ईरान को परमाणु खतरे का सामना करना होगा – संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में इस्रायली प्रधानमंत्री की चेतावनी

न्यूयॉर्क/जेरूसलम – ‘जब तक इस्रायल के प्रधानमंत्री रहेंगे तब तक हम ऐसे सभी उन विकल्पों को अपनाएंगे जिससे ईरान परमाणु बम हासिल नहीं कर सकेगा’, ऐसी चेतावनी प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में दी। लेकिन, उनके अगले बयान ने सनसनी निर्माण की है। ईरान को होने वाले खतरों में परमाणु खतरा भी हैं, यह कहकर प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने यह संकेत दिए है कि, ईरान पर इस्रायल परमाणु हमला कर सकता हैं। इस्रायल ने सार्वजनिक तौर पर कभी भी अपने बेड़े में परमाणु हथियार होने की कबुली नहीं दी है। फिर भी इस्रायल एक परमाणु देश होने का अहसास पूरे विश्व को हैं। इसी कारण से प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने ईरान को पहली बार परमाणु युद्ध की चेतावनी देकर सबकी चिंता बढ़ाई हैं।  

संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभासंयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा के लिए उपस्थित हुए प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने शुक्रवार के अपने भाषण में इस्रायल ने राजनीतिक, व्यापारी एवं सामरिक स्तर पर की हुई प्रगति की जानकारी प्रदान की। इसके लिए इस्रायल और अरब देशों के अब्राहम समझौते की जानकारी प्रदान की। वर्ष २०२० में इस्रायल ने यूएई, बहरीन और मोरोक्को के साथ अब्राहम समझौता करने की वजह से अरब और ज्यूधर्मियों की नज़दिकियां बढ़ने का ऐलान नेत्यान्याहू ने किया। सौदी अरब से सहयोग स्थापित करने के लिए जारी कोशिशों की वजह से खाड़ी में शांति स्थापित होगी, ऐसा दावा नेत्यान्याहू ने किया। वहीं, जी २० की बैठक में भारत, खाड़ी देश और यूरोप को जोड़ने वाले ‘इंडिया मिडल-ईस्ट यूरोप कॉरिडोर’ (आईएमईई) प्रकल्प में इस्रायल के समावेश की बात भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने रेखांकित की।

ईरान के परमाणु कार्यक्रम के मुद्दे पर बोलते हुए इस्रायली प्रधानमंत्री ने इससे होने वाला खतरा फिर से बयान किया। वर्ष २०१५ के समझौते का उल्लंघन करके परमाणु कार्यक्रम पर काम कर रहा ईरान भारी मात्रा में यूरेनियम संवर्धन कर रहा हैं, ऐसा आरोप नेत्यान्याहू ने लगाया। ईरान के परमाणु कार्यक्रम से होने वाले खतरे के कारण ही इस्रायल और अरब देश साथ मिल रहे हैं, यह ऐलान प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने आम सभा में किया। लेकिन, ईरान को परमाणु अस्त्र हासिल करने से रोकने के लिए इस्रायल परमाणु हमला भी कर सकता हैं, इसका अहसास कराके इस्रायल के प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है।  

इस मुद्दे को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया दर्ज़ होने से पहले ही नेत्यान्याहू के दफ्तर ने खुलासा किया। भाषण में ‘ईरान को सैन्यकी खतरे का सामना करना होगा’, ऐसा लिखा था और प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने गलती से सैन्यकी खतरे के बजाय परमाणु खतरा कहा, यह खुलासा इस्रायली प्रधानमंत्री के दफ्तर ने किया है। लेकिन, जो चेतावनी देनी थी वह देने के बाद इस्रायल ने किए इस खुलासे को कोई भी ज्यादा गंभीरता से देख नहीं रहा है।

इस्रायल के बेड़े में ९० परमाणु अस्त्र होने की संभावना जताई जा रही हैं। यह पूरे विश्व को ज्ञात हैं। फिर भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू जैसे नेता संयुक्त राष्ट्र संघ के व्यासपीठ से इस्रायली परमाणु अस्त्रों का विज्ञापन करने की भूमिका नहीं करेंगे, ऐसा दावा ‘इंटरनैशनल क्राइसिस ग्रूप’ नामक अभ्यास गुट के विश्लेषक रिचर्ड गोवन ने किया। इस वजह से इस्रायली प्रधानमंत्री ईरान के परमाणु अस्त्रों का मुद्दा उठाते समय दे रहे इशारे को बिल्कुल भी अनदेखा नहीं कर सकते, ऐसा विश्लेषक कह रहे हैं।

ईरान परमाणु अस्त्र धारी बना तो इस्रायल के अस्तित्व को खतरा होगा और यह बात इस्रायल कभी भी स्वीकार नहीं कर सकता, ऐसा इशारा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने पहले कई बार दिया था। इस्रायल के अस्तित्व को होने वाले खतरे को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए किसी भी स्तर पर जाने में हम हिचकिचाएंगे नहीं, यह भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने घोषित किया था। इसमें परमाणु हमले का समावेश हो सकता हैं, इसके संकेत देकर इस्रायली प्रधानमंत्री ने इस समस्या की गंभीरता काफी बढ़ने का अहसास न की सिर्फ ईरान को दिया है, बल्कि इसका अहसास अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी कराते दिखाई दिए हैं।

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