भारत को व्यापारी सहयोग का प्रस्ताव देने वाले पाकिस्तान का यू-टर्न

इस्लामाबाद – भारत से चीनी और कपास की खरीद करके पाकिस्तान की जनता और व्यापारियों को राहत दे दें, ऐसी माँग इस देश की ‘इकॉनॉमिक कोऑर्डिनेशन कमिटी’ (ईसीसी) ने की थी। पाकिस्तान की सरकार यह माँग मान्य करने की तैयारी में भी थी। लेकिन ‘यू-टर्न’ अर्थात् किये हुए फैसलों को बदलने के लिए बदनाम होनेवाली प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार ने इस बारे में भी नया यू-टर्न लिया। पाकिस्तान के मंत्रिमंडल ने, भारत के साथ व्यापार संभव नहीं है, यह बताकर फिर एक बार कश्मीर का राग अलापा है। इस कारण, भारत के साथ व्यापार पुनः शुरू होगा, इस उम्मीद पर होनेवाली पाकिस्तानी जनता और व्यापारी व्यापारियों की घोर निराशा हुई है।

पाकिस्तान के वित्तमंत्री हमाद अझहर ने भारत से चीनी और कपास की खरीद करने के संकेत दिए थे। पाकिस्तान में चीनी के दाम बहुत भड़के हैं। इसके लिए जनता प्रधानमंत्री इम्रान खान को दोषी करार दे रही है। पाकिस्तान की तुलना में १५ से २० प्रतिशत कम दाम होनेवाली भारत की चीनी आयात करना, यह इस पर सर्वोत्तम उपाय है, ऐसा दावा करके हमाद अझहर ने भारत से लगभग पाँच लाख टन इतनी चीनी आयात करने की तैयारी की थी। साथ ही, पाकिस्तान के वस्त्र उद्योग क्षेत्र ने, भारत से कपास की खरीद करने के लिए अपने सरकार से अनुमति माँगी थी।

इम्रान खान की सरकार ने इस प्रस्ताव को अनुमति देने की तैयारी भी की थी। पिछले कुछ हफ्तों से पाकिस्तान की सरकार और लष्कर भी, भारत के साथ शांति स्थापित करने के लिए जानतोड़ कोशिश कर रहे हैं। इस कारण, भारत से चीनी और कपास की आयात करने का फैसला, पाकिस्तानी सरकार की इन कोशिशों से सुसंगत होनेवाली बात मानी जा रही थी। लेकिन इसपर पाकिस्तान के भारत विद्वेषी गुट ने ज़ोरदार ऐतराज़ जताया है। भारत ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाली धारा-३७० हटाने का फैसला खारिज किये बगैर पाकिस्तान भारत के साथ व्यापार नहीं करेगा, ऐसी घोषणा प्रधानमंत्री इम्रान खान ने उस समय की थी। उसका क्या हुआ? ऐसा सवाल पूछकर इन भारत विद्वेषियों ने सरकार की कड़ी आलोचना की थी।

भारत ने धारा ३७० के बारे में फैसला करने के बाद, पाकिस्तान की सरकार ने भारत में नियुक्त अपने राजदूत को वापस बुलाया था। साथ ही, अन्य स्तरों पर होनेवाले संबंध भी लगभग तोड़ दिए थे। अब भारत की भूमिका में कुछ भी बदलाव ना होने के बावजूद भी, पाकिस्तान की सरकार भारत के साथ किस बलबूते पर व्यापार कर रही है? पहले की नवाज शरीफ की सरकार जब भारत के साथ सहयोग बढ़ा रही थी, तब उन्हें ‘गद्दार’ बुलानेवाले इम्रान खान अब क्या कर रहे हैं, ऐसे सवालों की बौछार पाकिस्तान के माध्यमों ने शुरू की थी। वहीं, कुछ पूर्व लष्करी अधिकारियों ने तो, पाकिस्तान की सरकार ने कश्मीर के मसले पर भारत के सामने घुटने टेके होने का खेद जाहिर किया था।

इससे दबाव में आकर पाकिस्तान की सरकार ने मंत्रिमंडल की बैठक में, भारत के साथ व्यापार शुरू नहीं किया जा सकता, ऐसा घोषित कर दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शहा महमूद कुरेशी इसकी घोषणा की। लेकिन इस समय भारत के विरोध में जहरीली आलोचना करना कुरेशी ने टाला। ताजिकिस्तान में संपन्न हुई ‘हार्ट ऑफ एशिया’ परिषद में भारत ने पाकिस्तान की आलोचना नहीं की, इसपर विदेश मंत्री कुरेशी ने संतोष ज़ाहिर किया था। उन्हें भी भारतविद्वेषी गुट ने लक्ष्य किया था। इससे यही दिखाई दे रहा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ही प्रोत्साहन देकर बढ़ाया भारत विद्वेष, अब उनकी भारत के साथ सहयोग स्थापित करने की नीति के आड़े आ रहा है।

ढहती अर्थव्यवस्था को सँवारने के लिए और अंतर्गत चुनौतियों को मात देकर अन्तर्राष्ट्रीय दबाव कम करने के लिए पाकिस्तान के सामने, भारत के साथ सहयोग करने के अलावा और कोई चारा ही नहीं रहा है। इसका एहसास होने के कारण ही, प्रधानमंत्री इम्रान खान ने भारत के साथ चर्चा करने का प्रस्ताव रखा था। पाकिस्तान के लष्करप्रमुख ने भी उसका समर्थन किया था। लेकिन इम्रान खान ने खुद ही तीव्र किए भारत विद्वेष के परिणाम अब उन्हें ही भुगतने पड़ रहे हैं।

धारा-३७० विषयक फैसला ख़ारिज किए बगैर भारत के साथ व्यापार नहीं, ऐसी मगरूरी दिखानेवाले इम्रान खान की सरकार को, सन २०२० के मई महीने में चुपचाप भारत से दवाइयाँ लेनी पड़ीं थीं। अब भी पाकिस्तान में कोरोना की महामारी हाहाकार मचा रही होने की खबरें आ रहीं हैं। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान, बिना माँगे भारत से कोरोना का टीका चाहता है। इस टीके का स्वीकार करते समय पाकिस्तान भारत के सामने अपनी शर्तें रखने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन चीनी और कपास के मुद्दे पर अड़ियल भूमिका अपनानेवाला पाकिस्तान, क्या कोरोना के टीके के बारे में भी वैसी ही भूमिका अपनाएगा, ऐसा सवाल इस उपलक्ष्य में सामने आया है।

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