मुंबई पर हुए २६/११ के आतंकी हमले का ‘मास्टरमाइंड’ हफीज सईद सबूतों के अभाव में पाकिस्तानी अदालत से रिहा

नई दिल्ली – पाकिस्तान के उच्च न्यायालय ने २६/११ के मुंबई आतंकी हमले के ‘मास्टरमाइंड’ हफीज सईद और उसके छह सहयोगियों को सबूतों के अभाव में ‘टेरर फंडिंग’ के मामले से रिहा किया है। पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी न्यायालय ने बीते वर्ष आतंकियों की आर्थिक सहायता के दो अलग-अलग मामलों में दोषियों को क्रम के नुसार दस और ग्यारह वर्ष की सज़ा सुनाई थी। तो भारत के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान में हफिज सईद पर दाखिल किए गए मुकदमे और हो रही कार्रवाई के धूल झोंकने की प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी। यह बात अब स्पष्ट हुई है।

हफीज सईद‘फायनान्शियल एक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर निकलने के लिए पाकिस्तान भी कड़ी कोशिश में होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे थे। लेकिन, मौजूदा स्थिति में ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ से पाकिस्तान के बाहर निकलने के कोई भी आसार नज़र नहीं आ रहे हैं। ऐसे में ही अब पाकिस्तान में अंदरुनि मसले काफी बड़े हुए हैं और इस दौरान प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार चरमपंथियों को शरण ले रही है।

पाकिस्तान के लाहौर उच्च न्यायालय ने आतंकियों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के मामले से हफिज सईद को रिहा किया है। इस मामले में जेल में बंद हफिज सईद एक साल से पहले ही बाहर निकला है। हफिज सईद के साथ उच्च न्यायालय ने अब्दुल रेहमान मक्की, नसरुल्ला, याहिया मुजाहिद, मलिक ज़फर इकबाल इन आतंकियों को भी रिहा किया है। उनके खिलाफ किसी भी तरह के पुख्ता सबूत ना मिलने का बयान करके लाहौर उच्च न्यायालय ने आतंकवाद विरोधी अदालत का निर्णय पलट दिया है।

हफिज सईद को जेल में रखना यानी पाकिस्तान की सरकार ने उसे प्रदान की हुई सुरक्षा का आरोप पहले ही लगाया गया था। साथ ही जेल में उसे हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जाने की खबरें भी सामने आयी थी। इस वजह से कार्रवाई का केवल दिखावा किया जा रहा है, ऐसा विश्‍लेषज्ञों का स्पष्ट विचार था। भारत ने भी बीते वर्ष हफिज सईद को सज़ा होने के बाद यह पाकिस्तान द्वारा धूल झोंकने की कोशिश होने की प्रतिक्रिया दर्ज़ की थी। विश्‍व को दिखाने के लिए ही पाकिस्तान यह कार्रवाई कर रहा है, ऐसा भारत ने कहा था। यह बात सच साबित हुई है।

मुंबई पर वर्ष २००८ में हुए आतंकी हमले के ‘मास्टरमाइंड’ हफिज सईद पर इस मामले दर्ज़ किए मुकदमे का काम अभी तक जरासा भी आगे नहीं बढ़ा है। साथ ही इस मामले में रहमान लख्वी के साथ अन्य सभी आरोपी आज़ाद घूम रहे हैं। इसकी वजह से पाकिस्तान को इन पर कार्रवाई करने में थोड़ीसी भी रूचि ना होने की बात स्पष्ट हो रही है। आतंकियों को अपना ‘स्ट्रैटेजिक असेट’ माने जा रहे और आतंकी हमले के बाद उसका ज़िम्मा ‘नॉन स्टेट एक्टर’ पर धकेलकर खुदको रिहा करनेवाले पाकिस्तान से दूसरी कोई भी उम्मीद नहीं की जा सकती, ऐसा विशेषज्ञों का स्पष्ट विचार है।

पाकिस्तान में फिलहाल अंदरुनि मामले प्रचंड़ बढ़े हुए हैं। इसी दौरान चरमपंथी संगठन भी आक्रामक हुए हैं। हाल ही में पाकिस्तान की इम्रान खान सरकार ‘तेहरिक ए लबैक पाकिस्तान’ के आतंकियों के सामने स्पष्ट तौर पर शरणागत होती दिखाई दी है। आतंकी संगठन घोषित किए गए ‘तेहरिक ए लबैक’ की सभी माँगे हिंसक प्रदर्शनों के बाद इम्रान खान की सरकार ने स्वीकारी थीं। रविवार के दिन ‘तेहरिक ए लबैक’ पर लगाई गई पाबंदी भी हटाई गई। यह पाबंदी हटाने के बाद ‘तेहरिक ए लबैक’ अब चुनाव में उतरेगी। इसी ‘तेहरिक ए लबैक’ के प्रदर्शनों के पीछे भारत का हाथ होने के झूठे आरोप इम्रान खान की सरकार लगा रही थी। इम्रान खान की सरकार सभी मोर्चों पर असफल रही है और पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ तीव्र क्रोध है। इनमें चरमपंथी गुटों को नाराज़ करने के लिए इम्रान खान की सरकार तैयार नहीं है। इस पृष्ठभूमि पर हफिज सईद की रिहाई को देखना होगा।

साथ ही ‘एफएटीएफ’ ने पाकिस्तान को लेकर सख्त रुख अपनाया है। इस वजह से कुछ भी होने के बावजूद एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर निकलना मुमकिन नहीं होगा, इसका अहसास पाकिस्तान को है। इसी कारण अगली बैठक का समय नज़दीक आते ही पाकिस्तान फिर से कार्रवाई करने का दिखावा खड़ा करेगा, यह दिखाई दे रहा है।

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