चीन के सामने ३८० उत्पादों के लिए व्यापारी सहुलियत देने की मांग भारत रखेगा

नवी दिल्ली – भारत को चीन के साथ शुरू व्यापार में हो रहा नुकसान अभी तक कम नही हो सका है| इस स्थिति पर गंभीरता से संज्ञान लेकर भारत ने अपनी निर्यात बढाने के लिए कोशिश शुरू की है| इसके तहेत भारत ने चीन को निर्यात हो सके ऐसे करीबन ३८० उत्पादों की सुचि तैयार की है| इन भारतीय उत्पादों के लिए चीन अपना बाजार खुला करे, यह मांग रखने की तैयारी में भारत है| इसके पहले भी भारत ने चीन को इसी प्रकार से बिनती की थी| लेकिन, चीन ने यह बिनती नजरअंदाज की थी|

भारत और चीन के द्विपक्षीय व्यापार में चीन को बडी तादाद में लाभ प्राप्त हो रहा है| भारतीय बाजार में अपने उत्पाद उतारकर चीन मोटा मुनाफा प्राप्त कर रहा है| लेकिन, इसके बावजूद चीन भारत को व्यापारी सहुलियत देने के लिए तैयार नही है| इस वजह से चीन से भारत में हो रही निर्यात में काफी मात्रा में बढोतरी हो रही है और ऐसे में भारत से चीन में हो रहे निर्यात की तादाद में तेजीसे बढोतरी नही हो सकी है| आर्थिक वर्ष २०१८-१९ के दौरान भारत को लगभग ५०.१२ अरब डॉलर्स का नुकसान उठाना पडा था| चीन अपना चलन युआन और अन्य व्यापारी साझीदार देशों के चलन में व्यवहार करके अपना प्रभाव बढा रहा है| लेकिन, भारत के साथ इस तरह व्यवहार करने की तैयारी चीन नही दिखा रहा| ऐसे में भारत-चीन व्यापार में हो रहे नुकसान पर गंभीरता से विचार करना भारत के लिए जरूरी बना है|

इसी पृष्ठभूमि पर ४ अप्रैल के रोज वाणिज्य मंत्रालय ने एक परिषद का आयोजन किया था| इसमें चीन में भारत की निर्यात बढाने को प्रोत्साहित कर रही व्यापारी संस्था एवं सरकार के अन्य विभागों के अधिकारी शामिल हुए थे| निर्यात बढाने के लिए जरूरी प्रावधानों पर इस दौरान बातचीत हुई| इसके नुसार चीन को निर्यात करना मुमकिन हो ऐसे ३८० उत्पादों की सुचि तैयार की गई है| इसमें फल, सब्जी एवं फुलों के साथ वस्त्र, रासायन एवं दवाईयों का समावेश है| भारत के इन उत्पादों के लिए चीन अपना बाजार खुला करे, यह मांग चीन के सामने जल्द ही रखी जाएगी| इसके पहले भारत ने बडे प्रयासों के साथ चीन को चावल की निर्यात शुरू की थी, इसका दाखिला भी इस परिषद के दौरान दिया गया|

इस दौरान, भारत और चीन के बीच शुरू व्यापार में भारत के हिस्से आ रहे नुकसान का मुद्दा पहले भी भारत ने उपस्थित किया था| भारत की व्यापारी उदारता का लाभ उठा रहा चीन कृषि, दवाईयां एवं आईटी क्षेत्र की भारतीय कंपनीयों के लिए अफना बाजार खुला करें, यह मांग भारत ने पहले भी रखी थी| लेकिन, यह मांग चीन ने नजरअंदाज की थी| लेकिन, चीन के साथ शुरू व्यापार में हो रहा नुकसान अब ५० अरब डॉलर्स से भी ज्यादा होने से अब भारत ने आक्रामाक नीति अपनाई दिख रही है| इसी वजह से पिछले वर्ष से भारत से चीन में हो रही निर्यात की तादाद में बढोतरी होती दिख रही है| इसके पीछे भारत ने अपनाई आक्रामक नीति है और पिछले वित्तीय वर्ष में भारत से चीन में हुई निर्यात में २८.६१ प्रतिशत बढोतरी होने की बात कही जा रही है| इसके बावजूद भारत को ५० अरब डॉलर्स से अधिक नुकसान उठाना पड रहा है और यह नुकसान कम करने के लिए भारत को तेजी से कदम उठाने होंगे, यह दिख रहा है|

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