अमरिका ने ईरान के विरोध में ‘मनोवैज्ञानिक युद्ध’ शुरू किया – ईरान के वरिष्ठ अधिकारी का दावा

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरतेहरान – अमरिका की विशाल विमान वाहक युद्धपोत ‘यूएसएस अब्राहम लिंकन’, ‘बी-५२ बॉम्बर्स’ विमान और ‘पैट्रिऑट’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा ईरान की समुद्री क्षेत्र के निकट तैनात हो रही है| इस पर ईरान के रिव्होल्युशनरी गार्डस् के प्रमुख कमांडर हुसैन सलामी ने काफी कडी प्रतिक्रिया दर्ज की है| ‘अमरिका ने ईरान के विरोध में ‘मनोवैज्ञानिक युद्ध’ शुरू किया है’, ऐसा सलामी ने कहा है| लेकिन, ‘पहले के समय में अमरिका की विमान वाहक युद्धपोत ईरान के लिए खतरा होती थी, पर वर्तमान समय में यह युद्धपोत ईरान में सामने चलकर पहुंची युद्धपोत मुफत का अवसर साबित होती है’, यह दावा सलामी इन्होंने किया|

ईरान के निकट समुद्री क्षेत्र में अमरिकी युद्धपोतों की तैनाती अब हमेशा की बात बनी है| इस वजह से इस तैनाती का दबाव ईरान पर कम होने का एहसास अमरिका को रहा है| इसी लिए अमरिका ने इस बार युद्धपोत के बेडे के साथ बॉम्बर विमान और अन्य हथियार भी तैनात किए है| यह अमरिका ने शुरू किए मनोवैज्ञानिक युद्ध का हिस्सा होता है’, यह दावा मेजर जनरल सलामी इन्होंने किया| लेकिन, अमरिका के विमान वाहक युद्धपोत की वजह से ईरान को चिंता करने की जरूरत नही है, यह भी मेजर जनरल सलामी ने ईरान की संसद को कहा है|

पहले के दौर में अमरिकी विमान वाहक युद्धपोत खाडी क्षेत्र में पहुंची, मतलब इससे बडा खतरा होने की बात समझी जाती थी| पर, अब अमरिका के करीबन ५० लडाकू विमान, छह हजार सैनिकों की तैनाती के साथ पहुंची यह युद्धपोत ईरान के सामने चलकर आया मुफत का अवसर साबित होती है’, ऐसा मेजर जनरल सलामी ने कहा है| अमरिका इस युद्धपोत का इस्तेमाल ईरान के विरोध में कर नही सकती| क्यों की ईरान के पास अब इस युद्धपोत को लक्ष्य करने के लिए जरूरी सामर्थ्य है| इसी लिए इस युद्धपोत का इस्तेमाल करके ईरान पर हमला करने की गलती अमरिका नही करेगी, यह दावा मेजर जनरल सलामी इन्होने ईरान की संसद में किया|

इससे पहले भी ईरान के सेना अधिकारियों ने खाडी क्षेत्र में मौजूद अमरिकी युद्धपोत एवं लष्करी ठिकाने नष्ट करने की धमकी दी थी| अब मेजर जनरल सलामी इन्होने ईरान को अमरिका की तैनाती की फिक्र ना होने के आक्रामक वक्तव्य किए है| लेकिन, अमरिका ने यहां पर की तैनाती की ओर देखा जाए तो इससे ईरान बहुत ज्यादा दबाव में आता दिख रहा है| इस बारे में ईरान के नेताओं ने किए वक्तव्य और ईरान की गतिविधियां ही इसकी साक्ष्य दे रही है|

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