चीन को रोकने के लिए जापान को ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ में शामिल करने की गतिविधियां शुरू

टोकियो – कोरोना वायरस की महामारी और चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत की जारी वर्चस्ववादी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर चीन के विरोध में जागतिक मोर्चा मज़बूत करने की कोशिश अलग अलग स्तर पर शुरू है। इन्हीं कोशिशों के एक हिस्से के तौर पर गुप्तचर यंत्रणाओं का गुट ऐसी पहचान प्राप्त हुए ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ में जापान को शामिल करवाने की गतिविधियां तेज़ हुई है। अमरीका और ब्रिटेन ने इसके लिए पहल की है और इससे संबंधित प्रस्ताव प्राप्त होने पर जापान इसका स्वागत ही करेगा, यह संकेत भी जापानी रक्षामंत्री ने दिए हैं। चीन के माध्यमों ने भी इस पर संज्ञान लिया है और इस मोर्चे में जापान शामिल होने पर जापान को गंभीर परिणाम भुगतने पडेंगे, यह इशारा भी चीन ने दिया है।

‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’दूसरे विश्‍वयुद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरीका और ब्रिटेन की गुप्तचर यंत्रणाओं ने एक-दूसरे से सहयोग बढ़ाने के लिए समझौता किया था। बाद में इसमें कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्युज़ीलैण्ड को शामिल किया गया था। अमरीका और रशिया के बीच हुए शीत युद्ध के दौर में यह मोर्चा और मज़बूत करने के लिए कदम उठाए गए थे। शीत युद्ध की समाप्ति के बाद भी यह गुट कार्यरत है, लेकिन इसकी गतिविधियों का दायरा कुछ मात्रा में कम हुआ था। ऐसे में बीते दशक से चीन ने रशिया के साथ सहयोग बढ़ाया और इनके गुट की बढ़ती हरकतों की पृष्ठभूमि पर ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ ने अपने मोर्चे का विस्तार करने की दिशा में चर्चा शुरू की है।

दो वर्ष पहले अमरीका ने चीन की हुवेई कंपनी के विरोध में शुरू की हुई कार्रवाई के दौरान भी ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ के विस्तार से संबंधित प्रस्ताव आगे आए थे। इस दौरान जापान, जर्मनी और फ्रान्स को इस अलायन्स में शामिल करने के संकेत दिए गए थे। इसके बाद अमरीका के कुछ सांसदों ने भारत और दक्षिण कोरिया को भी इस गुट में शामिल करने के लिए आवाहन किया था। कोरोना वायरस की महामारी के पृष्ठभूमि पर अमरीका और चीन के बीच शुरू हुए राजनयिक संघर्ष ने इस गुट की गतिविधियां को गति प्राप्त हुई है।‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’

कोरोना की महामारी की वजह से जागतिक अर्थव्यवस्था को बड़े झटके लगे है और अमरीका एवं यूरोपिय देशों ने चीन पर बनी अपनी निर्भरता कम करने की गतिविधियां शुरू कर दी हैं। जापान विश्‍व में तीसरे क्रमांक की अर्थव्यवस्था है और तकनीकी क्षेत्र में विश्‍व के प्रमुख पांच देशों में से एक जाना जाता है। तकनीकी क्षेत्र की प्रगति, ब्योपारी साझेदारी और आर्थिक ताकत की वजह से जापान का एशियाई क्षेत्र में अच्छा प्रभाव बना हुआ है। यह पृष्ठभूमि ध्यान में रखकर जापान का ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ में शामिल होना अहम घटना साबित हो सकती है।

कुछ दिन पहले ब्रिटेन में हुए एक अभ्यासगुट के कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन के सांसदों ने जापान एक अहम रणनीतिक साझेदार हो सकता है, यह संकेत भी दिए थे। इसी कार्यक्रम में जापान के रक्षामंत्री तारो कोनो भी उपस्थित थे। उन्होंने चीन तकनीकी एवं आर्थिक ताकत के बल पर स्वकेंद्रीत जागतिक व्यवस्था का निर्माण करने की कोशिश में जुटा होने की ओर ध्यान आकर्षित किया। इस दिशा में जारी चीन की गतिविधियां रोकने के लिए जापान सहयोग करने के लिए तैयार है और ‘फाईव आईज्‌ अलायन्स’ का प्रस्ताव प्राप्त होने पर जापान स्वागत ही करेगा, ऐसे स्पष्ट संकेत भी उन्होंने दिए।

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