‘डब्ल्यूटीओ’ मतभेद वाले देशों की भी सूनें – केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन

वॉशिंग्टन – विश्व व्यापार संगठन को अब अधिक प्रगतिशील होना चाहिये। कोई भी देश यदि कुछ अलग कहना चाहता है तो डब्ल्यूटीओ को उसकी बात सुननी चाहिये। यह देश सिर्फ सूनने के लिए नहीं बैठे हैं, इन शब्दों में केंद्रीय वित्त मंत्री सीतारामन ने डब्ल्यूटीओ द्वारा मतभेद किए जाने की बात पर ध्यान आकर्षित किया। संयुक्त राष्ट्र संघ में सुधार नहीं लाए गए तो यह संगठन अपना अस्तित्व खो बैठेगा, यह इशारा भारत ने पहले भी कई बार दिया है। संयुक्त राष्ट्र संघ की तरह अन्य वैश्विक संगठनों को भी गरीब और विकसनशील देशों को सही प्रतिनिधित्व नहीं दिया है। उनके विचारों का सम्मान नहीं किया गया तो यह संगठन भी अपना अस्तित्व खो बैठेंगे, ऐसा अप्रत्यक्ष संदेश केंद्रीय वित्त मंत्री ने इस माध्यम से दिया।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की सालाना बैठक में शामिल होने के लिए अमरीका के दौरे पर हैं। ९ अप्रैल से उनके इस दौरे की शुरुआत हुई। सोमवार को वह ‘पिटरसन इंस्टिट्यूट फॉर नैशनल इकॉनॉमिक’ नामक अध्ययन मंडल द्वारा आयोजित किए गए कार्यक्रम में शामिल हुई थीं। इस दौरान हम वाणिज्य मंत्री के तौर पर डब्ल्यूटीओ के साथ कुछ समय के लिए जुड़ी थी, इसकी याद भी उन्होंने ताज़ा की। डब्ल्यूटीओ की कार्यप्रणाली पर बोलते हुए इस संगठन को अब अधिक अवसर दिखाने होंगे, यह स्पष्ट किया। डब्ल्यूटीओ ने दूसरे देशों को खास तौर पर मतभेद वाले देशों के विचार भी सुनने चाहियें। उनके विचार रखने के अवसर उन्हें मिलने चाहिए, ऐसा सीतारामन ने कहा।

साथ ही वैश्वीकरण की प्रक्रिया में भी आर्थिक पारदर्शिता होनी चाहिए, ऐसी तीव्र मांग सीतारामन ने की। कुछ दिन पहले अमरिकी वाणिज्य मंत्री कैथरीना टाय के वैश्विकरण की वजह से अमरिकी अर्थव्यवस्था का नुकसान हुआ, ऐसा कहा था। इस पर ध्यान आकर्षित करते हुए यह प्रक्रिया पल्टी नहीं जा सकती, लेकिन, वैश्विकरण की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनाना यकीनन मुमकिन होगा, ऐसा उन्होंने कहा।

भारत ने कोटा फ्री और टैरिफ फ्री व्यापार की नीति अपनाई है। इससे अफ्रीका से पैसिफिक के किसी द्वीप देश तक कोई भी भारत से किसी भी प्रतिबंधों के बिना निर्यात कर सकता है, इस पर सीतारामन ने ध्यान आकर्षित किया और साथ ही अप्रत्यक्ष पद्धति से अमरीका और यूरोपिय देशों की नीति पर आलोचना की। भारत अपने डिजिटाइजेशन और कुशलता के विकास को प्राथमिकता दे रहा है। साथ ही भारत की आर्थिक नीति देश में निवेश को बल प्रदान कर रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिर है और यहां किसी समाज पर अन्याय होने की फैलाई गई खबरें गलत हैं। भारत में निवेश करने वाले इसकी जानकारी प्राप्त करें, ऐसा सीतारामन ने कहा।

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