चीन के तनाव की पृष्ठभूमि पर भारतीय नौसेना ने अंडमान-निकोबार में किया युद्धाभ्यास

अंडमान – चीन सीमा पर बना तनाव अभी पूरी तरह से ख़त्म नहीं हुआ हैं और ऐसें में भारत ने सभी ओर से चीन पर दबाव बढ़ाने के लिए गतिविधियाँ शुरू की हैं। साउथ चायना सी के मुद्दे पर शुक्रवार के दिन चीन को फटकार लगाने के बाद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखाने के लिए भारतीय नौसेना ने अंडमान-निकोबार द्विपों के करीबी क्षेत्र में व्यापक युद्धाभ्यास शुरू किया है। साउथ चायना सी में अमरीका के विमान वाहक युद्धपोत दुबारा दाखिल हुए हैं और तभी भारतीय नौसेना ने शुरू किए इस युद्धाभ्यास को विशेष अहमियत प्राप्त हुई हैं।

अंडमान-निकोबार

भारतीय नौसेना के ईस्टर्न नेव्हल कमांड और अंडमान ॲण्ड निकोबार कमांड के युद्धपोत, पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान, गश्‍ती विमानों के साथ हज़ारों सैनिक इस युद्धाभ्यास में शामिल हुए हैं। भारतीय नौसेना के ईस्टर्न नेव्हल फ्लीट के प्रमुख रिअर एडमिरल संजय वात्सायन के नेतृत्व में यह युद्धाभ्यास हो रहा हैं, यह जानकारी सूत्रों ने साझा की। भारतीय नौसेना ने मलाक्का की खाड़ी में तैनात किए कुछ युद्धपोत भी इस युद्धाभ्यास में शामिल किए होने की जानकारी दी जा रही हैं। अंडमान-निकोबार कमांड यह भारतीय रक्षाबलों का एक ही ‘थिएटर कमांड’ हैं और इस कमांड में लष्कर, नौसेना एवं वायुसेना के साथ तटरक्षक बल का भी समावेश हैं।

भारतीय नौसेना का युद्धाभ्यास हो रहा क्षेत्र चीन के लिए काफी अहम व्यापारी मार्ग हैं। चीन का अधिकांश व्यापार मलक्का की खाड़ी एवं हिंद महासागर की सागरी यातायात पर निर्भर हैं। यह मार्ग बंद करने पर चीन के व्यापार एवं र्इंधन आयात को बड़ा झटका लग सकता है। इसी कारण चीन ने पिछले दशक से हिंद महासागर में तैनाती बढ़ाने की कोशिश शुरू की है।

बांग्लादेश, म्यानमार और श्रीलंका इन देशों में स्थित बंदरगाहों का बतौर अड्डे इस्तेमाल करने की चीन की कोशिश फिलहाल नाकाम हुई दिख रही है। लेकिन, उसी समय चीन की पनडुब्बियां हिंद महासागर में विचरण करने की बात पिछले कुछ वर्षों से दिखाई दे रही है। हिंद महासागर के क्षेत्र में चीन की गतिविधियों पर लगाम कसने के लिए भारत ने अपनी नौसेना की ताकत बड़ी मात्रा में बढ़ाई है। अमरीका और जापान जैसें देशों की नौसेना के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास करके भारत ने अपनी यह ताकत लगातार दिखाई हैं। ऐसें में अब हो रहा नया युद्धाभ्यास नौसेना की ताकत दिखाने के साथ चीन को उनकी हरकतों पर कड़ी चेतावनी देने की कोशिश है।

पिछले कुछ महीनों से चीन ने भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश लगातार की है। जून महीने में गलवान वैली में की हुई ऐसी कोशिश भारतीय सेना ने उधेड़ दी है। गलवान वैली में भारत ने दिए झटके के बाद भी चीन ने लद्दाख और अन्य हिस्सों में बड़ी मात्रा में लष्करी तैनाती करने की गतिविधियां जारी रखी हैं। इसी मुद्दे पर भारत ने आक्रामक भूमिका अपनाई है और चीन ने समय की बरबादी करने की नीति पर काम करना शुरू किया है। चीन पर दबाव बरकरार रखने के लिए भारत ने अन्य मार्ग से गतिविधियां शुरू की हैं और अंडमान-निकोबार द्विपों के करीबी क्षेत्र में शुरू किया यह व्यापक युद्धाभ्यास इसी का हिस्सा होने की बात समझी जा रही है।

भारत ने शुरू किए इस युद्धाभ्यास के लिए अमरीका और चीन के बीच साउथ चायना सी को लेकर निर्माण हुए तनाव की पृष्ठभूमि है। साउथ चायना सी, यह मुक्त इंडो-पैसिफिक समुद्री क्षेत्र का हिस्सा होने की बात कहकर अमरीका ने, चीन ने इस क्षेत्र पर बताए सभी दावें ठुकराएँ हैं। साथ ही अमरीका ने इस क्षेत्र में अपनी तैनाती और युद्धाभ्यास की संख्या भी बढ़ाई है और वर्तमान में दो विमान वाहक युद्धपोत साउथ चायना सी में तैनात रखें हैं। अमरीका ने अपने विमान वाहक युद्धपोत और उनके साथ कैरियर ग्रुप की साउथ चायना सी में तैनात करने की पिछले १५ दिनों में हुई यह दूसरी घटना है। इस दौरान अमरीका ने अपने ‘यूएसएस निमित्झ’ और ‘यूएसएस रोनाल्ड रिगन’ यह दो विमान वाहक युद्धपोत चीन के करीबी समुद्री क्षेत्र में तैनात किए हैं।

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