गलवान में भारत ने चीन के १०० से अधिक सैनिकों को ढ़ेर किया – चीन के पूर्व सैनिक का दावा

वॉशिंग्टन – ‘१५ जून की रात गलवान वैली में हुए भीषण संघर्ष के दौरान भारतीय सैनिकों ने चीन के १०० से भी अधिक सैनिकों को ख़त्म किया। लेकिन, चीन की कम्युनिस्ट हुकूमत यह जानकारी अपनी जनता से छिपा रही है। क्योंकि, भारत के साथ हुए संघर्ष में मारे गए अपने सैनिकों की जानकारी यदि सार्वजनिक की, तो चीन के पूर्व एवं वर्तमान सैनिक चीन के हुकूमत के विरोध में सशस्त्र बगावत करने की संभावना है। इसके साथ ही, चीन की शासक कम्युनिस्ट पार्टी में भी अपने विरोध में बगावत हो सकती है, ऐसा ड़र राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग को सता रहा है’, ऐसा सनसनीखेज़ दावा चीन की ही कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व नेता का लड़का एवं पूर्व लष्करी अधिकारी जिआन्ली यांग ने किया है।

Galwan-Chinaगलवान वैली में हुए संघर्ष से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने के लिए जिनपिंग की हुकूमत बिल्कुल तैयार नहीं है, यह आरोप जियान्ली यांग ने ‘वॉशिंग्टन टाईम्स’ में लिखे लेख में किया है। पिछले कुछ दिनों में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजीयान ने अलग अलग पत्रकार परिषदों के दौरान, चिनी सैनिकों की हुई जीवितहानी से संबंधित सवालों पर जवाब देना टाल दिया था, इसकी याद भी यांग ने कराई है। चीन ज़ाहिर रूप में अपने सैनिक ढ़ेर हुए हैं, यह स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है। लेकिन भारत ने अपने हर एक शहीद सैनिक का सम्मान किया, ऐसी कड़ी आलोचना यांग ने की है।

‘चीन यदि अपने शहीदों का और लष्करी सेवा में कार्यरत सैनिकों का सम्मान नहीं करता, तो सेवानिवृत्त सैनिकों की क्या स्थिति हुई होगी, इस पर सोचना ही ठीक। सन १९७९ के चीन-वियतनाम युद्ध में या उससे पहले हुए कोरियन युद्ध में शामिल हुए अपने सेवानिवृत्त सैनिकों से चीन की हुकूमत लगातार बुरा बर्ताव करती रही है। पिछले कई वर्षों से ये सेवानिवृत्त सैनिक पेन्शन, स्वास्थ्य सुविधाएँ और नौकरी के लिए कम्युनिस्ट हुकूमत के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन, चीन की हुकूमत उनकी ओर ध्यान देने के लिए तैयार नहीं है’, इन शब्दों में यांग ने इन सैनिकों की फ़रियाद सामने रखी।

चीन में ‘पिपल्स लिब्रेशन आर्मी’ (पीएलए) के करीबन ५.७५ करोड़ सैनिक सेवानिवृत्त हुए हैं। ये सैनिक हर वर्ष पेन्शन और अन्य माँगों के लिए प्रदर्शन करते हैं। लेकिन, जिनपिंग की हुकूमत इन सेवानिवृत्त सैनिकों पर कार्रवाई करती है, यह कहकर यांग ने, पिछले कुछ वर्षों में बीजिंग समेत चीन के अलग अलग शहरों में जिनपिंग के विरोध में इन सेवानिवृत्त सैनिकों ने किए प्रदर्शनों का ज़िक्र किया। उसीमें, जिनपिंग ने सैनिकों के रोज़गार के रास्ते भी बंद किए हैं और इस कारण इन सेवानिवृत्त सैनिकों के मन में जिनपिंग की हुकूमत के विरोध में चरम स्तर का गुस्सा उबल रहा है, यह दावा भी यांग ने किया।

ऐसी स्थिति में, यदि गलवान में हुए संघर्ष में भारतीय सैनिकों से कई गुना अधिक चिनी सैनिक मारे जाने का ऐलान किया, तो उसके परिणाम राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग को भुगतने पड़ेंगे और ये असंतुष्ट पूर्व सैनिक इस स्थिति का लाभ उठाने के लिए चीन की हुकूमत पर टूट पड़ेंगे, यह ड़र चीन के शासकों को सता रहा है। यदि एक बार चीन में पूर्व सैनिकों ने बगावत शुरू की, तो चीन की फौलादी व्यवस्था भी स्थिति पर नियंत्रण नहीं रख सकेगी, इसका एहसास राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग रखते हैं। इसी वज़ह से, पिछले कुछ वर्षों से जिनपिंग चिनी सेना को उनपर पूरी निष्ठा रखने का आवाहन करते रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.