‘आईएसआई’ की साजीश से पठानकोट ‘हाय अलर्ट’ पर

चंडीगड – पाकिस्तान की ‘आईएसआई’ ने पंजाब में पठानकोट के दो रेल्वे स्थानकों पर आतंकी हमला करने की साजीश की है| एक ओर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शांति के लिए भारत के सामने सहयोग करने की गुजारिश कर रहे है| वही, दुसरी ओर पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर संगठन अभी भी भारत में आतंकी हमलें करने की साजीश कर रही है, यह बात स्पष्ट हुई है| कुछ हफ्तें पहले ही अमरिका के वरिष्ठ लष्करी अधिकारी और विशेषज्ञों ने ‘आईएसआई’ अभी भी भारत में आतंकी हमलें करने के लिए साजीश कर रही है, यह दावा किया था|

पठानकोट में वायुसेना के अड्डे से करीबन दो किलोमीटर दूरी पर होनेवाले ‘पठानकोट छावनी’ और ‘पठानकोट जंक्शन’ इन दोनों रेल्वे स्थानकों पर आतंकी हमलें करने की साजीश करने की बात सामने आ चुकी है| इसके पीछे ‘आईएसआई’ होने की बात भी स्पष्ट हुई है| गुप्तचर विभाग ने इस बारे में सूचना प्राप्त होने के बाद रेल्वे ने सावधानी बरतने की चेतावनी दी है| इन दोनों स्थानकों पर सुरक्षा व्यवस्था में बढोतरी की है| इस बारे में रेल्वे के कर्मचारियों को सावधानी बरतने की सूचना जारी की गई है| पठानकोट के यह रेल्वे स्टेशन्स पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा से करीबन २० किलोमीटर दूरी पर स्थित है|

जनवरी २, २०१६ के रोज पठानकोट में वायुसेना के अड्डे पर ‘जैश ए मोहम्मद’ ने कायराना हमला किया था| इस हमले में ७ सैनिक शहीद हुए थे| आतंकियों के साथ सुरक्षा दल चार दिन मुठभेड कर रहे थे और इस दौरान छह आतंकी ढेर किए गए थे| यह हमला ‘जैश ए मोहम्मद’ ने करने की बात स्पष्ट हुई थी| इस पर भारत में संतप्त प्रतिक्रिया उमड रही थी| ‘आईएसआई’ ने इस हमले के लिए जैशी की सहायता करने की बात भी स्पष्ट हुई थी| इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक बातचीत रद्द की थी|

फिर भी पाकिस्तान के उस समय के प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ सरकार ने इस हमले की जांच करने की तैयारी दिखाने पर भारत ने कुछ पाकिस्तानी अधिकारियों को भारत आने की अनुमति दी थी| साथ ही नवाझ शरीफ ने पहली बार इस मामले में पाकिस्तान में तक्रार दाखिल करके अच्छी शुरूआत की थी| लेकिन, इस पर पाकिस्तान में कडी प्रतिक्रिया उमड रही थी और वह भारत के पक्ष में होने का आरोप शुरू हुआ था| अभी भी पाकिस्तान ने कर्तारपूर कॉरिडॉर खुला करके भारत के साथ बातचीत करने की तैयारी दिखाई है| ऐसी स्थिति में ‘आईएसआई’ ने भारत में आतंकी हमला करने की साजीश की है|

इस वजह से भारत को बातचीत का प्रस्ताव देनेवाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को इस बातचीत को पक्का किसका विरोध है, इस पर गंभीरता से विचार करना होगा|

Leave a Reply

Your email address will not be published.