भारत पड़ोसी देशों के लिए भी आर्थिक प्रावधान बढ़ायें – संसद की स्थायी समिति की सूचना 

नई दिल्ली – भारत के पड़ोसी देशों में चीन का प्रभाव बढ़ रहा है, ऐसे में भारत को अपने विकास पर आधारित राजनयिक नीति को अधिक अहमियत देनी पड़ेगी। उसके लिए देश को अधिक निधि का प्रावधान करना पड़ेगा, ऐसा निष्कर्ष विदेश व्यवहार से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में दर्ज़ किया है। कई समस्याओं से ग्रसित अफगानिस्तान, नेपाळ तथा म्यानमार इन पड़ोसी देशों के लिए भारत ने अधिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होने का दावा भी संसद की स्थायी समिति ने किया। साथ ही, अफगानिस्तान तथा म्यानमार में बने राजनीतिक हालातों के चलते, भारत ने इन देशों में शुरू की हुईं विकास परियोजनाओं को झटके लगे हैं, यह बात भी इस रिपोर्ट में दर्ज़ की गयी है।

आर्थिक प्रावधानभारतीय उपमहाद्वीप के देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन ने बहुत पहले से ही योजनाबद्ध तरीक़े से कदम उठाये थे। इस कारण, भारतीय उपमहाद्वीप में चीन का वर्चस्व होनेवाला दबावगुट तैयार हो चुका दिखायी दे रहा है। इससे इन् देशों में रहनेवाले भारत के हितसंबंध ख़तरे में पड़े होने की बात कई बार सामने आयी थी। पश्चिमी माध्यमों ने तो, भारतीय उपमहाद्वीप में भारत और चीन के बीच वर्चस्व के लिए ‘ग्रेट गेम’ शुरू हुआ होने के दावे किये थे। वहीं, भारत अपने पड़ोसी देशों में बुनियादी सुविधाओं के विकासप्रकल्प बनवाकर तथा विधायक सहायता करके इन देशों ली अर्थव्यवस्थाओं को सहायता करने की नीति अपना रहा है।

जब भारत आर्थिक प्रगति कर रहा है, तब पड़ोसी देशों का अविकसित रहना किसी के भी हित में साबित नहीं होगा इसका भारत को एहसास है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कुछ समय पहले कहा था। इसके अनुसार भारत पड़ोसी देशों में विकास प्रोजेक्ट्स तथा अन्य सहायता करके योगदान दे रहा है। लेकिन वह पर्याप्त ना होने का एहसास संसद की विदेश व्यवहारविषयक स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में करा दिया। वहीं, भारत ने अपनी ‘नेबरहूड फर्स्ट’ नीति को सर्वाधिक प्राथमिकता देकर और पड़ोसी देशों के साथ अपना सहयोग अधिक गतिमान करने की दिशा में कदम उठाये हैं, ऐसा विदेश मंत्रालय ने कहा है।

भारत के विकास से लाभ उठाकर, उसका लाभ अपनी अर्थव्यवस्था तक पहुँचाने का महत्त्व अब पड़ोसी देशों को प्रतीत होने लगा है, ऐसा विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया। इसी कारण भारत के सभी पड़ोसी देश भारत के साथ आपसी व्यापारी सहयोग बढ़ाने के प्रयास कर रहे हैं, ऐसा दावा विदेश मंत्रालय ने किया। संसदीय समिति के सामने विदेश मंत्रालय ने यह जानकारी दी। इसी बीच, चीन की शिकारी अर्थनीति के भयंकर दुष्परिणाम भारत के छोटे पड़ोसी देशों की समझ में आये होकर, चीन ने कैसे श्रीलंका को कर्ज के चंगुल में फ़ँसाकर इस देश का हंबंटोटा बंदरगाह हथियाया था, इसका उदाहरण इन देशों के सामने है। इसका बहुत बड़ा झटका चीन को लगा होकर, इस कारणवश बांग्लादेश तथा अन्य कुछ देशों ने चीन के साथ के सहयोग से किनारा किया है।

लेकिन अभी भी, म्यानमार, नेपाल, श्रीलंका तथा अन्य कुछ पड़ोसी देशों में, चीन के प्रभाव में होनेवाली राजनीतिक पार्टियाँ और नेता कार्यरत होकर, उनके ज़रिये चीन भारतविरोधी दाँवपेंचों पर काम करता दिखा रहा है। ऐसी स्थिति में संसद की स्थायी समिति ने, पड़ोसी देशों के लिए अधिक निधि का प्रावधान करने की केंद्र सरकार को दी सलाह ग़ौरतलब साबित हो रही है।

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