अमरीका के नए रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन भारत में दाखिल

नई दिल्ली – अमरीका के नए रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन भारत के तीन दिनों के दौरे पर आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंग, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल के साथ लॉईड ऑस्टिन की चर्चा संपन्न होगी। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने क्वाड देशों की व्हर्च्युअल बैठक के लिए पहल करने के बाद, रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन का यह भारत दौरा दोनों देशों के बीच के द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि में अहम साबित हो सकता है।

लॉईड ऑस्टिन

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता अधिक से अधिक बढ़ रही है, ऐसे में भारत और अमरीका के बीच रक्षा विषयक सहयोग मजबूत करने के लिए रक्षा मंत्री ऑस्टिन भारत में दाखिल हुए हैं, ऐसा बताया जाता है। चीन के साथ एलएसी पर बने तनाव के बाद, भारत ने शस्त्रास्त्र और रक्षा सामग्री की खरीद के लिए तेज़ी से कदम उठाने का निर्णय किया है। अमरीका से भारत अत्याधुनिक ड्रोन्स की खरीद करनेवाला है। वहीं, अमरीका भारत को लड़ाकू विमान की सप्लाई करने के लिए उत्सुक है। भारत ११४ लड़ाकू विमान खरीदने वाला होकर, लॉकहीड मार्टिन और बोईंग ये अमेरिकन कंपनियाँ, इस कॉन्ट्रैक्ट को हासिल करने के लिए जोरदार कोशिशें कर रहीं हैं। अमरीका के रक्षा मंत्री अपने इस दौरे में भारत से नए कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने की जानतोड़ कोशिश करेंगे, ऐसी गहरी संभावना जताई जाती है।

इससे पहले अमरीका के रक्षा मंत्री ने जापान तथा दक्षिण कोरिया की भेंट की थी। उसके बाद वे भारत में दाखिल हुए होकर, उनके इस एशिया दौरे का लक्ष्य चीन है, ऐसा स्पष्ट हो रहा है। अमरीका के मित्र देशों के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाकर, चीन के विरोध में विश्‍वासार्ह मोरचा बनाने की घोषणा रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन ने की थी। पिछले हफ्ते भारत के प्रधानमंत्री, अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष और जापान तथा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों की वर्चुअल बैठक संपन्न हुई थी। इस बैठक में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता, शांति इसके लिए सहयोग करने की बात चारों नेताओं ने मान्य की थी। इस क्षेत्र में विस्तारवादी हरकतें करनेवाले चीन को चेतावनी देने के लिए इस बैठक का आयोजन किया गया, ऐसी चर्चा दुनियाभर की माध्यमसृष्टि में जारी थी।

इसके द्वारा, दो महीने पहले सत्ता की बागडोर संभालनेवाला अमरीका का बायडेन प्रशासन भी चीन की विस्तारवादी नीतियों का विरोध करेगा, ऐसा संदेश दिया जा रहा है। ऐसा होने के बावजूद भी भारत को बायडेन प्रशासन के बारे में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, ऐसा कुछ विश्लेषक बार-बार जता रहे हैं। क्या बायडेन प्रशासन का चीन को होनेवाला विरोध केवल शाब्दिक स्तर तक ही सीमित होगा, इसकी तसल्ली भारत कर लें, ऐसी सलाह ये विश्लेषक भारत को दे रहे हैं।

रक्षा मंत्री लॉईड ऑस्टिन के भारत दौरे से पहले अमरीका के कुछ सिनेटर्स यह माँग कर रहे हैं कि रशिया से एस-४०० की खरीद करने वाले भारत को प्रतिबंधों की धमकियाँ दीं जायें। वहीं, मानवाधिकारों के मुद्दे पर ऑस्टिन भारत पर दबाव लाने की कोशिश करेंगे, ऐसे दावे माध्यमों ने शुरू किए हैं। अभी अधिकृत स्तर पर अमरीका ने इसपर प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन बातचीत में भारत पर हावी होने के लिए और भारत पर दबाव डालने के लिए अमरीका के रक्षा मंत्री ‘एस-४००’ का मुद्दा उपस्थित कर सकते हैं। लेकिन उसका फायदा होने के बदले इससे अमेरिका का नुकसान हो सकता है, इस पर कुछ राजनयिकों ने गौर फरमाया था।

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