पाक़िस्तान के साथ कश्मीर पर नहीं, बल्कि आतंकवाद पर चर्चा होगी : विदेश मंत्रालय की पाक़िस्तान को फटकार

नयी दिल्ली, दि. १७ (वृत्तसंस्था)- भारत पाक़िस्तान के साथ चर्चा करने के लिए तैयार है| मग़र यह चर्चा कश्मीर के मुद्दे पर नहीं होगी, ऐसा कहकर भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने पाक़िस्तान के दाँत खट्टे किये हैं| इस समय जम्मू-कश्मीर में रहनेवाले तनाव के लिए पाक़िस्तान पुरस्कृत आतंकवाद ज़िम्मेदार होकर, इस आतंकवाद के मुद्दे पर ही चर्चा करने के लिए भारत तैयार है, ऐसा जयशंकर ने, पाक़िस्तान द्वारा दिए गये चर्चा के प्रस्ताव पर जवाब देते समय कहा|

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में, बलुचिस्तान और पाक़िस्तान के कब्ज़ेवाले कश्मीर में, पाक़िस्तान द्वारा आम जनता पर हो रहें अत्याचारों का मुद्दा उपस्थित किया था| इसके दो ही दिन बाद, पाक़िस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत को ‘कश्मीर’ के मुद्दे पर बातचीत करने का न्यौता दिया था| पाक़िस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस झकारिया ने, पाक़िस्तान में तैनात भारतीय उच्चायुक्त गौतम बांबावाला को, चर्चा के प्रस्ताव का पत्र दिया होने की घोषणा की थी| दोनों देशों के विदेश सचिव के बीच यह बातचीत होगी, ऐसे झकारिया ने कहा था| पाक़िस्तान के इस प्रस्ताव को बुधवार के दिन भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से क़रारा जवाब मिल गया|

विदेश सचिव एस. जयशंकर ने, ‘भारत पाक़िस्तान के साथ बातचीत करने के लिए तैयार है| लेकिन यह चर्चा कश्मीर के मुद्दे पर नहीं होगी, बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत पाक़िस्तान के साथ चर्चा करेगा’ ऐसा कहकर पाक़िस्तान को फटकारा| ‘इस समय जम्मू-कश्मीर में निर्माण हुई परिस्थिति, यह सीमा-पार से निर्यात हुई आतंकवादियों की वजह से हुई है| इसी कारण विदेश सचिवों में होनेवाली चर्चा आतंकवाद के मुद्दे पर होनी चाहिए, यह प्रस्ताव हम पाक़िस्तान को देते हैं’ ऐसा विदेश सचिव ने स्पष्ट किया| साथ ही, भारत का अविभाज्य भाग रहे जम्मू-कश्मीर के बारे में चर्चा संभव नहीं है, यह भी विदेश मंत्रालय ने पाक़िस्तान को कहा|

भारतीय सेना दल ने बुर्‍हान वनि को ढ़ेर कर देने के बाद, पाक़िस्तान सरकार ने खुलेआम आतंकवाद का समर्थन करने की भूमिका अपनायी थी| पाक़िस्तानी सेना की तरह सरकार ने भी यह आतंकवादी भूमिका अपनाने का फ़ैसला करने के बाद, भारत से उसपर कड़ी प्रतिक्रिया आयी| पाक़िस्तान की लोकनियुक्त सरकार के संदर्भ में अब तक हमदर्दी की नीति अपनानेवाले भारत सरकार की भूमिका में हुआ यह लक्षणीय बदलाव पाक़िस्तान पर दबाव बढ़ानेवाला साबित हुआ| ख़ासकर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पीओके’ और ‘बलुचिस्तान’ की परिस्थितियों पर किये वक्तव्य पाक़िस्तान को दहलानेवाले साबित हुए| इसी कारण, एक ओर से आतंकवादी कारनामों को प्रोत्साहन देनेवाले पाक़िस्तान द्वारा, दूसरी ओर से, भारत को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत करने के प्रस्ताव भी दिये जा रहे हैं।

पाक़िस्तान द्वारा चर्चा का प्रस्ताव दिया जाने के बाद भी भारत चर्चा के लिए तैयार नहीं, यह दिखावा पाक़िस्तान को आंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने खड़ा करना है| ‘सार्क’ परिषद के लिए पाक़िस्तान गये भारत के गृहमंत्री के प्रति राजशिष्टाचार का पालन भी पाक़िस्तान ने नहीं किया| इस कारण हुई अपनी बदनामी से ध्यान हटाने के लिए पाक़िस्तान चर्चा के इस प्रस्ताव का इस्तेमाल करना चाहता है| लेकिन भारत ने, चर्चा करने से इन्कार करने के बजाय, चर्चा का विषय आतंकवाद से जुड़ा रखकर बेहतरीन राजनीतिक दाँवपेंचों का प्रदर्शन किया है| इससे पाक़िस्तान की मुश्किलें बढ गयीं होकर, अब भारत के प्रस्ताव का जवाब देने की ज़िम्मेदारी पाक़िस्तान पर आयी है| इससे, आतंकवाद की ओर अनदेखा कर, चर्चा सिर्फ़ कश्मीर के मुद्दे तक ही सीमित रखने की पाक़िस्तान की कोशिश फिर एक बार नाक़ाम हो चुकी है|

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