‘एससीओ’ की ‘वर्चुअल’ बैठक में आतंकवाद के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान के साथ चीन को भी फटकार लगाई

नई दिल्ली – ‘कुछ देश सीमा के उस ओर से आतंकवादी गतिविधियां करके अपनी मंशा पूरी करने की कोशिश में  हैं। लेकिन, आतंकवाद का किसी भी तरह से समर्थन नहीं किया जा सकता। ऐसे देशों की कड़ी आलोचना करते समय ‘एससीओ’ को हिचकिचाने की कोई वजह ही नहीं’, इन स्पष्ट शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान और चीन को लक्ष्य किया। ‘शांघाय को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने चीन और पाकिस्तान के राष्ट्रप्रमुखों के सामने ही आतंकवाद के विरोध में भारत की भूमिका स्पष्ट शब्दों में रखी। साथ ही ‘एससीओ’ की सदस्यता प्राप्त होने पर प्रधानमंत्री ने ईरान का भी अभिनंदन किया। ईरान ‘एससीओ’ में शामिल होने से चाबहार बंदरगाह का अधिक अच्छी तरह से विकसित करना भारत को मुमकीन होगा, यह दावा प्रधानमंत्री ने इस दौरान किया।

‘एससीओ’ की सालाना बैठक बैठक का भारत में आयोजन किया गया था। इस बैठक का आयोजन ‘वर्चुअल’ होगा, यह भारत ने घोषित किया था। इससे भारत के साथ हमारे काफी अच्छे ताल्लुकात होने के दावे कर रहे चीन को इस बैठक का इस्तेमाल दिखावा करने के लिए करना संभव नहीं हुआ। इस वजह से चीन के सरकारी माध्यमों ने भारत की बड़ी आलोचना की थी। लेकिन, इस वर्चुअल बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद का इस्तेमाल और समर्थन कर रहे पाकिस्तान और चीन को बड़ी फटकार लगाई। कुछ देश अपने उद्देश्य प्राप्त करने के लिए सीमा के उस ओर से आतंकवादी गतिविधियां कर रहे हैं। इसका एकमुख से निषेध करते समय ‘एससीओ’ के सदस्य देशों ने हिचकिचाना नहीं चाहिये, ऐसी मांग प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक के अवसर पर रखी। इसके साथ ही आतंकवादियों को आर्थिक सहायता मुहैया करने से लेकर अन्य सभी सहायता प्रदान करने की दुष्प्रवृत्ति भी उतना ही निषेध करने का मुद्दा है, ऐसी फटकार प्रधानमंत्री ने लगाई। आतंकवाद के साथ ही युवकों पर बढ़ रहा चरमपंथ का प्रभाव भी एक बड़ी चुनौती साबित होती है, इसपर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

भारत के विरोध में आतंकवादी गतिविधियां कर रहा पाकिस्तान और पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के सरगनाओं पर सुरक्षा परिषद की हो रही कार्रवाई रोक रहा चीन इन दोनों देशों को प्रधानमंत्री ने स्पष्ट ज़िक्र करने से दूर रहकर फटकार लगाई। आतंकवाद जैसे गंभीर विषय पर दोगले रवैये को स्थान नहीं दिया जा सकता, ऐसा भी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा। भारत के दबाव के कारण ‘एससीओ’ के संयुक्त निवेदन में आतंकवाद के विरोध में बड़ी सख्त भूमिका अपनाई गई है। इसी बीच, ‘एससीओ’ की इस बैठक में ईरान को इस संगठन की सदस्यता प्रदान हुई। यह सदस्यता पाने की उपलब्धि पर प्रधानमंत्री ने ईरान का अभिनंदन किया। ईरान ‘एससीओ’ का सदस्य बनने से चाबहर बंदरगाह का अधिक प्रभावी विकास करना मुमकीन होगा, यह दावा प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर किया। इस वजह से तटीय क्षेत्र से दूर होने वाले मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के शुरू व्यापार में अधिक आसानी होगी, यह विश्वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

दो देशों में बुनियादी सुविधाओं के विकास और कनेक्टिविटी बढ़ाने वाले प्रखल्पों की आवश्यकता होती हैं। लेकिन, इन प्रकल्पों को आगे बढ़ाने के दौरान अन्य देशों की संप्रभूता का सम्मान करना बड़ा आवश्यक होता है, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। भारत की उम्मीदों की परवाह किए बिना चीन और पाकिस्तान ने ‘इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ प्रकल्प को आगे बढ़ाया। यह प्रकल्प पाकिस्तान ने कब्जा किए भारत के सार्वभूम क्षेत्र ‘पीओके’ में भी विकसित हो रहा है और इसी कारण से भारत ने इसका विरोध किया था। इसका दाखिला भी प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में दिया और साथ ही चीन-पाकिस्तान का यह प्रकल्प अवैध है, यह चेतावनी भी दी।

रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने भारत को सराहा

‘एससीओ’ के अध्यक्ष के तौर पर भारत ने किए नेतृत्व को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने सराहा। इस बैठक को संबोधित करते हुए भारत ने एससीओ के लिए शुरू किए उपक्रमों की राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने सराहना की। अनाज़ की किल्लत खत्म करने के लिए धान को बढ़ावा देना, डिजिटल ट्रान्फॉर्मेशन और चरमपंथ एवं आतंकवाद के विरोधी भूमिका अपनाकर भारत ने अपनी अध्यक्षता में ‘एससीओ’ को अच्छा नेतृत्व प्रदान किया, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने कहा है।

कुछ दिन पहले रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने आत्मनिर्भर भारत उपक्रम की सराहना करके रशिया ने भी अपने मित्रदेश के इस बड़े सफल उपक्रम की कॉपी करें, यह संदेश दिया था। इस बार ‘एससीओ’ की बैठक में बोलते समय रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने यह मांग की है कि, ‘एससीओ’ के सदस्य देश एक-दूसरे  से व्यापार और कारोबार करते समय स्थानीय मुद्राओं का इस्तेमाल करें। ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी ने भी ‘एससीओ’ के सदस्य देशों से यह गुहार लगाई कि, व्यापार में डॉलर का इस्तेमाल करने से दूर रहें।

वहीं, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने इस क्षेत्र में नया शीतयुद्ध शुरू करने की गतिविधियां होने की चिंता जताई। स्पष्ट ज़िक्र नहीं किया हो, लेकिन भारत-अमरीका का स्थापीत हो रहा रणनीतिक सहयोग चीन को रोकने के लिए ही है, ऐसी चिंता चीन व्यक्त कर रहा हैं। भारत चीन के विरोध में अमरीका के साथ खड़ा ना हो, ऐसी मांग चीन कर रहा हैं। लेकिन, अपनी भारत विरोधी एवं भारत के हितसंबंधों को नुकसान पहुंचाने की गतिविधियां रोकने के लिए चीन तैयार नहीं।

चीन के संबंधों का विचार करके भारत ने आजतक इस मुद्दे पर सौम्य भूमिका अपनाई थी। लेकिन, भारत की उदारता को कमज़ोरी समझते रहे चीन को अब भारत की सख्त नीति का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से भारत ने सीर्फ अमरीका ही नहीं, बल्कि चीन के विरोध में अन्य देशों से सहयोग बढ़ाने का रणनीतिक निर्णय भी किया है। इससे बेचैन हुए चीन के राष्ट्राध्यक्ष इस क्षेत्र में नया शीतयुद्ध शुरू होने की चिंता जताते दिखाई दिए।

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