आर्मेनिया-अज़रबैजान के बीच नया संघर्ष होने के संकेत

आर्मेनिया-अज़रबैजानयेरेवान/बाकु – बीते वर्ष नवंबर में रशिया की मध्यस्थता से बंद हुए ‘आर्मेनिया’-‘अज़रबैजान’ संघर्ष फिर से भड़कने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। अज़रबैजान की सेना ने बीते हफ्ते आर्मेनिया की सीमा में घुसपैठ करने की घटना सामने आयी है। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशनियान ने सीमा पर बढ़ने का इशारा दिया है। लेकिन, अज़रबैजान ने सीमारेखा तय करने की प्रक्रिया शुरू होने का बयान करके तनाव होने का वृत्त ठुकराया है।

सेंट्रल एशिया स्थित आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच बीते वर्ष सितंबर में जोरदार युद्ध भड़का था। ‘नागोर्नो-कैराबख’ प्रांत के नियंत्रण को लेकर शुरू हुए इस युद्ध में तुर्की ने अज़रबैजान का समर्थन करके युद्ध में प्रवेश किया था। इसी बीच आर्मेनिया के समर्थक रशिया ने पूरी सहायता प्रदान करने के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाया। ऐसे में तुर्की के समर्थन के बल पर अज़रबैजान ने आर्मेनिया को परास्त करने की कामयाबी हासिल की थी। ४४ दिन चले इस युद्ध के बाद रशिया की मध्यस्थता से हुए शांति समझौते के अनुसार आर्मेनिया अपने बड़े क्षेत्र का कब्ज़ा छोड़ने के लिए मज़बूर हुआ था।

आर्मेनिया-अज़रबैजान

इसके बाद बीते कुछ महीनों से इस क्षेत्र में शांति फिर से भंग होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। बीते हफ्ते में अज़रबैजान की सेना ने आर्मेनिया की सीमा के भीतर ३.५ किलोमीटर दूरी तक घुसपैठ करने की जानकारी सामने आयी है। स्यूनिक प्रांत में स्थित ‘सेव लेक’ पर कब्ज़ा करने की कोशिश अज़रबैजान की सेना ने की। लेकिन, आर्मेनिया की सेना ने आक्रामक तैनाती करके इशारे देने से ‘सेव लेक’ पर कब्ज़ा करने की अज़रबैजान की कोशिश नाकाम हुई, ऐसी जानकारी सूत्रों ने प्रदान की।

इस घटना के बाद आर्मेनिया ने तुरंत ‘नैशनल सिक्युरिटी कौन्सिल’ की बैठक आयोजित करके लष्करी तैनाती बढ़ाने के संकेत दिए हैं। साथ ही आर्मेनिया की सीमा में घुसपैठ करनेवाली अज़रबैजान की सेना की वजह से ही यहां तनाव बढ़ा है और वे तुरंत पीछे हटें, ऐसा इशारा भी प्रधानमंत्री पशनिया ने दिया है। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन से बातचीत करने की जानकारी भी प्रदान की आर्मेनिया-अज़रबैजानगई है। इसके बावजूद अज़रबैजान की सेना ने पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिए हैं।

अज़रबैजान की सरकार ने साझा की हुई जानकारी में यह कहा गया है कि, सेना ने पहल करके नए हिस्सों में प्रवेश किया है। लेकिन, यह गतिविधि आर्मेनिया के साथ सीमा तय करने की प्रक्रिया का हिस्सा होने की बात भी स्पष्ट की है। अज़रबैजान की गतिविधियों पर अमरीका और फ्रान्स द्वारा प्रतिक्रिया दर्ज़ की गई है। अमरीका के विदेश विभाग ने संयम बरतने का आवाहन किया है। इसी बीच फ्रान्स ने आक्रामक भूमिका अपनाकर अज़रबैजान को पीछे हटने का इशारा दिया है।

इस मामले में रशिया की भूमिका घटना की रहस्यता बढ़ानेवाली साबित हुई है। हम स्थिति पर नज़र रखे हुए हैं और स्थिति सामान्य होने के लिए हर तरह की सहायता प्रदान करेंगे, यह बात रशिया ने कही है। नवंबर में हुए शांति समझौते के बाद आर्मेनिया और अज़रबैजान के सरहदी क्षेत्र में रशियन शांति सैनिकों की तैनाती हुई है। ऐसा होते हुए भी अज़रबैजान की सेना ने आर्मेनिया में घुसपैठ करना और इसके बाद रशिया ने ध्यान होने का दावा करना बड़ी घटना साबित होती है।

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