर हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही अब यह विधेयक कानून में परीवर्तित हुए हैं। ‘एक देश एक प्रणाली’ की धर्ती पर ‘एक देश एक बाज़ार व्यवस्था’ निर्माण करना सरकार का उद्देश्‍य है और इसके अनुसार यह तीन कृषि विधेयक संसद में पेश किए गए थे। इससे पहले जून महीने में एक अध्यादेश जारी करके इस पर अमल किया गया था। अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस अध्यादेश की जगह पर यह कानून लागू होगा। लेकिन, कुछ किसान एवं सियासी संगठन इस कानून का विरोध कर रहे हैं।

president-ramnath-kovindबीते सप्ताह में राज्यसभा में किसान उत्पादन और व्यापार एवं वाणिज्य’ (प्रोत्साहन और सुविधा), ‘किसान हक और सुरक्षा और कीमत की पुष्टि एवं कृषि सेवा समझौता’ यह तीन विधेयक संसद में पारित हुए थे। इन विधेयकों की वजह से कृषि उत्पन्न बाज़ार समिती ने मंजूर किए बाज़ारों के बाहर भी किसानों को अपने सामान की खरीद-बिक्री करना संभव होगा। कृषि उत्पादों की अंतरराज्य यातायात में महसूस हो रही बाधाएं दूर होंगी। इससे बाजार और यातायात का खर्च कम होगा और किसानों को अपने उत्पादन के लिए बढ़िया कीमत मिल सकेगी, यह दावा किया जा रहा है। साथ ही किसानों के लिए ई-ट्रेडिंग की व्यवस्था भी उपलब्ध कराई जाएगी।

किसानों को अपने उत्पादन के लिए ठोक विक्रेता, प्रोसेसिंग इंडस्ट्री और कंपनियों के साथ समझौता करके अपने उत्पादन की कीमत पहले ही तय करना संभव होगा। पांच हेक्टर से कम ज़मीन के मालिक होनेवाले किसानों के लिए ऐसी कान्ट्रैक्ट खेती के नियमों से लाभ होगा। इससे बाज़ार में हो रहे उतार-चढ़ाव से किसानों की रक्षा होगी। क्योंकि ऐसी कान्ट्रैक्ट पद्धती से इस उतार-चढ़ाव का भार कान्ट्रैक्टर को उठाना होगा। साथ ही मध्यस्थता करनेवालों की जरूरत भी नहीं रहेगी और किसानों को अच्छा मुनाफ़ा कमाना संभव होगा, यह दावा सरकार कर रही है।

इसके साथ ही ‘इसेनिश्‍यिल कमोडिटीज्‌’ यानी ‘अत्यावश्‍य वस्तू सुधार कानून’ के तहत कुछ कृषि उत्पादन अत्यावश्‍यक वस्तूओं की सुचि से निकाले गए हैं। इस वजह से दाल, प्याज़, आलू एवं अनाज़ के भंड़ारण पर अब प्रतिबंध नहीं रहेंगे। यह प्रतिबंध हटाए गए हैं। प्रतिबंध कम होने से इस क्षेत्र में विदेशी या अधिक निजी निवेशक आकर्षित होंगे, यह विश्‍वास व्यक्त किया जा रहा है। साथ ही कृषि सामान की कीमत स्थिर रखने के लिए भी इससे सहायता होगी, यह विश्‍वास भी सरकार व्यक्त कर रही है।

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