सागर के तल से जासूसी करने वाली चीन की यंत्रणा कार्यान्वित – हिंदी महासागर, साउथ चाइना सी में गश्त बढ़ेगी

बीजिंग: चीन को यूरोप, खाड़ी और अफ्रीका देशों के साथ जोड़ने वाले समुद्री सिल्क रोड की सुरक्षा के लिए चीन ने समंदर के नीचे जासूसी नेटवर्क तैयार किया है। इस समुद्री नेटवर्क की सहायता से हिंदी महासागर, ‘साउथ चाइना सी’ में गश्त लगाने वाली चीन की पनडुब्बियों को अपना लक्ष्य निश्चित कर सकेंगी, ऐसा दावा ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ इस हॉंगकॉंग में स्थित चीनी दैनिक ने किया है।

अमरिका के समुद्री वर्चस्व को चुनौती देने के लिए पिछले कुछ वर्षों से चीन ने जोरदार कोशिशें शुरू की हैं। इसके लिए चीन के ‘चायनीज अकादमी ऑफ़ सायंस’ (कॅश) के अंतर्गत ‘साउथ चाइना सी इंस्टिट्यूट ऑफ़ ओशियानोलॉजी’ यह विभाग स्थापन किया गया था। इस विभाग के पास ‘साउथ चाइना सी’ के समुद्री क्षेत्र का अभ्यास साथ ही सामरिक मोर्चों पर नीतियाँ कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। चीन के इसी विभाग ने ही समुन्दर के नीचे गुप्तचर नेटवर्क निर्माण करने में सफलता पाई है, ऐसा हॉंगकॉंग स्थित दैनिक ने अपनी खबर मी कहा ही।

जासूसी नेटवर्क

चीन का यह जासूसी नेटवर्क इसके पहले ही कार्यान्वित हो गया है और समुद्री तल से जानकारी प्राप्त करने का काम शुरू हो चूका है। पिछले कुछ वर्षों के निर्माण के बाद नवम्बर में यह यंत्रणा पूरी हुई है और चीन की नौसेना को सौंपी गई थी। समुन्दर के पानी का तापमान और खट्टापन इनकी जानकारी प्राप्त करके, विनाशिकों को शुद्धरूपसे लक्ष्य बनाया जा सकता है। उसीके साथ ही नौपरिवहन के लिए भी इसका फायदा हो सकता है, ऐसा इस दैनिक ने प्रसिद्द किया है।

चीन के समंदर के नीचे के जासूसी नेटवर्क को इस जानकारी की आपूर्ति करने के लिए समंदर के ऊपर मंडराने वाले दिशादर्शक, जहाजों के साथ सॅटेलाईटस और समंदर के नीचे बोए गए ‘ग्लायडर्स’ का भी इस्तेमाल हो रहा है। ‘साउथ चाइना सी’, ‘पश्चिम प्रशांत महासागर’ और ‘हिंदी महासागर’ इन समुद्री क्षेत्रों में इस तरह की यंत्रणा निर्माण की गई है। इन समुद्री क्षेत्रों की यंत्रणाओं की तरफ से प्राप्त की हुई जानकारी, तीन गुप्तचर यंत्रणाओं को भेजी जाती है। ‘साउथ चाइना सी’ के पॅरासेल द्वीपसमूह पर इसमें से एक गुप्तचर केंद्र खड़ा किया गया है। चीन के गुआंगदोंग प्रान्त के दक्षिण में और दक्षिण आशिया में अन्य दो केंद्र होने का दावा इस दैनिक ने किया है।

इसके अलावा अपने समुद्री जासूसी नेटवर्क को सहायक के तौर पर चीन ने हिंदी महासागर में कुछ तल निर्माण करना शुरू किया है। पिछले वर्ष अफ्रीका की उत्तर के जिबौती में स्थित चीन के नौसेना का तल, साथ ही श्रीलंका के हंबंटोटा बंदरगाह और पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह का चल रहा विकास, सहायक तल साबित हो सकते हैं, ऐसी संभावना हॉंगकॉंग के इस दैनिक ने जताई है।

दौरान, ‘साउथ चाइना सी’ में चीन की बढती गतिविधियाँ इसके पहले ही चिंता का विषय बन गई थी। चीन इस समुद्री क्षेत्र पर अतिक्रमण कर रहा है, ऐसा आरोप अमरिका ने किया था। लेकिन चीन ने अमरिका के इस आरोप को ख़ारिज करके संपूर्ण ‘साउथ चाइना सी’ पर अपना अधिकार जताया था। हिंदी महासागर में चीन की बढती गश्त भारत के लिए भी सिरदर्द बन गई है। ऐसी परिस्थिति में चीन का समंदर के नीचे का नेटवर्क भारत, अमरिका और अन्य देशों की सुरक्षा यंत्रणाओं को गंभीरता से सोचने पर मजबूर कर रहा है।

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