भारत और पाकिस्तान की ‘बैक चैनल’ चर्चा नाकाम – पाकिस्तानी अखबार का दावा

इस्लामाबाद – भारत और पाकिस्तान की ‘बैक चैनल’ यानी अघोषित चर्चा शुरू हुई थी। लेकिन, कश्मीर के मुद्दे पर सहमति ना होने से यह चर्चा नाकाम हुई। साथ ही पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता का असर इस चर्चा पर पड़ा, यह खबर पाकिस्तान के एक सरकारी सूत्रों के दाखिले से वर्णित अखबार ने दी। दोनों देशों ने इसकी पुष्टि नहीं की है लेकिन, पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति के मद्देनज़र भारत को इस देश से चर्चा करने की ज़रूरत ही नहीं रही। भारत के साथ चर्चा शुरू करके अपने देश को संभालना पाकिस्तान की ज़रूरत बनी हुई है, ऐसा बयान भारत के पूर्व सेना अधिकारी और सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं।

शाहबाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनका अभिनंदन करनेवाले नेताओं में प्रधानमंत्री मोदी आगे थे। इस वजह से पाकिस्तान की नई सरकार को भारत के साथ संबंध सुधारना मुमकिन होगा, ऐसा विश्वास होने लगा था। लेकिन, यह नई सरकार स्थापित होने से पहले अप्रैल से ही दोनों देशों की ‘बैक चैलन डिप्लोमसी’ यानी अघोषित चर्चा शुरू हुई थी। पाकिस्तान की नई सरकार ने यह चर्चा आगे बढ़ाने की कोशिस की, यह दावा ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ नामक पाकिस्तानी अखबार ने किया। इस अखबार ने पाकिस्तानी सरकार के अपने सूत्रों के दाखिले से यह दावा किया है।

दोनों देशों की अधिकृत स्तर पर चर्चा के लिए भारत कश्मीर मुद्दे पर समझौता करने की तैयारी करे, यह माँग पाकिस्तान ने की थी। तथा भारत जम्मू-कश्मीर में आयोजित ‘जी-२०’ की बैठक रद्द करे, ऐसी गुहार भी पाकिस्तान ने लगायी थी। तो भारत की प्रमुख माँग थी कि, कश्मीर मसले को छोड़कर द्विपक्षीय व्यापार शुरू करें। इन मुद्दों पर दोनों देश पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। इस वजह से यह चर्चा नाकाम हुई, ऐसा ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने कहा है। पाकिस्तानी समाचार चैनल पर बोलते हुए कुछ विश्लेषकों ने यह चर्चा असफल होन की जानकारी साझा की।

इसी बीच, भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देनेवाली धारा ३७० फिर से बहाल किए बिना भारत से चर्चा मुमकिन ना होने का ऐलान पाकिस्तान की पूर्व सरकार ने किया था। ऐसा करके पूर्व प्रधानमंत्री इम्रान खान की सरकार ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी थी, ऐसी आलोचना पाकिस्तान के विश्लेषक और पत्रकारों ने की थी क्योंकि, भारत से चर्चा करना अब पाकिस्तान की ज़रूरत बनी है। पाकिस्तान जैसे आर्थिक दृष्टि से कमज़ोर और राजनीतिक अस्थिरता का सामना कर रहे देश के सामने भारत जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव वाले देश से चर्चा करने के अलावा अन्य विकल्प हो ही नहीं सकता, यह बात पाकिस्तान के समझदार पत्रकार लगातार कह रहे हैं। लेकिन, इम्रान खान की सरकार ने अपनी क्षमता और प्रभाव का विचार किए बिना हर स्तर पर भारत से चर्चा बंद कर दी। इससे भारत का लाभ हुआ और पाकिस्तान का बड़ा नुकसान हुआ, ऐसी आलोचना इन पत्रकारों ने की थी।

लेकिन, इम्रान खान सरकार के कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान ने भारत के साथ अघोषित चर्चा शुरू करने के दावे पाकिस्तान के माध्यम ही कर रहे हैं। इससे इम्रान खान ने भारत के खिलाफ मारी हुई डींग खोखली होने की बात स्पष्ट हुई है। साथ ही पाकिस्तान की नई सरकार भी भारत के साथ ताल्लुकात सुधारने की कोशिश में होने की बात भी इससे सामने आयी है। लेकिन, मौजूदा समय में पाकिस्तान से चर्चा शुरू करके इस देश को भारत प्रतिष्ठा पाने ना दे, ऐसी माँग पूर्व सेना अधिकारी और सामरिक विश्लेषक कर रहे हैं। अगले कुछ दशकों तक भारत ने पाकिस्तान से चर्चा नहीं की तब भी इससे भारत के लिए कुछ नहीं बदलेगा। लेकिन, इससे पाकिस्तान का अधिकाधिक नुकसान हो सकता है, इस बात पर यह पूर्व सेना अधिकारी और विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

कुछ ही हफ्ते पहले भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल ने पाकिस्तान को सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी। पाकिस्तान को जब चाहिये तब चर्चा या युद्ध करने का अवसर भारत नहीं देगा, इसके आगे जो कुछ होगा वह भारत की शर्तों पर होगा, यह इशारा डोवल ने दिया था। पहले के दिनों में पाकिस्तान ने भारत से बातचीत शुरू करके भारत में आतंकी हमले किए थे। आगे पाकिस्तान को ऐसे अवसर नहीं लेने देंगे, यह संदेश अजित डोवल ने सख्त शब्दों में दिया था।

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