‘सीपीईसी’के खिलाफ पाकिस्तान में असंतोष बढ़ रहा है – ‘इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप’ की रिपोर्ट

नई दिल्ली – दिवाले की तरफ तेजी से बढ़ रहा पाकिस्तान ‘चाइना-पाकिस्तान इकोनोमिक कॉरिडोर’ (सीपीईसी) की तरफ बड़ी अपेक्षा से देख रहा है। लेकिन ६२ अरब डॉलर्स के चीन के इस महत्वाकांक्षी योजना के खिलाफ पाकिस्तान में असंतोष बढ़ रहा है, ऐसा दावा ‘इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप’ (आईसीजी) ने किया है। चीन का पाकिस्तान में यह प्रचंड निवेश पाकिस्तान में नए संघर्ष के लिए इंधन साबित हो सकता है, ऐसा ‘आईसीजी’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।

‘सीपीईसी’ के अंतर्गत पाकिस्तान में परिवहन, बिजली, उद्योग और कृषि परियोजनाएं निर्माण हो रहीं हैं। इन परियोजनाओं के अंतर्गत विविध परिवहन योजनाओं के द्वारा चीन का ‘काशगर’ पाकिस्तान के ‘ग्वादर’ बंदरगाह के साथ जोड़ा जाने वाला है। यह परियोजना पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल देगी, पाकिस्तान में नए उद्योग निर्माण होंगे, करोड़ों नौकरियाँ निर्माण होंगी, ऐसे दावे पाकिस्तान की सरकार कर रही है। लेकिन अब पाकिस्तान की जनता का इस परियोजना के बारे में अपेक्षा भंग होता दिखाई दे रहा है, ऐसा ‘आईसीजी’ की रिपोर्ट से स्पष्ट हो रहा है।

‘इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप’, संघर्ष, आईसीजी, सीपीईसी, cpec, योजना, नई दिल्ली, पाकिस्तान, एफएटीएफ, fatf

इस योजना में पारदर्शिता नहीं है और कई मुद्दों पर केंद्र और प्रान्त सरकारें, स्वायत्त संस्थाओं में तनाव बढ़ रहा है। साधन संपत्ति का बटवारा और आर्थिक विकास के असमानता के मुद्दे इस तनाव की वजह से हैं। इन परियोजनाओं की वजह से राजनीतिक तनाव शिखर तक जाने की चिंता है। पाकिस्तान में सामाजिक दरार बढ़ रही है और यह देश के अंतर्गत संघर्ष की वजह साबित हो सकती है, ऐसा दावा ‘आईसीजी’ की रिपोर्ट में किया गया है।

‘सीपीईसी’ से संबंधित ग्वादर बंदरगाह और अन्य परियोजनाओं के आसपास सुरक्षा बढाई गई है। लेकिन इस वजह से इस परियोजना के आसपास के नागरी जीवन में लष्कर का हस्तक्षेप बढ़ने का उल्लेख इस रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है।

पाकिस्तान में बेरोजगारी बढ़ रही है और रोजगार उपलब्ध कराने में सरकार असफल साबित हो रही है। ‘सीपीईसी’ परियोजना में स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर नहीं मिल रहे हैं। उस वजह से भी इस योजना के खिलाफ असंतोष बढ़ रहा है, ऐसा ‘आईसीजी’ ने कहा है।

आने वाले समय में इस योजना से संबंधित समस्याएँ और सवाल पाकिस्तान और चीन सुलझा नहीं सका, तो पाकिस्तान में बड़ा संकट निर्माण हो सकता है, ऐसा दावा आईसीजी ने किया है।

पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार शुन्य होने के रास्ते पर है। दिवाला निकलने की देहलीज पर पहुंचे पाकिस्तान को चीन ने हाल ही में एक अरब डॉलर्स का कर्ज देकर मदद की है। इसी दौरान ‘फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स’ (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान का नाम ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला है। उस वजह से पाकिस्तान पर आर्थिक संकट और भी गंभीर हुआ है।

जनवरी महीने में होने वाली ‘एफएटीएफ’ की अगली बैठक तक पाकिस्तान से आतंकवादियों को मिलने वाली अर्थ सहायता के मामले में कार्रवाई नहीं की, तो पाकिस्तान को काली सूचि में डाला जाएगा। इसके बाद पाकिस्तान पर ईरान और उत्तर कोरिया की तरह प्रतिबन्ध लगाए जा सकते हैं, ऐसी चेतावनी ‘एफएटीएफ’ ने दी है। इस पृष्ठभूमि पर पाकिस्तान में चुनाव से पहले प्रसिद्ध हुई आईसीजी की रिपोर्ट महत्वपूर्ण साबित होती है।

पाकिस्तान सरकार चीन के निवेश के बारे में पाकिस्तानी नागरिकों को बहका रही है। और यह निवेश न होकर चीन की तरफ से बड़े पैमाने पर लिया हुआ कर्ज है। इस वजह से पाकिस्तान का सार्वभौमत्व चीन के पास गिरवी पडा है और पाकिस्तान चीन की वसाहत बन गया है, ऐसा दावा अब पाकिस्तानी विश्लेषक करने लगे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.