देश में पहली बार होगी ‘हींग’ की खेती

hingनई दिल्ली – भारतीय नागरिकों की रसोई में मसालों के तौर पर इस्तेमाल हो रही और औषधि गुणों के लिए जानी जा रही हींग का उत्पादन देश में ही किया जाएगा। १५ अक्तुबर को हिमाचल प्रदेश की समुद्र की सतह से तकरीबन ११ हज़ार फीट की ऊँचाई पर लाहौल वैली में स्थित क्वेरिंग गांव में ‘हींग’ बोयी गई है। इस हींग की प्रजाति का निर्माण पालमपुर की ‘इन्स्टिट्युट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नॉलॉजी’ (आयएचबीटी) की लैब में वैज्ञानिकी तरीके से किया गया है।

hingभारत में प्रतिवर्ष १,२०० टन हींग आयात की जाती है। इनमें से ९०% हींग अफ़गानिस्तान से, ८% उज़बेकिस्तान और २% ईरान से आयात होती है। विश्‍वभर में आयात हो रही कुल हींग में से सबसे अधिक पूरे ५०% हींग की आयात भारत में होती है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में हींग की किमत प्रति किलो ३५ हज़ार रुपये है। हींग के आयात के लिए भारत प्रतिवर्ष १० करोड़ डॉलर्स खर्च करता है। बीते वर्ष अफ़गानिस्तान, ईरान और उज़बेकिस्तान से करीबन १,५०० टन कच्ची हींग आयात की गई और इसके लिए करीबन ९४२ करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

‘आयएचबीटी’ के संचालक डॉ.संजय कुमार ने क्वेरींग के एक खेत में हींग बोयी। देश में अब तक हींग की खेती नहीं हुई है। अफ़गानिस्तान से हींग के बीज लाकर ‘आयएचबीटी’ ने वैज्ञानिक पद्धती से इसका पौधा विकसित किया। ‘आयएचबीटी’ के वैज्ञानिकों ने हींग की सात प्रजातियां विकसित की हैं। इस हींग की खेती के लिए २० से ३० डिग्री तापमान की आवश्‍यकता होती है, यह जानकारी ‘आयएचबीटी’ के संचालक ने साझा की।

hingअगले पांच वर्षों में हींग की खेती के लिए प्रति हेक्टर करीबन ३ लाख रुपये लागत लग सकती है और पांचवे वर्ष से किसानों को कम से कम १० लाख रुपयों की आय हो सकेगी। इसकी खेती देश के ठंड़े इलाकों के किसानों के लिए गेम चेंजर साबित होगी। ३०० हेक्टर जमीन इस खेती के लिए तय की गई है, यह जानकारी ‘आयएचबीटी’ के संचालक डॉ.संजय कुमार ने साझा की।

‘आयएचबीटी’ ने हींग के उत्पादन के लिए लाहौल-स्पिती ज़िले का चयन किया है। देश में हींग का उत्पादन करनेवाला यह पहला ज़िला होगा। इस हींग के बीज का बटवारा मैडग्रा, बिलिंग, केलाँग और क्वेरींग के सात किसानों को किया जा रहा है। ठंड़ा प्रदेश हींग के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। यह उपक्रम सफल हुआ तो यहां के किसानों का जीवन बदलेगा, यह विश्‍वास ‘आयएचबीटी’ के वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया है।

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