बायडेन प्रशासन के निर्णय की वजह से अमरीका-इस्रायल संबंध बिगड़ेंगे – इस्रायल के पूर्व सेना अधिकारी का इशारा

us-israel-relations-biden-1जेरूसलम – ‘पैलेस्टिन के लिए जेरूसलम में अमरिकी उच्च विभाग शुरू करने के बायडेन प्रशासन के निर्णय की वजह से अमरीका और इस्रायल के ताल्लुकात बिगड़ेंगे। इसके गंभीर परिणाम इस्रायल समेत अमरीका को भी भुगतने पड़ेंगे’, यह इसारा इस्रायल के पूर्व सेना अधिकारी और विश्‍लेषकों ने दिया है। जेरूसलम के प्रति इस्रायली नागरिकों की भावना तीव्र है और जेरूसलम सिर्फ इस्रायल की ही राजधानी होने का इशारा प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने एक हफ्ते पहले ही बायडेन प्रशासन को दिया था।

ठीक तीन वर्ष पहले अमरीका के पूर्व राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने अमरिकी दूतावास तेल अवीव से जेरूसलम में स्थानांतरित किया था। इस्रायल एक सार्वभौम देश है और जेरूसलम ही इस्रायल की राजधानी होने का ऐलान ट्रम्प ने किया था। साथ ही पूर्व जेरूसलम में स्थित पैलेस्टिनियों का दूतावास बंद करके जेरूसलम के दो टुकड़े करने की पैलेस्टिन की मांग भी खारीज़ की थी। लेकिन, इस वर्ष फ़रवरी में अमरीका की सत्ता की ड़ोर हाथ संभालने के बाद ज्यो बायडेन के प्रशासन ने ट्रम्प का यह निर्णय पीछे लेने की गतिविधियां बढ़ाई हैं।

मई में अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन ने पैलेस्टिन के राष्ट्राध्यक्ष महमूद अब्बास से मुलाकात की थी। साथ ही पूर्व जेरूसलम में पैलेस्टिन के लिए अमरिकी दूतावास फिर से शुरू करने का ऐलान किया। बायडेन प्रशासन के इस निर्णय पर इस्रायल से तीखी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी।

us-israel-relations-biden-2इस्रायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने हफ्ते पहले जेरूसलम को लेकर पुख्ता भूमिका अपनाई। अमरीका यदि चाहती ही है तो वह वेस्ट बैंक में पैलेस्टिनियों के लिए दूतावास शुरू करे, यह सलाह बेनेट ने दी थी। लेकिन, बायडेन प्रशासन की भूमिका में फर्क ना होने की बात दिखती है। नवंबर के अन्त में बायडेन प्रशासन पेलैस्टिन के लिए जेरूसलम में दूतावास शुरू करने से संबंधित ऐलान कर सकता है, ऐसा माध्यमों का कहना है।

इस्रायली सेना के निवृत्त अधिकारी एवं शीर्ष लष्करी विश्‍लेषक गरशॉन हैकोहेन ने इस मुद्दे पर बायडेन प्रसासन को इशारा दिया। ‘अमरीका ने जेरूसलम में पैलेस्टिन के लिए दूतावास शुरू किया तो वह इस्रायल के अंदरुनि कारोबार में स्पष्ट तौर पर हस्तक्षेप माना जाएगा। यह निर्णय हमारे सम्मान के लिए बड़ा झटका होगा और यह बात इस्रायल की संप्रभुता एवं अमरिकी नियमों का उल्लंघन होगा’, यह इशारा हैकोहेन ने दिया।

२३ अक्तुबर १९९५ के दिन अमरिकी कांग्रेस ने पारित किए ‘जेरूसलम/एम्बैसी एक्ट’ के अनुसार जेरूसलम का पूर्व और पश्‍चिमी हिस्सा इस्रायल के प्रशासन की संयुक्त राजधानी हैं। इसके बावजूद अमरीका ने तेल अवीव में अपना दूतावास स्थापित करके जेरूसलम के पूर्वीय हिस्से में पैलेस्टिन के लिए दूतावास शुरू किया था। वर्ष २०१८ में राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने जेरूसलम को राजधानी घोषित करके अपना दूतावास स्थानांतरित किया था। अमरिकी कांग्रेस के नियम के अनुसार ट्रम्प का निर्णय उचित था, यह दावा तब किया गया था।

लेकिन, बायडेन प्रशासन इसमें बदलाव करने की तैयारी में है और इसके गंभीर परिणाम इस्रायल की तरह अमरीका को भी भुगतने पड़ेंगे, यह इशारा हैकोहेन ने दिया। ‘अमरीका द्वारा इस्रायल को केवल कारोबारी स्तर पर ही नहीं, बल्की नैतिक स्तर के समर्थन की भी उम्मीद है। ऐसी स्थिति में अमरीका ने जेरूसलम से संबंधित ऐसा गलता निर्णय किया तो इससे अमरीका के कड़े निश्‍चय को नुकसान पहुँचेगा। ऐसा हुआ तो इस क्षेत्र का तनाव अधिक बढ़ेगा’, यह इशारा हैकोहेन ने दिया।

इसके बाद भी बायडेन प्रशासन ने जेरूसलम संबंधित निर्णय किया तो इस्रायल ने अमरीका को इस्रायल से चलते बने, ऐसा कहने की एवं अमरीका के तीन अरब डॉलर्स की सहायता ठुकराने की तैयारी रखनी होगी, ऐसा सुझाव हैकोहेन ने दिया है। इसके लिए इस्रायली लष्करी विश्‍लेषकों ने वर्ष १९४८ का दाखिला दिया। ‘अमरिकी सहायता के बिना हम इस्रायली नागरिकों ने वर्ष १९४८ की आज़ादी की जंग शुरू की थी। अब भी इस्रायली ऐसा कर सकते हैं। इसके लिए इस्रायल को सिर्फ ईश्‍वर की सहायता काफी होगी’, यह विश्‍वास हैकोहेन ने व्यक्त किया है।

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