अज़रबैजान के युद्ध में तुर्की कर रहा है पाकिस्तानी स्पेशल फोर्सेस का इस्तेमाल – आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान

TURKEY-azerbaijanयेरेवान/अंकारा – आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शुरू युद्ध में तुर्की ने अपनी सेना के साथ ही पाकिस्तानी सेना की स्पेशल फोर्सेस का भी इस्तेमाल करना शुरू किया है, यह आरोप आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पशिनयान ने किया है। बीते महीने में आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध शुरू होने के साथ ही पाकिस्तान पर यह हमला होने का यह तीसरा अवसर है। इससे पहले वर्ष १९९० के दशक में हुए आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध के दौरान भी पाकिस्तानी सेना अज़रबैजान के पक्ष में उतरी थी। इस युद्ध में अज़रबैजान पीछे हटने के लिए मज़बूर हुआ था।

आर्मेनिया-अज़रबैजान में शुरू युद्ध खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय आवाहन कर रहा है। उसी समय तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश अभी भी अज़रबैजान की खुलेआम सहायता करने में जुटे होने की बात सामने आ रही है। तुर्की ने पहले ही दिन अज़रबैजान को बड़ी मात्रा में लष्करी सहायता प्रदान करने की एवं सीरियन आतंकियों के दल भेजने की बात सामने आयी थी। साथ ही अब इस युद्ध में पाकिस्तान का भी हुआ समावेश सामने आ रहा है और यह देश तुर्की के लिए ही इस युद्ध में शामिल हुआ है, यह बात आर्मेनियन प्रधानमंत्री ने किए बयान से स्पष्ट हो रही है। पाकिस्तान एवं अज़रबैजान ने आर्मेनिय प्रधानमंत्री के आरोप ठुकराए हैं और इन आरोपों में सच्चाई ना होने की बात स्पष्ट की है।

TURKEY-azerbaijanबीते कुछ वर्षों में पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थक देश के तौर पर सामने आ रहा है और गलत नीति की वजह से इस देश ने अपने कई पारंपरिक मित्रदेश खोए हैं। फिलहाल चीन और तुर्की के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस देश को ज्यादा संख्या में मित्र नहीं बचे हैं। इस वजह से इन देशों के साथ मित्रता जारी रखने के लिए पाकिस्तान किसी भी स्तर पर जाने की तैयारी दिखाता है। आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में पाकिस्तान ने किया हुआ प्रवेश तुर्की के साथ नज़दिकीयां बरकरार रखने की कोशिशों का हिस्सा होने की बात दिख रही है। तुर्की कश्‍मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन कर रहा है और इसका भुगतान करन के लिए पाकिस्तान अब तुर्की की मुहिमों में शामिल हो रहा है, यह दावे भी हो रहे हैं।

TURKEY-azerbaijanइससे पहले पाकिस्तानी सेना सौदी अरब के लिए येमन के युद्ध में भी उतरी थी। इस युद्ध में सौदी के मोर्चे को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। इस युद्ध में शामिल हुए पाकिस्तान पर ईरान ने जोरदार आलोचना भी की थी। इस पृष्ठभूमि के बावजूद पाकिस्तान ने तुर्की के लिए आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध में किया हुआ प्रवेश इस देश की सरकार और सेना की नाकामी दिखानेवाला साबित होता हैं।

कुछ दिन पहले आर्मेनिया के उप-विदेशमंत्री अवेत अदोन्त्स ने एक भारतीय समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में अज़रबैजान में पाकिस्तानी सैनिक सक्रिय होने का बयान किया था। यह बात सबूतों के साथ जल्द ही साबित होगी, यह बयान भी उन्होंने किया था। अदोन्त्स के बयान पर सोशल मीडिया में बड़ी प्रतिक्रिया प्राप्त हुई थी। ‘आर्मेनिया बिल्कुल फिक्र ना करे। पाकिस्तानी सेना का युद्ध में हारने का बड़ा इतिहास है। आपके विरोध में लड़ रहे पाकिस्तानी सैनिक आपके लिए शुभ संकेत साबित होंगे’, ऐसी फटकार भारत के एक पूर्व रक्षा अधिकारी ने लगाई थी।

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