दक्षिण अफ्रीका के दंगे पूर्वनियोजित साज़िश का भाग – राष्ट्राध्यक्ष सिरील राम्फोसा का आरोप

केपटाऊन – दक्षिण अफ्रीका में भड़का हुआ भीषण हिंसाचार यह पूर्व नियोजित साजिश का भाग होकर, इसके पीछे देश के लोकतंत्र के दुश्मनों का हाथ है कोमा ऐसा गंभीर आरोप राष्ट्राध्यक्ष सिरील राम्फोसा ने किया है। दक्षिण अफ्रीका की सत्ताधारी हुकूमत का तख्ता पलटने के लिए बगावत करने की कोशिश नाकाम कर दी गई है कोमा ऐसा दावा भी उन्होंने किया। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष जेकब झुमा को हुए कारावास के मुद्दे पर देश में भीषण दंगे भड़के हैं। इन दंगों में अब तक २१२ से अधिक लोगों की जानें गई होकर कामा मालमत्ता का प्रचंड भारी मात्रा में नुकसान हुआ है।

riots-south-africa-2पिछले एक हफ्ते से अधिक समय दक्षिण अफ्रीका के विभिन्न भागों में भीषण दंगे भड़के हैं। देश के कई भागों में लष्कर तैनात किया गया होकर, परिस्थिति अभी भी पूरी तरह नियंत्रण में नहीं आई है। इस पृष्ठभूमि पर राष्ट्राध्यक्ष राम्फोसा ने शुक्रवार रात को देश को संबोधित करके आश्वस्त करने की कोशिश की। इस समय उन्होंने यह कबूली भी दी की अचानक बड़े पैमाने पर बड़की हिंसक परिस्थिति का सामना करने के लिए यंत्रणाएँ पूरी तरह तैयार नहीं थीं।

‘ पिछले हफ्ते भर में देश में भड़का हिंसाचार यह पूर्व नियोजित साजिश का भाग था। देश के लोकतंत्र पर जानबूझकर हमला किया गया। हिंसाचार के लिए उकसाने वाले सूत्रधार ओ को देश की अर्थव्यवस्था को डावाडोल करना था। एक लोकतंत्र वादी देश को कमजोर अथवा सीधे ध्वस्त करने की साजिश रची गई थी। सत्ताधारी हुकूमत का तख्ता पलटने के लिए बगावत करवाने का हेतु था। गरीबी और बेरोजगारी के मुद्दों का गैर इस्तेमाल किया गया और बेगुनाह जनता की जान से खिलवाड़ की गई’, ऐसा तीखा आरोप राष्ट्राध्यक्ष सिरील राम्फोसा ने किया।

इस समय राष्ट्राध्यक्ष राम्फोसा ने, दंगों में मारे गए भारतीय वंश के नागरिकों का भी विशेष उल्लेख किया। हफ्तेभर जारी भारतीय वंश के नागरिकों को लक्ष्य किया गया और ये हमले नियोजित थे, ऐसा दावा दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष ने किया। ‘भारतीय वंश के नागरिक दक्षिण अफ्रीका के लिए, देश की अर्थव्यवस्था के लिए और समाज के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। भारतीय नागरिकों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाएगा, चिंता करने की उन्हें कोई जरूरत नहीं’, ऐसा यकीन भी राम्फोसा ने दिलाया। दक्षिण अफ्रीका में हुए दंगों में जान गँवा चुके लोगों में लगभग १०० नागरिक भारतीय वंश के बताए जाते हैं।

riots-south-africa-1दक्षिण अफ्रीका सरकार के खिलाफ बगावत करवाने की कोशिश नाकाम हुई होकर, जनता ने उसका साथ नहीं दिया है, ऐसा दावा भी राष्ट्राध्यक्ष राम्फोसा ने इस समय किया। देश में चल रहे हिंसाचार के लिए ज़िम्मेदार होनेवाले लोगों पर जब तक कार्रवाई नहीं होती, तब तक ख़तरा कायम है, यह भी दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष ने जताया। इस समय हिंसाचार के कारण हुआ नुकसान पूरा करने के लिए कुछ मात्रा में वित्त सहायता प्रदान की जाएगी, ऐसी घोषणा भी उन्होंने की। पिछले हफ्ते भर के हिंसाचार में आठ कारखानों समेत १६० से अधिक शॉपिंग मॉल्स, दुकान और गोदाम लूटे गए हैं, कइयों को आगें भी लगाईं गईं हैं।

दक्षिण अफ्रीका में सन १९९४ में सत्ता बदलाव के बाद पहली ही बार इतने बड़े पैमाने पर असंतोष और हिंसाचार देखा जा रहा है, ऐसा दावा प्रसार माध्यम और विश्लेषकों ने किया था। सन २००९ से २०१८ इस कालावधी में दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष होनेवाले जेकब झुमा पर भ्रष्टाचार के आरोप रखें गए हैं । इस मामले में जाँच में सहयोग ना करने के कारण सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें १५ महीने के कारावास की सजा सुनाई है।

दक्षिण अफ्रीका में पहली ही बार किसी पूर्व राष्ट्राध्यक्ष को जेल भेजा गया है। लेकिन झुमा पर की गई यह कार्रवाई उनके समर्थकों को रास नहीं आई होकर, उन्होंने यह हिंसाचार करवाया ऐसा माना जाता है। कुछ माध्यमों ने, झुमा की बेटियों ने हिंसाचार को उकसाया होने का दावा किया है।

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