भारत-फिलीपीन्स ने किया ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल की खरीद का समझौता

मनीला – विश्‍व के सबसे गतिमान सुपरसोनिक मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ की खरीद करने से संबंधित अहम समझौता भारत और फिलीपीन्स ने किया है। ‘ब्रह्मोस’ की खरीद करने से अपने देश की समुद्री सीमा की सुरक्षा अधिक मज़बूत होगी, ऐसा फिलीपीन्स ने कहा है। ‘साउथ चायना सी’ के ९० प्रतिशत क्षेत्र पर हक जता रहें चीन को भारत और फिलिपीन्स का यह सहयोग चुनौति देनेवाला होने की बात दिख रही हैं।

‘ब्रह्मोस’ मिसाइल

फिलीपीन्स बीते दो वर्ष से, भारत से ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद करने की तैयारी में होने की खबरें प्रकाशित हो रहीं थीं। बीते वर्ष भारत ने फिलीपीन्स को, ब्रह्मोस की खरीद करने के लिए १० करोड़ डॉलर्स की ‘क्रेडिट लाईन’ प्रदान की थी। लेकिन, कोरोना की महामारी के कारण फिलीपीन्स की अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त बोझ बना और इस वजह से ब्रह्मोस के खरीद का समझौता करने के समय में बदलाव करना पड़ा था। आखिर में मंगलवार के दिन फिलीपीन्स ने ब्रह्मोस की खरीद से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए।

फिलीपीन्स के रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारत के राजदूत शंबू कुमारन और फिलीपीन्स के उप-रक्षामंत्री रेमंड एलिफंटे ने इस समझौते पर हस्ताक्षर लिए। इस दौरान फिलीपीन्स के रक्षामंत्री डेल्फिन लौरेन्झा भी उपस्थित थे। इस समझौते के अनुसार भारत फिलीपीन्स की सेना, तटरक्षक बल के लिए सहायक साबित होनेवाले ब्रह्मोस क्रूझ मिसाइल प्रदान करेगा।

इसके अलावा दोनों देशों ने लष्करी प्रशिक्षण, अभ्यास, आतंकवाद विरोधी कार्रवाई एवं रक्षा सामान की खरीद से संबंधित अन्य समझौते भी किए होने का दावा किया जा रहा है। फिलीपीन्स ने ‘ब्रह्मोस’ की खरीद करना चीन के लिए चुनौती होने का दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं। ‘साउथ चायना सी’ के ९० प्रतिशत क्षेत्र पर चीन हक जता रहा हैं। इसमें फिलीपीन्स के द्विप और समुद्री क्षेत्रों का भी समावेश होता है।

चीन की इस आक्रामकता के विरोध में फिलीपीन्स ने आन्तर्राष्ट्रीय अदालत में अपील की थी। चीन के साथ समुद्री सीमा के विवाद का मुकाबला करनेवाले आग्नेय एशियाई देशों में से, चीन के विरोध में ऐसी कार्रवाई करनेवाला फिलीपीन्स एकमेव देश साबित हुआ था। इस वजह से फिलीपीन्स ने भारत के साथ किया यह समझौता, चीन की चिंता बढ़ानेवाला साबित होने की बात दिख रही है।

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