डॉक्टर तथा वैद्यकीय कर्मचारियों पर के हमलें ग़ैरज़मानती गुनाह; ७ साल की सज़ा – केंद्र सरकार का अध्यादेश

नई दिल्ली – सेवा अदा कर रहें डॉक्टर और वैद्यकीय कर्मचारियों पर हमलें करनेवालों को अब सात साल तक का कारावास हो सकता है। साथ ही, ऐसे मामले में या प्रकरणात आरोपियों को ज़मानत भी नहीं मिलेगी। केंद्र सरकार ने डॉक्टर तथा वैद्यकीय कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए १२३ साल पुराने क़ानून में बदलाव किया होकर, अध्यादेश भी जारी कर उसके प्रावधान लागू किये हैं।

देश में कोरोनावायरस का फैलाव हो रहा होते समय, वैद्यकीय कर्मचारियों पर हमले की घटनाएँ बढ़ीं हैं। जाँच के लिए गये वैद्यकीय पथकों पर हमले होने की निंदनीय घटनाएँ सामने आ रहीं हैं। चेन्नई में एक डॉक्टर की कोरोना के कारण मृत्यु हुई थी। उनका पार्थिव ले जानेवाली रुग्णवाहिका पर भी कुछ समाजकंटकों ने हमला किया था। इस पार्श्वभूमि पर, इंडियन मेडिकल असोसिएशन (आयएमए) ने आंदोलन की चेतावनी दी थी।

कोरोनावायरस के कारण देश में फिलहाल स्वास्थ्य ईमर्जन्सी की स्थिति होते समय, वैद्यकीय कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी की पार्श्वभूमि पर केंद्रीय गृहमंत्री ने ‘आयएमए’ के प्रतिनिधियों के साथ व्हिडीओ कॉन्फरसिंग द्वारा चर्चा की। इस समय, हमलावरों पर सख़्त क़ानूनी कार्रवाई का आश्वासन देने के बाद यह आंदोलन स्थगित किया गया। इसके बाद, दोपहर को मंत्रीमंडल की बैठक में १८९७ के ‘एपिडेमिक डिसीज्’ क़ानून में बदलाव करने का निर्णय लिया गया। यह सुधारित क़ानून फिलहाल अध्यादेश जारी कर लागू किया गया है। उसपर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर भी हुए हैं।

इस अध्यादेश के अनुसार, सरकार ने डॉक्टर तथा वैद्यकीय कर्मचारियों पर के हमलें ग़ैरज़मानती किये हैं। साथ ही, हमलावरों को तीन से पाँच साल तक की सज़ा और गंभीर मामलों में ७ साल तक के कारावास की सज़ा हो सकती है। उसीके साथ, हमलावरों से ५० हज़ार से २ लाख तक का जुर्माना भी वसूला जातेगा। इतना ही नहीं, बल्कि हमले में अस्पताल, क्लिनिक, वाहन का जितना नुकसान हुआ होगा, उससे दोगुना मुआवज़ा वसूल किया जायेगा, ऐसा केंद्रीय जानकारी एवं प्रसारणमंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा।

डॉक्टर, नर्सेस और अन्य वैद्यकीय कर्मचारियों की सुरक्षा से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जायेगा। ये सब लोग अपनी जान ज़ोख़म में डालकर कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ रहे होते समय, उनपर के हमलें सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी, ऐसा भी जावडेकर ने कहा। गत कुछ वर्षों से डॉक्टर तथा वैद्यकीय कर्मचारियों पर होनेवाले हमलों के ख़िलाफ़ ऐसे सख़्त क़ानून की माँग हो रही थी।

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