ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ संगठन को भारत की चेतावनी

नई दिल्ली – ‘कोरोना की महामारी की तीव्रता कम होने के बाद बढ़ रहीं माँग के अनुसार ईंधन की आपूर्ति की जाएगी, यह बात ईंधन उत्पादक देशों की ‘ओपेक’ संगठन ने स्वीकारी थी। लेकिन, इस वादे का पालन ओपेक ने किया हुआ नहीं दिखता। इस वजह से ईंधन के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई है। इसका भारत जैसें विकसनशील देशों की अर्थव्यवस्था पर भार बढ़ने लगा हैं। यदि ‘ओपेक’ ने मर्यादा के बाहर जाकर ग्राहक देशों के सामने मुश्‍किलें खड़ी कीं, तो भारत ईंधन के वैकल्पिक स्रोतों की ओर अपना रुख करेगा’, ऐसी चेतावनी भारत के पेट्रोलियमंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दी है। ‘ओपेक’ की बैठक होने से पहले भारत ने दिए इस चेतावनी को रणनीतिक अहमियत प्राप्त हुई है।

ईंधन उत्पादक

अन्तर्राष्ट्रीय बाज़ार में फिलहाल कच्चे तेल के दाम बढ़कर प्रति बैरल ६२ डॉलर्स हुए हैं। कोरोना की महामारी के दौर में लॉकडाउन और ठप हुए आर्थिक कारोबार की वजह से ईंधन की माँग कम हुई थी। लेकिन, अब ईंधन की माँग बढ़ रही है। लेकिन, इसकी तुलना में उत्पादन बढ़ाने की ओर ईंधन उत्पादक देश आवश्‍यक ध्यान नही दे रहे हैं, यह बात सामने आ रही है। इस वजह से बीते वर्ष के दिसंबर महीने तक प्रति बैरल ५० डॉलर्स रहा कच्चे तेल का दाम अब बढ़कर ६२ डॉलर्स हुआ है। अगले दिनों में कच्चे तेल के दामों में उछाल दिखाई देने की गहरी संभावना जताई जा रही है। इस दौरान ये दाम प्रति बैरल १०० डॉलर्स तक जा पहुँचेंगे, यह अनुमान कुछ वित्तसंस्थाओं ने व्यक्त किया था।

कोरोना की महामारी से बाहर निकले भारत जैसें विकसनशील देश की अर्थव्यवस्था पर ईंधन के बढ़ते दामों का गंभीर असर हो सकता है। लेकिन, ईंधन उत्पादक देशों का ‘ओपेक’ संगठन, ग्राहक देशों के हित को ध्यान में रखकर ईंधन का उत्पादन और आपूर्ति सामान्य करने के लिए ज्यादा उत्सुक नहीं है। इसपर भारत के पेट्रोलियम मंत्री ने ओपेक को फटकार लगाई है। कोरोना की महामारी के दौर में ईंधन उत्पादन में कटौती करने के ‘ओपेक’ के निर्णय का भारत ने समर्थन किया था। कोरोना की महामारी की तीव्रता कम होने के बाद ईंधन की माँग बढ़ेगी और तब उत्पादन बढ़ाकर आपूर्ति सुनिश्‍चित करने की बात ओपेक ने स्वीकारी थी, इसकी याद पेट्रोलियममंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दिलाई।

लेकिन, दुर्भाग्यवश ‘ओपेक’ इस वादे का पालन नही कर रहा है, ऐसा प्रधान ने कहा। ईंधन के दाम ‘अफोर्डेबल’ होने चाहिये। इससे भारत की तिज़ोरी पर भार बढ़ना नहीं चाहिये, यह उम्मीद पेट्रोलियममंत्री ने व्यक्त की। इसके साथ ही, माँग की तुलना में ईंधन की आपूर्ति जानबूज़कर कम रखकर दाम बढ़ाए जा रहे हैं, यह आरोप भी भारतीय पेट्रोलियममंत्री ने किया। ‘ओपेक’ के सदस्य देशों कों इससे यक़ीनन ही फ़ायदा हो रहा होगा। लेकिन, भारत जैसें विकसनशील देश की अर्थव्यवस्था पर इससे भार बढ़ रहा है, इसे बर्दाश्‍त नहीं किया जा सकता। इस वजह से यदि ईंधन के दाम मर्यादा के बाहर बढ़े, तो भारत को ईंधन के वैकल्पिक स्रोतों की ओर रुख करना होगा, यह चेतावनी धर्मेंद्र प्रधान ने दी।

जागतिक स्तर पर भारत ईंधन की सबसे अधिक आयात करनेवाला तीसरें क्रमांक का देश है। अपनी माँग के ८५ प्रतिशत ईंधन की भारत आयात करता है। इसमें से ६० प्रतिशत से अधिक आयात खाड़ी क्षेत्र के देशों से होती है। इस कारण, भारत की माँग को अनदेखा करना ‘ओपेक’ और अन्य ईंधन उत्पादक देशों के लिए मुश्‍किल खड़ी करनेवाला साबित हो सकता है। इससे पहले भारत ने, ईंधन की आयात करनेवाले ग्राहक देशों का हित ध्यान में रखकर ‘ओपेक’ से ईंधन के दाम नियंत्रण में रखने का आवाहन किया था। इसके लिए, ईंधन की आयात करनेवाले देशों की एकजूट करने के लिए भारत ने कदम उठाए थे।

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