सरहदी व्यापार में रुपया इस्तेमाल करने के लिए दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत की चर्चा – रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास

नई दिल्ली – सरहदों पर होने वाले व्यापार के लिए रुपये का इस्तेमाल करने को लेकर भारत और दक्षिण एशियाई देशों में चर्चा जारी है, यह जानकारी रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने साझा की। इसी बीच भूटान और नेपाल दोनों, भारत की ‘यूपीआई’ सुविधा अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने की कोशिश मे हैं, ऐसा रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने कहा है। इसके अलावा ‘डिजिटल रुपये’ (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेन्सी-सीबीडीसी) का पायलट प्रोजेक्ट शुरू है और इसे रिज़र्व बैंक काफी सावधानी से देख रहा है। लेकिन, आगे के समय में दक्षिण एशियाई देशों से होने वाले भारत के व्यापार में डिजिटल रुपये का भी इस्तेमाल हो सकता है, यह विश्वास शक्तिकांता दास ने व्यक्त किया है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश द्वारा आयोजित समारोह में शक्तिकांता दास बोल रहे थे। भारत और बांगलादेश के दक्षिण एशियाई क्षेत्र का वैश्विक आर्थिक विकास में १५ प्रतिशत योगदान होने के मुद्दे पर भी ‘आरबीआई’ गवर्नर ने ध्यान आकर्षित किया।

ऐसी स्थिति में कोरोना की महामारी, महंगाई, वित्तीय बाज़ार के सामने खड़े संकट और रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से दक्षिण एशियाई देशों के सामने काफी बड़ी चुनौतियां हैं। अर्थव्यवस्थाओं को लग रहे झटकों का सामना करने के लिए दामों की बढ़ोतरी घटाना, विश्वासार्ह वित्तीय नीति अपनाने के साथ ही सप्लाई के क्षेत्र में उचित स्थान पर  हस्तक्षेप एवं वीत्तिय, व्यापारी और प्रशासकीय स्तर पर उचित कदम उठाना अहमियत रखता है, यह दावा शक्तिकांता दास ने किया।

दक्षिण एशियाई देशों के सामने चुनौतियां खड़ी होते हुए भारत के साथ हो रहे इन देशों  के व्यापार की अहमियत प्रचंड़ मात्रा में बढ़ी है, इसका अहसास शक्तिकांता दास करा रहे हैं। दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों से हो रहे सरहदी व्यापार के लिए रुपये का इस्तेमाल करने पर भारत की चर्चा जारी है, यह भी उन्होंने रेखांकित किया। कुछ देशों ने इसके लिए स्पष्ट तैयारी उत्सुकता दर्शाई है। इससे पहले भारत ने रशिया के साथ रुपया-रुबल कारोबार करने की तैयारी दर्शायी है। इसके अलावा श्रीलंका भी भारतीय रुपये के ज़रिये रशिया से ईंधन कारोबार करने की चर्चा करने में जुटी होने की खबरें प्रसिद्ध हुई थीं। ऐसे में बागंलादेश ने भी भारतीय रुपये से कारोबार करने पर अनुकूल भूमिका अपनाई हुई दिख रही है। यूएई और सौदी अरब जैसे खाड़ी देशों ने भी रुपये से व्यापार करने के लिए उत्सुक होने के संकेत दिए हैं।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर अमरिकी डॉलर के स्थान को खतरा निर्माण हुआ है। अमरीका अपने डॉलर का इस्तेमाल राजनीतिक हत्यार की भांती कर रही है और यूक्रेन युद्ध के बाद रशिया पर अमरीका ने लगाए प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर डॉलर के स्थान को खतरा निर्माण कर रहे हैं, ऐसी चेतावनी आर्थिक विशेषज्ञों ने दी थी। अमरीका के डॉलर पर से निर्भरता घटाने के लिए रशिया ने अपने रुबल और अन्य देशों की मुद्राओं से कारोबार करने की तैयारी दर्शायी है और इसे अच्छा समर्थन प्राप्त हो रहा है। अमरीका की इस बेताल नीति से चौकन्ना हुए अन्य देश भी अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अपनी मुद्रा का अधिक इस्तेमाल करने की दिशा में कदम बडा रहे हैं। ऐसे दौर में भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर  पर रुपये का इस्तमाल शुरू करने की तैयारी कर रहा है, यह बात ध्यान आकर्षित करती है।  फिलहाल शुरू भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि पर विश्व के लगभग सभी प्रमुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हुई हैं। लेकिन, ऐसे समय पर भारतीय अर्थव्यवस्था आश्वासक दर से प्रगति कर रही है। अंतरराष्ट्रीय निवेशक भारत पर भरोसा करके बड़ी मात्रा में निवेश कर रहे हैं। इसकी वजह से भारत की विश्वासार्हता अधिक बढ़ी है और रुपये का इस्तेमाल सुरक्षित साबित होगा, इसका विश्वास अन्य देशों को होने लगा है।

इन सभी घटनाओं की वजह से कई देश भारतीय रुपये से कारोबार करने के लिए तैयार रहे हैं और इसके लिए रिज़र्व बैंक ने भी अपनी नीति में आवश्यक बदलाव किए दिख रहे हैं। भारत और दक्षिण एशियाई देशों की सीमा पर हो रहे व्यापार के लिए रुपये का इस्तेमाल होने लगे तो इससे पूरे विश्व को सकारात्मक संदेश प्राप्त हो सकेगा।

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