अंदमान-निकोबार कमांड सक्षम करके भारत का चीन को संदेश

नई दिल्ली: अंदमान निकोबार में नौदल, वायुसेना और लष्कर का हालही में एकत्रित युद्धाभ्यास हुआ है। यह अभ्यास मतलब ‘अंदमान निकोबार कमांड’ को (एएनसी) सक्षम करना यह भारत के प्रयत्नों का भाग है। भारत की रक्षामंत्री निर्मला सीतारामन ने भी इस कमांड को भेंट दी थी। हिंद महासागर में चीन की बढ़नेवाली गतिविधियों के पृष्ठभूमि पर भारत ने इस क्षेत्र में गतिविधियां बढाई है और इसके द्वारा भारत से चीन को योग्य संदेश दिया जाने के बात दिखाई दे रही है।

 संदेश

सन २००१ में ‘अंदमान निकोबार कमांड’ की एजेंसी की स्थापना की गई है। यह देश का पहली संयुक्त कमांड होकर यहां लष्कर, वायुसेना और नौदल ऐसे तीनों रक्षा दल के साहित्य और मानव संधान उपलब्ध होंगे। रचनात्मक दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण तल पिछले कई वर्षों में नजरअंदाज हुआ है। पर अब इसपर ध्यान दिया जाने वाला है। सन २०१३ साल से हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौदल की गतिविधियां बढ़ रही है। चीन की पनडुब्बियाँ और युद्धनौका लगातार हिंद महासागर क्षेत्र में दिख रही हैं। इस वर्ष में सर्वाधिक बढ़त दर्ज हुई है और इस पृष्ठभूमि पर भारतीय रक्षादल का युद्धाभ्यास हुआ है। एएनसी की स्थापना की लगभग १७ वर्षों के बाद यहां रक्षा दल का संयुक्त युद्धाभ्यास हुआ है।

२० नवंबर से २४ नवंबर के दौरान हुए इस युद्ध अभ्यास में नौदल के युद्धनौका, जैग्वार लड़ाकू विमान, औंफिबियस जहाज, लष्कर और नौदल के विशेष कमांडो, वायुसेना के परिवहन करनेवाले विमान सी-१३० जे’ शामिल हुए थे। आगरा में लष्कर के पैराशूट ब्रिगेड के ५० जवान भी इस युद्ध अभ्यास में सहभागी हुए थे।

इस युद्धाभ्यास का उद्देश्य तीनों दलों में समन्वय बढ़ाना था। उस समय, शत्रु के हाथ लगे द्वीप को शत्रु के कब्जे से कैसे छुड़ाया जाए, इसका युद्धाभ्यास किया गया। एएनसी के प्रमुख वाइस एडमिरल विमल वर्मा ने युद्धाभ्यास में शामिल हुए तीनों दलों के जवानों को भविष्य में संघर्ष के लिए पूर्ण तैयार रहने का संदेश दिया है। वॉइस एडमिरल वर्मा इनका यह संदेश अंदमान निकोबार कमांड क्षेत्र में बड़े गतिविधि शुरू करने के संकेत दे रहा है।

हिंद महासागर और साऊथ चायना सी को जोड़ने वाले मलक्का समुद्रधुनी और सुंदा सामुद्रधुनी क्षेत्र में नौदलने अपने युद्धनौका कायम तैनात करने का निर्णय कुछ महीने पहले लिया था।

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