४५ दिनों में मंगल तक की यात्रा मुमकिन होगी – मैक्गिल युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों का दावा

ओटावा – पृथ्वी से मंगल तक का सफर ४५ दिनों में मुमकिन है, यह दावा कनाड़ा की मैक्गिल युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया है| इस यात्रा के लिए अब लगभग ९ महीने लगते है| लेकिन, ‘लेज़र थर्मल प्रॉपल्शन सिस्टम’ की सहायता से यह यात्रा मात्र डेढ़ महीने में पूरी कर पाना मुमकिन होगा, ऐसा कनाड़ा के वैज्ञानिकों का कहना है|

मैक्गिल युनिवर्सिटीपिछले कुछ वर्षों में विश्‍व के प्रमुख देशों समेत एलॉन मस्क जैसे प्रमुख उद्यमी ने मंगल तक जाने की महत्वाकांक्षी योजना का ऐलान किया है| इनमें अमरीका, चीन, यूएई समेत भारत का भी समावेश है| फिलहाल मंगल पर भेजे जानेवाले अंतरिक्ष यान के लिए ‘क्रायोजेनिक लिक्विड ऑक्सिजन’ एवं सौर ऊर्जा का इस्तेमाल किया जाता है| भविष्य में परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष यान विकसित करने की भी कोशिश जारी है|

इस पृष्ठभूमि पर कनाड़ा की मैक्गिल युनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इमैन्युएल ड्युप्ले ने लेज़र के इस्तेमालवाले ‘डायरेक्टेड एनर्जी प्रॉपल्शन’ की संकल्पना रखी है| पृथ्वी से अंतरिक्ष में स्थित यान पर ‘फोटोवोल्टिक ऐरेज’ पर लेज़र छोड़कर ऊर्जा का निर्माण करके इसके ज़रिये यान को गति प्रदान करने की योजना ड्युप्ले ने बनाई है| ‘लेज़र थर्मल प्रॉपल्शन सिस्टम’ के कारण प्राप्त होनेवाली ऊर्जा की सहायता से अंतरिक्ष यान मौजूदा गति से अधिक तेज़ सफर करके मंगल के करीब पहुँचेगा, ऐसा कनाड़ा के वैज्ञानिक ने कहा है| कुछ वर्ष पहले ‘ब्रेकथ्रू इनिशिएटिव’ नामक गुट ने भी १०० गिगावॉट क्षमता के लेज़र के इस्तेमाल से अंतरिक्ष यान रवाना करने की योजना पेश की थी|

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