अतिप्रगत ‘एएमसीए’ विमान के प्रोटोटाइप पर काम शुरू – सन २०२४ में भरेगा पहली उड़ान

नवी दिल्ली – अतिप्रगत ‘अ‍ॅडव्हान्स मिडियम कॉम्बॅट एअरक्राफ्ट’ (एएमसीए) का आरेखन मंजूर होने के बाद इस लड़ाकू विमान का प्रोटोटाइप बनाने का काम शुरू होने की खबर है। इस प्रोटोटाइप की पहली उड़ान सन २०२४ में होगी, ऐसा दावा किया गया है। कुछ ही दिन पहले रक्षा संशोधन एवं विकास संस्था (डीआरडीओ) की एरोनॉटिकल डेव्हलपमेंट एजन्सी ने तैयार किए इन पाँचवी पीढ़ी के विमानों के आरेखन को मंजुरी मिलने की खबर आई थी।

विमान के प्रोटोटाइपडीआरडीओ वायु सेना तथा नौसेना के लिए अतिप्रगत ऐसा एएमसीए लड़ाकू विमान विकसित कर रहा है। यह विमान पाँचवी पीढ़ी से होगा । फिलहाल भारतीय वायुसेना के बेड़े में होने वाले लड़ाकू विमानों की अपेक्षा यह विमान बहुत ही प्रगति तंत्रज्ञान पर आधारित होगा । भारत ने फ्रान्स से ३६ राफेल विमानों की खरीद की है। इनमें से 29 विमान भारत को प्राप्त हुए हैं। राफेल विमान ये 4.5 वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान हैं। वहीं, ‘एएमसीए’ ये पाँचवी पीढ़ी के विमान होकर इनमें छठी पीढ़ी के तंत्रज्ञान का समावेश करने के प्रयास हो रहे हैं।

‘एएमसीए’ के विमान के आरेखन को मंजुरी मिलने के बाद इन विमानों का प्रोटोटाइप अर्थात नमूना विमान तैयार करने का काम शुरू हुआ है। कुल चार प्रोटोटाइप बनाए जा रहे हैं ऐसी जानकारी सामने आ रही है। भारत रशिया के साथ पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान विकसित करने के लिए काम करने वाला था। सुखोई-57 विमानों में बदलाव करके आधुनिक सेंसर्स और यंत्रणा फिट करके पाँचवी पीढ़ी का विमान विकसित किया जाने वाला था। लेकिन भारत, स्वदेश में ही तंत्रज्ञान का विकास और उत्पादन को बढ़ावा देने की तथा रक्षा आयात कम करने की नीति के तहत सन २०१७ में इस योजना से मुकर गया। पाँचवी पीढ़ी का विमान खुद ही विकसित करने का फैसला भारत ने किया।

इसके तहत डीआरडीओ की एरोनॉटिकल डेव्हलपमेंट एजन्सी (एडीए) को ‘एएमसीए’ विकसित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई। एडीए ने इससे पहले स्वदेशी बनावट का लाईट कॉम्बॅट एअरक्राफ्ट ‘तेजस’ विकसित किया है। इसलिए यह ज़िम्मेदारी एडीए को सौंपी गई। इसी विमान के जरिए छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान विकसित करने का भी विचार है। लेकिन इसके लिए भारत को अधिक क्षमता के इंजन की आवश्यकता होकर, इसके लिए ब्रिटिश कंपनी रोल्स रॉयस के साथ भारत की चर्चा जारी है। ‘एएमसीए’ विमान के कुछ भाग भारत ने इसे पहले ही बनाए हैं। इस विमान के चार प्रोटोटाइप बनाने के लिए ४ से ५ हज़ार करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी, ऐसा अंदाज़ा है। इस खर्चे को जल्द ही केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजुरी मिलेगी, ऐसी उम्मीद ज़ाहिर की जाती है।

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