जवाहिरी पर अमरीका के हमले का अफ़गान प्रदर्शनकारियों ने किया निषेध

काबुल – अमरीका ने काबुल में हमला करके अल कायदा के प्रमुख आयमन अल जवाहिरी को मार गिराने का निषेध करने के लिए शुक्रवार को हज़ारों की संख्या में अफ़गान नागरिक काबुल की सड़कों पर उतरे थे। इन प्रदर्शनकारियों ने अमरीका के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। अफ़गानिस्तान में पराजीत हुई अमरीका अपनी नाकामयाबी छुपाने के लिए ऐसे हमले कर रही है, ऐसा इन प्रदर्शनकारियों का कहना है। ऐसे में पाकिस्तान के पूर्व मंत्री शिरिन मज़ारी ने इम्रान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते तो जवाहिरी अब भी जीवित होता, यह दावा करके सनसनी निर्माण की है।

अल जवाहिरी के मारे जाने के बाद अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने ऐलान किया कि, जवाहिरी के मारे जाने की वजह से ९/११ के मृतकों को न्याय मिला। साथ ही जवाहिरी के मारे जाने के कारण इसके आगे किसी को उससे खतरा नहीं होगा ऐसा कहकर राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने इस उपलब्धि पर संतोष व्यक्त किया था। लेकिन, शुक्रवार को काबुल की सड़कों पर उतरे अफ़गान प्रदर्शनकारी जवाहिरी पर यह हमला अमरीका का अत्याचार है, यह दावा कर रहे हैं। अमरीका अब भी अफ़गानिस्तान में हमले क्यों कर रही है, ऐसा सवाल इन प्रदर्शनकारियों ने किया। साथ ही अफ़गानिस्तान में पराजित होने से अमरीका अपनी इस असफलताअ को छुपाने के लिए ऐसे हमले कर रही है, ऐसी फटकार इन प्रदर्शनकारियों ने लगाई है।

इसी बीच, जवाहिरी पर हमला करके अमरीका ने तालिबान के साथ दोहा समझौते का उल्लंघन किया है, ऐसा आरोप तालिबान ने लगाया था। लेकिन, अमरीका ने तालिबान के यह दावे ठुकराए हैं। साथ ही तालिबान ने अल कायदा और अन्य आतंकी संगठनों से ताल्लुकात ना रखने की बात अमरीका के साथ किए गए समझौते में स्वीकारी थी, इस बात पर अमरिकी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इसी बीच तालिबान भी जवाहिरी के मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दर्ज़ करने से दूर रह रहा है, यह बात पिछले कुछ दिनों में स्पष्ट हुई थी। लेकिन, पाकिस्तान की स्थिति काफी अलग है।

पाकिस्तान के प्रमुख विपक्षी दल ‘तेहरिक-ए-पाकिस्तान’ की नेता शिरिन मज़ारी ने जवाहिरी को लेकर अगल ही दावा किया है। यदि इम्रान खान आज पाकिस्तान के प्रधानमंत्री होते तो जवाहिरी जिंदा दिखता, यह दावा मज़ारी ने किया है। इम्रान खान के मंत्रिमंड़ल की सदस्या रहीं मज़ारी ने यह दावा करके जवाहिरी की हत्या के पीछे पाकिस्तान सरकार और सेना का हाथ होने के संकेत दिए हैं। अगले दिनों में पाकिस्तान में इसकी गूंज सुनाई दे सकती है।

जवाहिरी को खत्म करने के लिए अमरीका ने ‘एमक्यू-९ रिपर ड्रोन’ का इस्तेमाल किया था। पाकिस्तान की हवाई सीमा से ही उड़ान भरकर यह ड्रोन अफ़गानिस्तान पहुँचा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। अमरीका या पाकिस्तान ने अभी इस दावे की पुष्टि नहीं की है। लेकिन, पाकिस्तान की यंत्रणा इन दावों में सच्चाई ना होने का बयान कर रही है। पहले के अनुभव के मद्देनज़र पाकिस्तान के इन दावों पर कोई विश्वास करने के लिए तैयार नहीं है। स्वयं पाकिस्तानी माध्यम ही जवाहिरी को ढ़ेर करने के लिए हमारे देश की सरकार और सेना ने अमरीका की सहायता की, यह आरोप लगा रहे हैं।

ऐसी स्थिति में शिरीन मज़ारी ने अपने नेता इम्रान खान पाकिस्तान के आज प्रधानमंत्री होते तो जवाहिरी जीवित होता, यह दावा करके सनसनी निर्माण की है। उनके यह दावे अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान में भी सक्रीय तालिबान ने गंभीरता से लिए तो इसकी काफी भयंकर कीमत पाकिस्तान को चुकानी पड़ सकती है। इम्रान खान के तालिबान से अच्छे ताल्लुकात होने की बात पहले कई बार सामने आयी थी। उन्होंने खुलेआम तालिबान का समर्थन भी किया था। लेकिन, अब अल कायदा के नेता को बचाने तक इम्रान खान जाते, यह दावा करके मज़ारी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है।

इस वजह से अल जवाहिरी को खत्म करने के लिए अमरीका की पाकिस्तान ने सहायता की, यह आरोप अधिक तीव्र हो सकता है। इससे आगबबूला हुए तालिबान द्वारा पाकिस्तान में आतंकी हमले हो सकते हैं। इस ड़र से परेशान पाकिस्तानी पत्रकार तालिबान और अमरीका के नए संघर्ष में पाकिस्तान पिसना नहीं चाहिए, ऐसा कहकर अपनी सरकार और सेना को इस संघर्ष से दूर रहने की सलाह दे रहे हैं।

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