अमरीका, यूरोप, जापान और चीन मंदी के भंवर में फंसे तब भी भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी से खतरा नहीं है – नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार

नई दिल्ली – अमरीका, यूरोपिय देश, जापान और चीन को भी आर्थिक मंदी नुकसान पहुँचाएगी, ऐसी चिंता जताई जा रही है। भारत के विकासदर पर भी इसका थोड़ा-बहुत असर पडेगा। लेकिन, भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी का खतरा नहीं हो सकता। पूरे विश्व में मंदी हुई तब भी भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष २०२३-२४ में ६ से ७ प्रतिशत विकासदर पाएगी, यह विश्वास नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने व्यक्त किया है। साथ ही देश ने निर्यात बढ़ाने पर अधिक ध्यान केंद्रीत करने की आवश्यकता है, यह भी राजीव कुमार ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा।

कोरोना की महामारी और इसके बाद छिड़ा युक्रेन युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाल रहे हैं। अमरीका की वित्तमंत्री जेनेट येलेन और फेडरल रिज़र्व के प्रमुख जेरेम पॉवेल ने अमरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी से नुकसान पहुँच सकता है, यह कबूला था। यूरोप की मज़बूत अर्थव्यवस्था के देशों की आर्थिक स्थिति भी बिगडी हुई है और यह देश मंदी के चपेट से बचने की कोशिश कर रहे हैं। जापान के समक्ष भी काफी बड़ी आर्थिक समस्या खड़ी हुई है और चीन की अर्थव्यवस्था में गिरावट पूरे विश्व को झटका दे सकती है, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। इस तरह से विश्व के सभी प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाएं मंदी के साए में घिरी हुई हैं और ऐसे में भारत को यह खतरा नहीं होगा, ऐसा बयान अंतरराष्ट्रीय वित्तसंस्था और आर्थिक विशेषज्ञ आत्मविश्वास से कह रहे हैं। नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भी यही गवाही दी।

वैश्विक बैंक ने सन २०२२-२३ के वित्तीय वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का विकासदर ६.५ प्रतिशत रहेगा, यह अनुमान दर्ज किया है। इससे पहले के अनुमान की तुलना में यह १ प्रतिशत कम है। वैश्विक स्तर पर मंदी का थोड़ा-बहुत असर भारत पर यकीनन पडेगा, लेकिन अमरीका, यूरोपिय देश, जापान और चीन जैसे देशों को सता रहा आर्थिक मंदी का संकट भारत को परेशान नहीं करेगा। सन २०२३-२४ के वित्तीय वर्ष में भारत का विकासदर ६ से ७ प्रतिशत होगा, यह विश्वास राजीव कुमार ने व्यक्त किया। साथ ही भारत की महंगाई भी इस दौर में काबू में रहेगी। लेकिन, ईंधन तेल की कीमत और सप्लाई पर भी काफी कुछ निर्भर होगा, इसका अहसास राजीव कुमार ने कराया।

विश्व के अन्य प्रमुख देशों की मुद्राओं के साथ भारतीय रुपये की भी अमरिकी डॉलर की तुलना में गिरावट आई है। लेकिन, आम जनता आयात सामान इस्तेमाल नहीं करती, इसकी वजह से इस गिरावट का उन पर अधिक असर पडने की संभावना ना होने का बयान राजीव कुमार ने किया। साथ ही रुपये का मूल्य बढ़ने से अधिक रुपया अपने वास्तविक मूल्य के करीब रहना ही उचित होगा। इससे बड़ी गिरावट की संभावना कम होती है, यह दावा उन्होंने किया। भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन पर विश्वास व्यक्त करने के साथ ही राजीव कुमार ने देश को निर्यात पर अधिक ध्यान देने की सलाह दी।

निर्यात बढ़ाने के लिए व्यापक नीति बनाएं। लेकिन, एक ही नीति पूरे देश के लिए लागू करना मुमकिन नहीं होगा। तटीय क्षेत्र उपलब्ध ना होने वाला पंजाब राज्य और बड़ा तटीय क्षेत्र प्राप्त हुए तमिलनाडू को व्यापार कैसे करना है, इसका परंपरागत ज्ञान है। ऐसे राज्यों को निर्यात के लिए एक ही नीति लागू करना मुमकिन नहीं है। उनका स्वतंत्र विचार करना होगा, इस मुद्दे पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने ध्यान आकर्षित किया।

इसी बीच वैश्विक स्तर पर आर्थिक अनिश्चितता का माहौल होने के दौरान भारत चमकता सितारा बनकर उभर रहा है, ऐसा बयान केंद्रीय व्यापार मंत्री पियूष गोयल ने किया है। मुंबई में आयोजित एक समारोह में व्यापार मंत्री ने यह दावा किया। कोरोना की महामारी खत्म होने के बाद के चुनौति से भरे समय पर देश की अर्थव्यवस्था सामान्य स्तर पर लाने के लिए व्यावहारिक प्रावधान सरकार ने किए थे। सभी समाज घटकों के कल्याण का विचार करके यह योजना चलाई गई और इसका असर दिख रहा है, ऐसा गोयल ने कहा है।

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