विमानवाहक युद्धपोत ‘विक्रांत’ नौसेना के हवाले – ऐतिहासिक घटना होने का नौसेना का दावा

नई दिल्ली – भारतीय नौसेना ने कोचिन शिपयार्ड से विमानवाहक युद्धपोत विक्रांत प्राप्त किया है। नौसेना के लिए यह ऐतिहासिक घटना है क्योंकि, विक्रांत देश में ही निर्माण किया गया पहला विमानवाहक युद्धपोत है। इससे भारत का समावेश विमान वाहक युद्धपोत निर्माण करने की क्षमता वाले देशों में हुआ है। १५ अगस्त को विक्रांत का भारतीय नौसेना में समावेश किया जाएगा, ऐसी संभावना जतायी जा रही है।

४५ हज़ार टन वजन, २६२ मीटर लंबा, ६२ मीटर चौड़ा और ५९ मीटर ऊंचे इस युद्धपोत का निर्माण साल २००९ से जारी था। इस युद्धपोत पर २,३०० कंपार्टमेंटस्‌‍ हैं और इसमें १,७०० नौसैनिक रह सकते हैं। इनमें महिला नौसेना अधिकारियों के लिए विशेष केबिन्स का भी समावेश है। साथ ही यह युद्धपोत तकरीबन २८ नॉटिकल मील की गति से सफर सकता है। विक्रांत ७,५०० नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है। इस युद्धपोत पर लड़ाकू ‘मिग-२९के’ विमान, ‘कमाव-३१ हेलिकॉप्टर्स’ और बहु-उद्देशीय ‘एमएच-६०आर’ हेलीकॉप्टर्स की तैनाती होगी।

इस विमान वाहक युद्धपोत के निर्माण के लिए तकरीबन २० हज़ार करोड़ रुपयों की लागत आई। अगस्त २०२१ से जुलाई २०२२ तक विक्रांत के परीक्षण किए गए। चौथे और अंतिम चरण के सफल परीक्षण के बाद इस युद्धपोत को नौसेना को सौंपा गया। कोचिन शिपयार्ड में इस युद्धपोत का निर्माण किया गया है और इनमें से ७६ प्रतिशत हिस्सा भारतीय निर्माण का है। यह युद्धपोत आत्मनिर्भर भारत योजना का परिपूर्ण उदाहरण बनेगा, ऐसा नौसेना ने कहा है। विक्रांत को प्राप्त हुई सफलता की वजह से सरकार के मेक इन इंडिया अभियान को अधिक गति मिलेगी, यह विश्वास भी नौसेना ने व्यक्त किया। १५ अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस युद्धपोत का नौसेना में अधिकृतरूप से समावेश किया जाएगा, ऐसा कहा जा रहा है।

विक्रांत के समावेश से भारतीय नौसेना की क्षमता काफी बढ़ेगी। देश के विस्तृत समुद्री क्षेत्र में गश्त लगाने के साथ ही इस क्षेत्र में आवश्यक भारतीय नौसेना का वर्चस्व स्थापित करने के लिए विक्रांत प्रभावी साबित होगा। हिंद महासागर क्षेत्र की ओर अंतरराष्ट्रीय ताकतों का ध्यान लगा हुआ है और इस क्षेत्र पर पाया गया कब्ज़ा अगले समय में अपने हित की सुरक्षा के लिए काफी अहम साबित होगा, इसका अहसास अब तक विश्वभर के प्रमुख देशों को हुआ है। ऐसी स्थिति में  इस क्षेत्र में भारतीय नौसेना की भूमिका बड़ी अहमियत रखती है। भारत में व्यापार बढ़ रहा है और ऐसे में व्यापारी सुरक्षा के साथ ही इस क्षेत्र में अपना कुदरती प्रभाव कायम रखने के लिए भारत को ‘ब्लू वॉटर नेवी’ अर्थात गहरे समुद्र में सामर्थ्य बनाए रखने की क्षमता वाली नौसेना की जरुरत है।

ऐसी स्थिति में फिलहाल भारतीय नौसेना के बेड़े में मौजूद ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ नामक अन्य विमानवाहक युद्धपोतों के अलावा विक्रांत जैसे नए विमान वाहक युद्धपोत की बड़ी ज़रूरत थी। इससे भारतीय नौसेना की क्षमता काफी बढ़ेगी। इसी बीच आनेवाले समय में भारत को और एक विमान वाहक युद्धपोत की ज़रूरत पडेगी, इसे ध्यान में रखते हुए पूरी तरह के स्वदेशी निर्माण के ‘विशाल’ के निर्माण का काम शुरू हुआ है।

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