अफगानिस्तान से अमरीका की सेना वापसी पर चीन ने जताई चिंता

बीजिंगसेना वापसी – अमरीका की अफगानिस्तान से वापसी बहुत ही जल्दबाजी में और गड़बड़ी में शुरू होकर, इससे अफगानी शांति प्रक्रिया तथा क्षेत्रीय स्थिरता पर गंभीर असर होने की आलोचना चीन ने की है। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र संगठन उचित भूमिका निभाएं, ऐसा आवाहन भी चीन ने किया। चीन तथा पाकिस्तान के विदेश मंत्रियों में फोन पर हुए संभाषण के दौरान चीन के विदेश मंत्री ने यह बयान किया है। भारत और पाकिस्तान का समावेश होनेवाला ‘शांघाय कोऑपरेशन ऑर्गनायझेशन’ यह गुट भी अफगानिस्तान की स्थिति पर गौर फरमाएँ, ऐसा भी चीन के विदेश मंत्री वांग ई ने कहा है।

ओसामा बिन लादेन को खत्म करना और अफगानिस्तान में होनेवाले आतंकवादियों के आश्रयस्थान नष्ट करना, इन दो लक्ष्यों के लिए अमरिकी लष्कर ने अफगानिस्तान में कदम रखा था। इन दोनों लक्ष्यों को साध्य करने में अमरीका सफल हुई। अफगानिस्तान के युद्ध को स्थाई स्वरूप में खत्म करके अपने जवानों को घर वापस बुलाने का समय आया है’, ऐसी घोषणा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने पिछले महीने में की थी। १ मई से अमरीका की अफगानिस्तान से सेना वापसी शुरू होगी। यह सेना वापसी क्रमानुसार की जाएगी। इसमें किसी भी प्रकार की जल्दबाजी नहीं की जाएगी। ११ सितंबर से पहले यह सेना वापसी पूरी होगी, ऐसा बायडेन ने स्पष्ट किया था। अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने किया फैसला, बायडेन ने बरक़रार रखने के कारण अमरिकी नेताओं समेत कई लोगों ने बायडेन पर नाराज़गी ज़ाहिर की थी।

सेना वापसीचीन ने की आलोचना के पीछे झिंजिआंग प्रांत के उइगरवंशियों का मुद्दा है, यह कारण बताया जाता है। चीन का झिंजिआंग प्रांत अफगान सीमा से सटा हुआ है। पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान आयएस यह आतंकवादी संगठन फिर से सक्रिय हुआ दिख रहा है। झिंजिआंग में सैकड़ों उइगरवंशीय इसमें शामिल हुए होने की बात इससे पहले ही सामने आई है। अमरीका अगर अफगानिस्तान से बाहर निकलती है, तो आयएस फिर से अफगानिस्तान में आक्रामक होगा और उसकी सहायता से उइगरवंशीय झिंजिआंग में हमले करेंगे, ऐसी चिंता चीन को सता रही है। इसी कारण चीन ने अमरीका की वापसी को लक्ष्य किया है।

अफगानिस्तान के मामले में चीन दिखा रहा दिलचस्पी यह बहुत ही गौरतलब मुद्दा साबित होता है। अफगानिस्तान की खनिज संपत्ती पर चीन निगाहें गड़े हुए है, यह इससे पहले भी कई बार सामने आया था। अमरीका की सेना वापसी के बाद, अफगानिस्तान में अपने सुरक्षाविषयक और आर्थिक क्षेत्र के हितसंबंध बरक़रार रखने के लिए चीन विशेष उत्सुक होने की खबरें आ रहीं हैं। इसी कारण, ज़रूरत पड़ने पर चीन अफगानिस्तान में अपना लष्कर तैनात कर सकता है, ऐसे दावे कुछ विश्लेषकों ने किए थे।

उस पृष्ठभूमि पर, अमरीका की सेना वापसी के कारण निर्माण होनेवाली परिस्थिति का जो हवाला चीन द्वारा दिया जा रहा है, वह दरअसल अपने दाँवपेंचों को वास्तव में उतारने की चीन की तैयारी होने की गहरी संभावना है। अफगानिस्तान का इस्तेमाल करके चीन, ईरान से लेकर मध्य एशियाई देशों तक अपने प्रभाव का विस्तार कर सकेगा। लेकिन चाहे कुछ भी हो, अमरीका चीन को अफगानिस्तान में घुसने नहीं देगी, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। अपनी सेना वापसी के बाद भी अफगानिस्तान में अमरीका के हितसंबंधों की रक्षा की जाएगी, ऐसा आश्वासन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने सेना वापसी की घोषणा करते समय ही दिया था।

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