रशिया की तरह चीन भी ‘डूम्स डे’ ड्रोन का निर्माण करेगा

बीजिंग – तकरीबन ३०० मीटर ऊंची त्सुनामी का निर्माण करके पूरे शहर को तबाह करने की क्षमता वाले ‘पोसायडन’ ड्रोन का समावेश रशिया की नौसेना में किया गया है। इसे ‘डूम्स डे’ यानी प्रलय लानेवाला, नाम देकर माध्यमों ने इस ड्रोन से मुमकिन संहार का अहसास कराया था। अब चीन भी रशिया की तरह ‘डूम्स डे’ ड्रोन का निर्माण करेगा, ऐसी जानकारी सामने आ रही है। पैसिफिक महासागर में इस ड्रोन को तैनात किया जा सकता है, ऐसा चीनी वैज्ञानिकों का कहना है। हम विकसित कर रहे परमाणु ड्रोन ‘टॉर्पेडो’ रशिया से अधिक प्रगत होने का दावा चीन कर रहा है।

चीनी वैज्ञानिकों के दल ने पनडुब्बी के लिए आवश्क ‘रिएक्टर’ का प्लैन तैयार करने का काम पूरा होने का दावा किया है। आकार में छोटे और कम लागत वाले इस परमाणु रिएक्टर की सहायता से टोर्पेडो के ‘स्वार्म’ पैसिफिक महासागर में छोड़े जा सकते हैं। ‘चायना शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री कॉर्पोरेशन’ नामक पत्रिका में इसकी जानकारी प्रसिद्ध हुई है। इसी बीच चीन के वैज्ञानिक रशियन ड्रोन ‘पोसायडन’ का छोटा संस्करण तैयार कर रहे हैं, ऐसा दावा हाँगकाँग की एक अखबार ने किया।

‘पोसायडन’ परमाणु ऊर्जा की सहायता से उड़ान भरनेवाला ‘ड्रोन टोर्पेडो’ है। ‘पोसायडन‘ ड्रोन वाहक रशिया की विशाल ‘बोल्गोरॉड’ पनडुब्बी कुछ दिन पहले ही रशियन नौसेना में शामिल हुई थी। फिलहाल रशिया के ही बेड़े में मौजूद ‘टायफून’ वर्ग की पनडुब्बी विश्व में सबसे बड़े आकार की पनडुब्बी मानी जाती है। लेकिन, तकरीबन १८४ मीटर लंबाई वाली ‘बोल्गोरॉड’ विश्व की ‘सुपरसाईज्‌’ पनडुब्बी बनी थी। बोल्गोरॉड पनडुब्बी पर छह पोसायडन ड्रोन तैनात करना मुमकिन है।

बोल्गरॉड पनडुब्बी और पोसायडन ड्रोन का आकार पिछले कुछ सालों से पश्चिमी देशों में चर्चा का बड़ा विषय बना है। लगभग एक हज़ार किलोमीटर दूरी तक हमला करने की क्षमता रखनेवाले ‘डूम्स डे ड्रोन’ मेगाटन भार के परमाणु विस्फोटकों के साथ उड़ान भर सकते हैं। इस वजह से एक ही क्षण में युद्ध का पलड़ा घुमाने की क्षमता यह ‘डूम्स डे’ ड्रोन रखते हैं, ऐसा रशियन सरकार का कहना है। यह स्वयंचलित ड्रोन बड़ी आसानी से उत्तर अटलांटिक क्षेत्र लांघ सकते हैं। इन ड्रोन्स की सहायता से लगभग ३०० फीट ऊंची त्सुनामी का निर्माण करके किसी बड़े शहर को डुबाना मुमकिन होगा, यह दावा किया जाता है।

अमरिकी मिसाइल की यंत्रणा को चकमा देकर अमरिकी तटीय इलाके को लक्ष्य करने के लिए रशिया ने यह ड्रोन तैयार किया, ऐसा अमरीका के सैन्य विश्लेषकों का कहना है। रशिया के यह ‘ड्रोन’ गेम चेंजर होने की खबरें प्राप्त हुई थीं। इसी पोसयडन ड्रोन की तर्ज पर चीन भी छोटे पोसायडन ड्रोन तैयार कर रहा है। लेकिन, अपना यह ड्रोन टोर्पेडो आम आकार की पनडुब्बी से भी छोड़ा जा सकेगा, यह दावा चीनी वैज्ञानिकों ने किया है। इस वजह से पनडुब्बी से पैसिफिक महासागर में टोर्पेडो स्वार्म से हमला करना मुमकिन हो सकता है, ऐसी चेतावनी चीनी वैज्ञानिक दे रहे हैं।

इसी बीच, रशिया का पोसायडन ड्रोन पहले ही अमरीका और नाटो के लिए चुनौती साबित हो रहा है। ऐसे में चीन भी रशिया की तरह पोसायडन ड्रोन तैयार करके अमरीका और नाटो की चुनौती बढ़ाता हुआ दिख रहा है।

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